क्या अमेरिका के राजदूत के रूप में माइक वाल्ट्ज की नियुक्ति महत्वपूर्ण है?

सारांश
Key Takeaways
- माइक वाल्ट्ज को अमेरिका का नया राजदूत नियुक्त किया गया है।
- यह पद पिछले आठ महीनों से खाली था।
- वाल्ट्ज का कहना है कि संयुक्त राष्ट्र में सुधार की आवश्यकता है।
- सीनेट ने 47-43 के वोट से उनकी पुष्टि की।
- वे अगले हफ्ते संयुक्त राष्ट्र महासभा में शामिल होंगे।
वाशिंगटन, 20 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। अमेरिकी सीनेट ने माइक वाल्ट्ज को संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में अमेरिका का राजदूत नियुक्त करने के लिए वोट दिया है। यह पद पिछले आठ महीनों से खाली था। माइक व्हाइट हाउस के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं।
न्यूज एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, वाल्ट्ज की पुष्टि के लिए 47 सांसदों ने पक्ष में और 43 ने विरोध में मतदान किया। अब वे अगले हफ्ते न्यूयॉर्क में होने वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा में शामिल होंगे, जहां अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप मंगलवार को वार्षिक सभा को संबोधित करेंगे।
एनबीसी न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार, सीनेट में सुनवाई के दौरान वाल्ट्ज ने कहा था कि संयुक्त राष्ट्र में सुधार की आवश्यकता है। उन्होंने अमेरिकी फंडिंग की समीक्षा और संगठन में यहूदी विरोधी रवैये को समाप्त करने की बात कही थी।
माइक वाल्ट्ज जनवरी से ट्रंप के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में कार्यरत थे, लेकिन मार्च में यमन में आगामी हमले पर चर्चा कर रहे वरिष्ठ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारियों के साथ एक निजी सिग्नल चैट में गलती से एक पत्रकार को जोड़ दिया था। इसके बाद उन्होंने पद छोड़ दिया।
27 मार्च को, ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत के रूप में रिपब्लिकन एलिस स्टेफनिक का नामांकन वापस ले लिया। इसके बाद मई में वाल्ट्ज को संयुक्त राष्ट्र में राजदूत पद के लिए नामित किया गया। इससे पहले पूर्व अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड 20 जनवरी को पद छोड़ चुकी थीं, जब ट्रंप ने राष्ट्रपति पद संभाला था।
इस वोटिंग में तीन डेमोक्रेट सांसद- जॉन फैटरमैन (पेंसिल्वेनिया), मार्क केली (एरिजोना) और जीन शाहीन (न्यू हैम्पशायर)—ने वाल्ट्ज के पक्ष में मतदान किया। वहीं रिपब्लिकन सांसद रैंड पॉल (केंटकी) अकेले ऐसे रहे जिन्होंने विरोध में वोट दिया।
ट्रंप ने मई में घोषणा की थी कि वह 51 वर्षीय वाल्ट्ज को इस राजनयिक पद के लिए नामित कर रहे हैं। वाल्ट्ज जनवरी में राष्ट्रपति के पद की शपथ लेने के बाद से व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में कार्यरत थे। हालांकि, मार्च की गलती के बाद से ही ट्रंप का उन पर भरोसा कमजोर माना जा रहा था।