क्या बांग्लादेश में पाकिस्तान आईआरए बना रहा है? सात कैंप में 8,850 लोगों की ट्रेनिंग

सारांश
Key Takeaways
- बांग्लादेश में आईआरए की स्थापना का पहला चरण जारी है।
- ८,८५० लोगों को ट्रेनिंग दी जा रही है।
- आईआरए पाकिस्तान के समर्थन से काम कर रहा है।
- यह भारत के लिए सुरक्षा चिंता का विषय बन सकता है।
- बांग्लादेशी सेना की स्थिति पर सवाल उठ रहे हैं।
नई दिल्ली, २२ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बांग्लादेश में मुहम्मद यूनुस सरकार के एक वरिष्ठ सलाहकार आसिफ महमूद शोजिब भुयान ने कहा है कि इस्लामिक रिवोल्यूशनरी आर्मी (आईआरए) के निर्माण का पहला चरण जारी है।
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के सलाहकार महमूद शोजिब ने २० अक्टूबर को सोशल मीडिया पर बताया कि विभिन्न केंद्रों पर ८,८५० लोगों की भर्ती और ट्रेनिंग चल रही है।
हाल ही में बांग्लादेश में आईएसआई की गतिविधियाँ भी तेजी से बढ़ रही हैं। खबरें आई थीं कि आईएसआई के लोग आईआरए के सदस्यों को ट्रेनिंग देंगे। अब यूनुस के सलाहकार ने पुष्टि की है कि आईआरए को स्थापित करने की प्रक्रिया जारी है।
अंतरिम यूनुस सरकार को एक ऐसा संगठन चाहिए जो देश के प्रति नहीं बल्कि सरकार के प्रति वफादार हो और आईएसआई के साथ मिलकर काम करे। यही कारण है कि बांग्लादेशी सेना के स्थान पर इस्लामिक रिवोल्यूशनरी आर्मी को लाने की तैयारी चल रही है।
यूनुस सरकार के वरिष्ठ सलाहकार ने कहा कि इन लोगों को मार्शल आर्ट, आग्नेयास्त्र प्रशिक्षण, ताइक्वांडो और जूडो की ट्रेनिंग दी जाएगी। जमात-ए-इस्लामी और आईएसआई की कठपुतली मानी जाने वाली यूनुस सरकार कई महीनों से आईआरए की योजना बना रही है।
भारतीय अधिकारियों का कहना है कि आईआरए ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) की तर्ज पर काम करेगा और यह एक कट्टरपंथी संस्था होगी, जो बांग्लादेश को एक इस्लामी राज्य में बदलने में मदद करेगी।
इसका संभावित निशाना भारत भी हो सकता है। आईआरए के स्थापित होने के बाद सीमा पर तनाव बढ़ सकता है। हाल ही में, जमात के एक नेता, डॉ. सैयद अब्दुल्ला मुहम्मद ताहिर, ने न्यूयॉर्क में कहा कि जमात के ५० लाख युवा भारत के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार हैं। अगर भारत बांग्लादेश में प्रवेश करता है, तो १९७१ में जो बदनामी हुई थी, वह मिट जाएगी। हम खुद को सच्चे स्वतंत्रता सेनानी साबित करेंगे।
इन गतिविधियों को देखते हुए विशेषज्ञों का मानना है कि आईएसआई ने बांग्लादेश पर कब्जा कर लिया है। पाकिस्तान हमेशा से चाहता था कि बांग्लादेश को १९७१ से पहले की स्थिति में वापस लाया जाए। यही कारण है कि शेख हसीना के हटने के बाद यह योजना जारी है।
पहले चरण में, सात ट्रेनिंग कैंपों में ८,८५० लोगों को ट्रेनिंग दी जा रही है। इन सभी को पाकिस्तान समर्थक सेवानिवृत्त बांग्लादेशी सैन्य अधिकारी प्रशिक्षित कर रहे हैं।
बांग्लादेश में इस समय १,६०,००० सेना की संख्या है और आईआरए का उद्देश्य सेना से ज्यादा लोगों को ट्रेनिंग देना है। इन शिविरों में अक्सर पाकिस्तानी सेना और आईएसआई के अधिकारी आते-जाते रहते हैं।
मुहम्मद यूनुस द्वारा पाकिस्तान के लिए समुद्री मार्ग खोले जाने के बाद से, हथियार और गोला-बारूद बड़ी मात्रा में बांग्लादेश पहुंच रहे हैं। ये सभी वर्तमान में विश्वविद्यालयों में जमा किए जा रहे हैं, जिन पर जमात का नियंत्रण है।
इन हथियारों और गोला-बारूद को आवश्यकता अनुसार आईआरए के ट्रेनिंग कैंप में पहुंचाया जा रहा है। जमात समर्थित संस्थाएं आईआरए के इरादों के बारे में खुलकर बात कर रही हैं।
जमात और आईएसआई के इशारे पर यूनुस सरकार बांग्लादेश में सेना और डीजीएफआई दोनों को खत्म करने की कोशिश कर रही है। हालिया घटनाएं सेना के शीर्ष अधिकारियों और सत्तारूढ़ दल के बीच मतभेद की ओर इशारा कर रही हैं।
हालांकि अदालत ने कहा है कि ये लोग अत्याचारों में लिप्त हैं, लेकिन जिन लोगों को निशाना बनाया गया है, वे सभी शेख हसीना के करीबी माने जाते हैं। अधिकारियों का कहना है कि इन घटनाक्रमों ने बांग्लादेशी सेना में गहरी दरार पैदा कर दी है, और कई लोग आईआरए की स्थापना के पक्ष में हैं।