क्या इंडोनेशियाई छात्र की 42-पेज की डायरी ने मस्जिद बम हमले का सच उजागर किया?
सारांश
Key Takeaways
- अकेलापन और मानसिक स्वास्थ्य का सही ध्यान रखना आवश्यक है।
- चिंता और आक्रोश से भरी डायरी की कहानी हमें गहरे विचार में डालती है।
- ऑनलाइन चरमपंथ पर ध्यान देना आवश्यक है।
- किसी भी लोन-वुल्फ हमले की रोकथाम के लिए जागरूकता जरूरी है।
- सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
जकार्ता, 19 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता के एक स्कूल की मस्जिद में 7 नवंबर को एक बम धमाका हुआ। पुलिस जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि 17 वर्षीय संदिग्ध ने इस हमले से पूर्व अपनी 42-पृष्ठीय डायरी में कई महत्वपूर्ण बातें लिखी थीं। उसने अकेलेपन, क्रोध और आत्महत्या की इच्छा जैसी चिंताजनक भावनाओं का उल्लेख किया था।
इंडोनेशियाई मीडिया जैसे 'कोम्पास', 'दीटिक' और 'जकार्ता पोस्ट' के अनुसार, यह लड़का लंबे समय से मानसिक समस्याओं का सामना कर रहा था और ऑनलाइन चरमपंथी सामग्री का गहराई से अध्ययन कर रहा था।
उसकी डायरी, जिसका शीर्षक 'डायरी रेब' था, में उसने मस्जिद का नक्शा भी बनाया था। उसने बम लगाने का स्थान, प्रवेश की दिशा और सबसे प्रभावी समय का पूरा योजना तैयार किया था। इंडोनेशियाई चैनल 'मेट्रो टीवी न्यूज' ने बताया कि यह डायरी 7 नवंबर के हमले की विस्तृत योजना का विवरण देती है।
रॉयटर्स के अनुसार, संदिग्ध निम्न-आय वर्ग से था। उसके पिता एक कैटरिंग कंपनी में रसोइया हैं और वे उत्तरी जकार्ता के एक मध्यमवर्गीय क्षेत्र में एक दो-मंजिला मकान में रहते थे।
स्थानीय आउटलेट 'ट्राइबून' के मुताबिक, उसके माता-पिता के तलाक के बाद वह बेहद अकेला हो गया और घंटों अपने कमरे में इंटरनेट पर समय बिताने लगा। इस दौरान वह एक अंतरराष्ट्रीय टेलीग्राम समूह का हिस्सा बना, जहां व्हाइट सुप्रीमेसी और अन्य हिंसक घटनाओं की महिमा गाई जाती थी।
इंडोनेशियाई पुलिस ने बताया कि छात्र ने इंटरनेट ट्यूटोरियल देखकर घर में ही सात छोटे बम बनाए थे। इनमें बैटरियां, धातु की कीलें, वायरिंग और रिमोट सभी उसने स्वयं जोड़े। चार बम फटे, जबकि तीन असफल रहे। स्थानीय मीडिया के अनुसार, यह हमला किसी संगठित नेटवर्क का हिस्सा नहीं था बल्कि एक “लोन-वुल्फ” शैली का था, जो अकेलेपन और ऑनलाइन कट्टरपंथ से प्रेरित था।
जांचकर्ताओं ने बताया कि उसके फोन और लैपटॉप में कई ऐसे वीडियो और चैट मिले हैं, जिनमें हिंसा को प्रशंसा दी गई है। छात्र महीनों से एक ऐसे डिजिटल वातावरण में था, जहां उसे लगता था कि विनाशकारी कार्यवाही ही उसकी पहचान और अस्तित्व को साबित करेगी।