क्या इमरान खान ने तोशाखाना-2 मामले में फैसले के बाद विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया?
सारांश
Key Takeaways
- इमरान खान और उनकी पत्नी को 17-17 साल की सजा मिली है।
- सजा के बाद पूरे देश में विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है।
- इमरान खान ने हाईकोर्ट में इस फैसले को चुनौती देने का निर्णय लिया है।
- पीटीआई ने इस सजा को असंवैधानिक बताया है।
- यह मामला राजनीतिक प्रतिशोध के उदाहरण के रूप में देखा जा रहा है।
इस्लामाबाद, 21 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। तोशाखाना-2 मामले में अदालत ने पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी पत्नी बुशरा बेगम को 17-17 साल की सजा सुनाई है। इसके बाद, इमरान खान ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के माध्यम से पूरे देश में विरोध प्रदर्शनों का आह्वान किया है। इसके साथ ही, पाकिस्तान तहरीक-ए इंसाफ पार्टी के प्रमुख इमरान ने इस्लामाबाद हाईकोर्ट में इस फैसले को चुनौती देने की योजनाएँ बनाई हैं।
पाकिस्तानी मीडिया डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, पीटीआई प्रमुख के पास जेल में अपने सोशल मीडिया अकाउंट तक पहुँच नहीं है। ऐसे में उनके अकाउंट पर इमरान और उनके वकील के बीच हुई बातचीत का जिक्र करते हुए लिखा गया, “मैंने खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री सोहेल अफरीदी को सड़क पर आंदोलन की तैयारी करने का मैसेज भेजा है। पूरे देश को अपने अधिकारों के लिए खड़ा होना होगा।”
इमरान खान ने कहा कि इस केस में उन्हें मिली सजा कोई नई बात नहीं है, लेकिन उन्होंने अपनी लीगल टीम को कहा है कि वे इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में जाएं। उन्होंने कहा, “पिछले तीन सालों में मिले बेबुनियाद फैसलों की तरह तोशाखाना-2 का यह फैसला भी मेरे लिए कोई नई बात नहीं है। यह फैसला जज ने बिना किसी सबूत और कानूनी प्रक्रियाओं को पूरा किए जल्दबाजी में दिया था।”
डॉन के अनुसार, इमरान खान ने आरोप लगाया है कि सुनवाई के दौरान उनकी लीगल टीम को पर्याप्त सुना नहीं गया। पीटीआई प्रमुख ने कहा कि इंसाफ लॉयर्स फोरम और कानूनी समुदाय के लिए आवश्यक है कि वे कानून और संविधान की बहाली के लिए आगे आएं। न्याय के बिना आर्थिक विकास संभव नहीं हो सकता।
पीटीआई ने एक बयान में इमरान खान और उनकी पत्नी को दी गई सजा को असंवैधानिक और गैर-कानूनी बताया है। इसे राजनीतिक प्रतिशोध का गंभीर उदाहरण भी करार दिया गया है।
पीटीआई के वरिष्ठ नेता असद कैसर और महासचिव सलमान अकरम राजा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि यह सजा इमरान खान की जेल की सजा को बढ़ाने और डरपोक सरकार को थोड़े समय के लिए राहत देने की कोशिश थी। पाकिस्तान में कानून का राज खत्म हो चुका है, और एक दब्बू न्यायपालिका के माध्यम से राजनीतिक प्रतिशोध सिस्टमैटिक तरीके से लिया जा रहा है।
उन्होंने एक गवाह के बयान का जिक्र करते हुए कहा, “एक व्यक्ति कहता है कि उस पर दबाव डाला गया था और आप उसे सबूत मान लेते हैं।”