क्या अमेरिका दुनिया को अपना गुलाम बनाना चाहता है? इजरायल-ईरान तनाव पर मौलाना कल्बे जवाद का बयान

सारांश
Key Takeaways
- अमेरिका का इजरायल के साथ संबंध विवादास्पद हैं।
- ईरान और इजरायल के बीच तनाव बढ़ रहा है।
- निर्दोष लोगों की मौत पर चिंता जताई गई है।
- गुलामी की तुलना आज के संदर्भ में की गई है।
- भारत को तटस्थता छोड़कर आवाज उठाने की जरुरत है।
लखनऊ, 14 जून (राष्ट्र प्रेस)। ईरान-इजराइल तनाव पर शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने इजरायल द्वारा ईरान पर किए गए हमलों के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया। उनका कहना है कि इजरायल यह धमकी दे रहा है कि यदि ईरान ने उनकी बात नहीं सुनी, तो और हमले होंगे।
मौलाना कल्बे जवाद ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से कहा, "जब बातचीत का दौर चल रहा था, तब अमेरिका ने इजरायल के माध्यम से ईरान पर हमला करवाया। बातचीत न तो समाप्त हुई है और न ही विफल। एक ओर आप बातचीत कर रहे हैं, दूसरी ओर आप इजरायल को ईरान पर हमले के लिए भड़काते हैं। इजरायल भी यह चेतावनी दे रहा है कि अगर ईरान ने सहयोग नहीं किया तो और हमले होंगे। आप शांति समझौता नहीं कर रहे, आप गुलाम बनाना चाहते हैं। जैसे अंग्रेजों ने भारत को गुलाम बनाया, आज अमेरिका पूरी दुनिया को अपना गुलाम बनाना चाहता है। वह कहता है, 'हमारी बात मानो, नहीं तो हम तुम्हें बर्बाद कर देंगे'। यह गुलामी के अलावा कुछ नहीं है।"
उन्होंने आगे कहा कि इजरायल और अमेरिका की मंशा दुनिया में शांति स्थापित करने की नहीं है। हमारा देश भारत, अमेरिका और इजरायल का साथ दे रहा है। गाजा में 70,000 निर्दोष लोगों की मौत हो चुकी है, लेकिन हमारे देश ने इसकी निंदा नहीं की। हम तटस्थ बने हुए हैं, जबकि इस्लाम में कहा गया है कि अत्याचारी का विरोध करो या उसकी निंदा करो। अगर ऐसा नहीं किया, तो तुम्हारा भी वही हाल होगा जो जालिम का।
मौलाना कल्बे जवाद ने कहा, "संयुक्त राष्ट्र के अनुसार गाजा में मारे गए लोगों में 65 प्रतिशत महिलाएं और बच्चे हैं। क्या आप अभी भी निष्पक्ष हैं? अत्याचार करने वाले और तटस्थ रहने वाले दोनों की निंदा होनी चाहिए, क्योंकि तटस्थता अत्याचारी का समर्थन करती है। हम अपने देश से अपील करते हैं कि बातचीत के दौरान इजरायल ने हमला किया। अगर परमाणु रिएक्टर पर हमला होता है, तो लाखों निर्दोष लोग मारे जाएंगे। भगवान न करे, अगर यहां परमाणु हमला होता है, तो लाखों भारतीयों की जान जाएगी। मरने वाले केवल सैनिक नहीं, बल्कि आम लोग होंगे। जो तटस्थ रहते हैं, वे अत्याचारी के साथी हैं। भारत को तटस्थता का मुखौटा उतारकर अत्याचारियों के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। अत्याचारी इजरायल और अमेरिका हैं।