क्या नेपाल के पूर्व गृहमंत्री ने जेन-जी विरोध प्रदर्शन मामले में गोली चलाने का आदेश दिया?

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क्या नेपाल के पूर्व गृहमंत्री ने जेन-जी विरोध प्रदर्शन मामले में गोली चलाने का आदेश दिया?

सारांश

नेपाल के पूर्व गृहमंत्री रमेश लेखक ने जेन-जी विरोध प्रदर्शनों में हुई हिंसा की जांच के लिए आयोग के सामने गवाही दी। उन्होंने किसी भी हताहत के आदेश देने से इनकार किया और कहा कि यह एक सोची-समझी साजिश थी। यह मामला राजनीतिक और सामाजिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।

Key Takeaways

  • रमेश लेखक ने गोली चलाने का आदेश देने से इनकार किया।
  • आयोग जेन-जी विरोध प्रदर्शनों की जांच कर रहा है।
  • 77 लोगों की मौत हुई थी, जो अत्यधिक बल प्रयोग के कारण था।
  • लेखक ने इसे एक सोची-समझी साजिश बताया।
  • पूर्व प्रधानमंत्री ओली को भी तलब किया जा सकता है।

काठमांडू, 29 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। नेपाल के पूर्व गृहमंत्री रमेश लेखक ने 29 दिसंबर 2025 को जेन-जी विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा और अत्याचारों की जांच के लिए गठित उच्च स्तरीय जांच आयोग के समक्ष पेश होकर अपनी गवाही दी।

यह प्रदर्शन सितंबर में हुआ था, जिसमें कथित रूप से अत्यधिक बल प्रयोग के कारण 77 लोगों की मौत हुई थी।

लेखक ने आयोग को बताया कि उन्होंने प्रदर्शनों से एक दिन पहले सुरक्षा एजेंसियों को निर्देश दिए थे कि कोई हताहत न हो और न्यूनतम बल प्रयोग किया जाए।

लेखक, जो उस समय पूर्व प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली की मिली-जुली सरकार में गृहमंत्री थे, पर जेन-जी विद्रोह के दौरान अत्यधिक बल का प्रयोग करने की इजाजत देने के आरोप हैं।

जेन-जी आंदोलन के दौरान 8 और 9 सितंबर की घटनाओं की जांच के लिए मौजूदा सुशीला कार्की की अंतरिम सरकार द्वारा बनाया गया जांच कमीशन पहले ही सुरक्षा एजेंसियों के अध्यक्ष और वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के बयान दर्ज कर चुका है।

जांच के हिस्से के तौर पर, आयोग ने पूर्व गृहमंत्री लेखक को तलब किया। आयोग के अधिकारियों ने कहा है कि वे पूर्व प्रधानमंत्री ओली को भी तलब करने की योजना बना रहे हैं।

घटनाओं की जांच के लिए बनाए गए आयोग के समक्ष गवाही देते हुए, लेखक ने आयोग को दिए गए एक लिखित जवाब में दावा किया कि उन्होंने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ बल का प्रयोग करने का कोई लिखित या मौखिक आदेश जारी नहीं किया था।

उन्होंने कहा, "कोई भी कानून गृहमंत्री को बल के प्रयोग के लिए निर्देश जारी करने का अधिकार नहीं देता है।"

लेखक ने कहा कि उन्होंने जेन-जी विरोध प्रदर्शन से एक दिन पहले सुरक्षा एजेंसियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि कोई हताहत न हो और ऐसी कोई स्थिति न बने जिससे किसी व्यक्ति की मृत्यु हो। उनके अनुसार, 7 सितंबर को हुई केंद्रीय सुरक्षा समिति की बैठक में अधिक बल प्रयोग करने का कोई निर्णय नहीं लिया गया था।

लेखक ने कहा, "मैंने सुरक्षा एजेंसियों को घुसपैठियों के खिलाफ चौकस रहने का भी निर्देश दिया था।"

उन्होंने शांतिपूर्ण जेन जी आंदोलन को हाईजैक करने और विरोध प्रदर्शनों को हिंसक बनाने के लिए कुछ खास गुटों को दोषी ठहराया, जिससे 8 सितंबर को कई युवाओं की मौत हो गई।

उन्होंने सोमवार को आयोग के सामने पेशी के बाद पत्रकारों से बात करते हुए अपने दावों को दोहराया।

जेन-जी आंदोलन के दौरान, कई सरकारी संस्थानों—जिनमें नेपाल सरकार का मुख्य प्रशासनिक केंद्र सिंघदरबार, सुप्रीम कोर्ट, देश भर में कई सरकारी दफ्तर, पुलिस चौकियां, राजनीतिक नेताओं के घर और कई बिजनेस कंपनियों की संपत्ति शामिल हैं—में तोड़फोड़ की गई और आग लगा दी गई। आंदोलन के पहले दिन प्रदर्शनकारियों की हत्या के बाद, दूसरे दिन इन संपत्तियों को निशाना बनाया गया।

लेखक ने दावा किया, "असल में, यह एक सोची-समझी साजिश थी। यह देश और लोकतंत्र के खिलाफ पूर्वनियोजित हमला था," और मांग की कि इस तबाही के लिए जिम्मेदार लोगों को सजा दी जाए।

आयोग पूर्व प्रधानमंत्री ओली का बयान दर्ज करने की तैयारी कर रहा है। इस बीच अपने रुख पर अड़े पूर्व पीएम ने कहा है कि वह कमीशन के सामने गवाही नहीं देंगे क्योंकि जांच करने वाली संस्था एकतरफा है।

पिछले हफ्ते एक टेलीविजन इंटरव्यू में, पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, "अंतरिम प्रधानमंत्री और कमीशन की अध्यक्ष (गौरी बहादुर कार्की) ने मेरा नाम लिया है और कहा है कि मेरे साथ ऐसा-वैसा किया जाना चाहिए। जब उन्होंने पहले ही नतीजा बता दिया है तो मैं बयान क्यों दूं?"

Point of View

NationPress
29/12/2025

Frequently Asked Questions

जेन-जी विरोध प्रदर्शन क्या थे?
जेन-जी विरोध प्रदर्शन सितंबर 2025 में नेपाल में हुए थे, जिसमें प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग हुआ और कई लोगों की मृत्यु हुई।
रमेश लेखक ने क्या कहा?
रमेश लेखक ने कहा कि उन्होंने हताहतों के लिए कोई आदेश नहीं दिया और सुरक्षा को सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था।
क्या आयोग ने अन्य अधिकारियों को तलब किया है?
हाँ, आयोग ने पूर्व प्रधानमंत्री ओली को भी तलब करने की योजना बनाई है।
आंदोलन के दौरान क्या हुआ?
आंदोलन के दौरान कई सरकारी संस्थानों में तोड़फोड़ और आगजनी हुई, जिससे व्यापक नुकसान हुआ।
क्या यह मामला राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है?
हाँ, यह मामला नेपाल की राजनीति और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए महत्वपूर्ण है।
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