क्या एससीओ बैठक में पुतिन से मिले जयशंकर ने आतंकवाद के खतरे पर चिंता जताई?
सारांश
Key Takeaways
- जयशंकर ने पुतिन से आतंकवाद के खतरे पर चिंता जताई।
- आतंकवाद के सभी रूपों के प्रति जीरो टॉलरेंस की अपील की।
- अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता को रेखांकित किया।
- भारत-रूस संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया।
- आधिकारिक भाषाओं में अंग्रेजी को शामिल करने की आवश्यकता।
मास्को, 19 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर रूस के दौरे पर हैं। मंगलवार को एस जयशंकर ने एससीओ की बैठक में भाग लिया, जिसमें उन्होंने रूसी राष्ट्रपति से भी बातचीत की। इस दौरान, जयशंकर ने आतंकवाद के बढ़ते खतरे को लेकर चिंता व्यक्त की।
विदेश मंत्री जयशंकर ने राष्ट्रपति पुतिन को आगामी वार्षिक भारत-रूस शिखर सम्मेलन की तैयारियों की जानकारी दी। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ भारत का दृष्टिकोण स्पष्ट किया और हाल में दिल्ली और जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमलों का उल्लेख किया।
उन्होंने कहा, "हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि एससीओ (शंघाई सहयोग संगठन) की स्थापना आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद की तीन बुराइयों से निपटने के लिए की गई थी। पिछले वर्षों में ये खतरे और भी गंभीर हो गए हैं। यह आवश्यक है कि विश्व आतंकवाद के सभी रूपों के प्रति शून्य सहिष्णुता दिखाए। इसका कोई औचित्य नहीं हो सकता, इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता और इसे छुपाया नहीं जा सकता।" इसके साथ ही उन्होंने संगठन से जीरो टॉलरेंस नीति को अपनाने की अपील की।
विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि संगठन को समय के साथ परिवर्तन करना होगा और अंग्रेजी को एससीओ की आधिकारिक भाषा बनाना चाहिए। वर्तमान में एससीओ में केवल रूसी और चीनी भाषाओं का उपयोग होता है। एस जयशंकर ने एससीओ देशों के बीच व्यापार और सहयोग को बढ़ाने की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया।
दूसरी ओर, जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जानकारी साझा करते हुए कहा कि आज मास्को में राष्ट्रपति पुतिन से मिलकर सम्मानित महसूस किया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अभिवादन भी पहुंचाया और आगामी वार्षिक भारत-रूस शिखर सम्मेलन की तैयारियों की जानकारी दी। क्षेत्रीय और वैश्विक घटनाक्रमों पर भी चर्चा की। उन्होंने हमारे संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए उनके दृष्टिकोण और मार्गदर्शन की सराहना की।
इससे पहले, उन्होंने सोमवार को मास्को में रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से भी मुलाकात की। जयशंकर ने इस मुलाकात के बाद कहा कि लावरोव से मिलकर खुशी हुई। व्यापार और निवेश, ऊर्जा, गतिशीलता, कृषि, प्रौद्योगिकी, संस्कृति और लोगों के बीच आदान-प्रदान पर चर्चा की गई।