क्या उत्तराखंड की धाराली आपदा प्राकृतिक नहीं है, बल्कि पर्यावरण के साथ खिलवाड़ का परिणाम है?

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क्या उत्तराखंड की धाराली आपदा प्राकृतिक नहीं है, बल्कि पर्यावरण के साथ खिलवाड़ का परिणाम है?

सारांश

उत्तराखंड के धाराली में आई आपदा को पूर्व राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा मानव जनित मानते हैं। उन्होंने भाजपा सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा है कि अनियोजित विकास और पर्यावरण की अनदेखी के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। जानिए इस मुद्दे पर उनका क्या कहना है।

Key Takeaways

  • धाराली आपदा मानव जनित है।
  • अनियोजित विकास का परिणाम है।
  • भाजपा सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए गए हैं।
  • इको-सेंसिटिव जोन का पालन जरूरी है।
  • आपदा प्रबंधन में सुधार की आवश्यकता है।

मसूरी, 9 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। पूर्व राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रदीप टम्टा ने उत्तरकाशी के धाराली क्षेत्र में आई प्राकृतिक आपदा को मानव जनित करार देते हुए केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला है।

उन्होंने कहा कि यह आपदा प्राकृतिक नहीं, बल्कि अनियोजित विकास और पर्यावरण के साथ खिलवाड़ का परिणाम है। भाजपा सरकार विकास के नाम पर पहाड़ों का विनाश कर रही है, जिससे स्थानीय लोगों को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है।

टम्टा ने बताया कि 2012 में धाराली समेत 3,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को इको-सेंसिटिव जोन घोषित किया गया था, लेकिन भाजपा सरकारों ने न तो इसका मास्टर प्लान तैयार किया और न ही नियमों का पालन किया।

उन्होंने कहा, “इको-सेंसिटिव जोन की अनदेखी और अनियोजित निर्माण कार्यों ने धाराली को तबाही की ओर धकेल दिया। पहाड़ों को काटा जा रहा है, जंगल उजाड़े जा रहे हैं और नदियों का प्राकृतिक प्रवाह बाधित किया जा रहा है। यह सब भाजपा सरकार की गलत नीतियों का नतीजा है।”

उन्होंने आपदा के बाद सरकारी राहत कार्यों पर भी सवाल उठाए। टम्टा ने कहा कि सरकार मृतकों और लापता लोगों का स्पष्ट आंकड़ा तक नहीं दे पाई है। उन्होंने 5,000 रुपए की राहत राशि को मजाक बताते हुए कहा कि कई पीड़ितों ने इसे ठुकरा दिया है।

टम्टा ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार धर्म को भी व्यापार बना रही है। धार्मिक स्थलों पर अनियोजित पर्यटन को बढ़ावा देकर पर्यावरण को खतरे में डाला जा रहा है, जिससे आपदाओं का खतरा और बढ़ गया है। मैं केंद्र और राज्य सरकार से इको-सेंसिटिव जोन के नियमों की सख्ती से पालन, जोनल मास्टर प्लान लागू करने, आपदा प्रबंधन में सुधार, उचित राहत और मुआवजे की व्यवस्था और अनियोजित विकास पर तत्काल रोक लगाने की मांग करता हूं।

उन्होंने कहा, “उत्तराखंड में आपदा प्रबंधन पूरी तरह विफल हो चुका है। भाजपा नेता जनता की मदद करने के बजाय पंचायत चुनावों में खरीद-फरोख्त में व्यस्त हैं। यदि सरकार ने समय रहते कदम नहीं उठाए, तो उत्तराखंड में ऐसी आपदाएं और बढ़ेंगी।”

Point of View

यह देखा जा सकता है कि प्राकृतिक आपदाएं अक्सर मानव गतिविधियों का परिणाम होती हैं। प्रदीप टम्टा की चिंताएँ इस बात की ओर इशारा करती हैं कि यदि हम पर्यावरण की सुरक्षा नहीं करेंगे, तो भविष्य में ऐसे कई संकट हमारा सामना करेंगे। इस पर राजनीतिक दृष्टिकोण से विचार विमर्श करना आवश्यक है।
NationPress
09/08/2025

Frequently Asked Questions

धाराली में आई आपदा का मुख्य कारण क्या है?
प्रदीप टम्टा के अनुसार, धाराली में आई आपदा का मुख्य कारण अनियोजित विकास और पर्यावरण के साथ खिलवाड़ है।
भाजपा सरकार पर प्रदीप टम्टा ने क्या आरोप लगाए हैं?
उन्होंने भाजपा सरकार पर अनियोजित निर्माण कार्य और इको-सेंसिटिव जोन की अनदेखी का आरोप लगाया है।
आपदा प्रबंधन के लिए सरकार को क्या कदम उठाने चाहिए?
सरकार को इको-सेंसिटिव जोन के नियमों का पालन करना चाहिए और उचित राहत तथा मुआवजे की व्यवस्था करनी चाहिए।