क्या बांग्लादेश में खालिदा जिया के सहयोगी ने यूनुस सरकार के सलाहकारों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए?

सारांश
Key Takeaways
- खालिदा जिया के सहयोगी ने यूनुस सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं।
- बिना सलाहकारों की संलिप्तता के कोई भी महत्वपूर्ण नियुक्ति संभव नहीं है।
- भ्रष्टाचार के खिलाफ ठोस कार्रवाई की आवश्यकता है।
- स्थानीय सरकार और युवा एवं खेल मंत्रालय में अनुभवहीन लोगों की नियुक्ति पर सवाल उठाए गए हैं।
- बांग्लादेश की राजनीति में भ्रष्टाचार एक गंभीर समस्या बनी हुई है।
ढाका, 9 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की अध्यक्ष खालिदा जिया के निजी सचिव ए बी एम अब्दुस सत्तार ने अंतरिम सरकार के कई सलाहकारों पर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि देश में किसी भी महत्वपूर्ण नियुक्ति या तबादले में इन सलाहकारों की भागीदारी के बिना कुछ भी संभव नहीं है।
सत्तार ने ये आरोप ढाका के बीआईएएम ऑडिटोरियम में आयोजित ‘जुलाई जनविद्रोह की अपेक्षाएं और भविष्य का लोक प्रशासन’ विषयक सेमिनार में लगाए।
स्थानीय मीडिया के अनुसार, सत्तार ने बिना नाम लिए यह दावा किया कि उनके पास कम से कम आठ सलाहकारों के “असीमित भ्रष्टाचार” के सबूत मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि खुफिया एजेंसी के पास भी इन सलाहकारों के भ्रष्टाचार के प्रमाण हैं, लेकिन इसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
सत्तार ने उदाहरण देते हुए कहा, “यदि किसी सलाहकार के सहायक निजी सचिव के खाते में 200 करोड़ टका मिले, तो भी कार्रवाई क्यों नहीं होती? क्या नुरजहां बेगम स्वास्थ्य मंत्रालय चला सकती हैं? क्या स्थानीय सरकार मंत्रालय और युवा एवं खेल मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय एक अनुभवहीन सलाहकार को सौंपना उचित है?”
उन्होंने आरोप लगाया कि स्थानीय सरकार और युवा एवं खेल मंत्रालय में एक अनुभवहीन व्यक्ति को नियुक्त किया गया है और अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस को इस बारे में जानकारी होने के बावजूद कोई कदम नहीं उठाया जा रहा।
सत्तार ने कहा कि यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के कार्यकाल में भ्रष्टाचार की समस्या पहले से भी बढ़ गई है।
पिछले महीने बीएनपी के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने कहा था कि देश में न तो सुशासन है और न ही कोई ठोस सुधार, जिससे वसूली के मामलों में चिंताजनक वृद्धि हुई है। उनके मुताबिक, “पहले एक व्यापारी को एक लाख टका वसूली देनी पड़ती थी, अब पांच लाख टका देनी पड़ रही है। पुलिस व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं आया।”
गौरतलब है कि बीएनपी और कट्टरपंथी इस्लामी ताकतों ने पहले छात्र नेताओं और यूनुस के साथ मिलकर पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की अगुवाई वाली अवामी लीग सरकार को सत्ता से बेदखल किया था। हसीना का सत्ता से अचानक बाहर होना विश्व स्तर पर देश के लोकतांत्रिक ढांचे के लिए एक बड़ा झटका माना गया है। अंतरिम सरकार पर चरमपंथी इस्लामी संगठनों को संरक्षण देने के लिए भी भारी आलोचना हो रही है।