क्या कई देशों के साथ व्यापार संबंधों को बेहतर बनाना संभव है? : पीयूष गोयल

सारांश
Key Takeaways
- भारत और ब्रिटेन के बीच ऐतिहासिक एफटीए पर हस्ताक्षर।
- दूसरे देशों के साथ व्यापार वार्ता में सकारात्मक प्रगति।
- इस समझौते से भारतीय कृषि उत्पादों को बेहतर पहुंच।
- महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए वित्तीय पहुंच में वृद्धि।
- भारतीय स्टार्टअप्स के लिए नए अवसर।
लंदन, २४ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय वाणिज्य एवं व्यापार मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को बताया कि कई देशों के साथ व्यापार संबंधों को सुधारने के लिए चर्चाएं हो रही हैं। भारत ने ब्रिटेन के साथ एक ऐतिहासिक फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) पर हस्ताक्षर किए हैं, जिससे दोनों देशों के लिए अरबों डॉलर के अवसर खुलेंगे।
पीयूष गोयल ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "न्यूजीलैंड, ओमान, चिली, पेरू और यूरोपीय संघ के साथ बातचीत बहुत अच्छी चल रही है। संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) पर भी सकारात्मक वार्ता जारी है।"
वाणिज्य मंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि इन वार्ताओं के अच्छे परिणाम सामने आएंगे।
गोयल ने पिछले सप्ताह कहा था कि भारत और यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (ईएफटीए) के बीच व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौता (टीईपीए) आधिकारिक तौर पर १ अक्टूबर से लागू होगा, जिससे भारत में १० लाख प्रत्यक्ष रोजगार सृजित होंगे। अमेरिका के साथ बातचीत भी जारी है। भारत और अमेरिका की टीमों ने वाशिंगटन डीसी में प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) के लिए पांचवे दौर की वार्ता पूरी कर ली है।
गोयल ने भारत-यूके व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते (सीईटीए) को एक 'ऐतिहासिक छलांग' बताया, जो देशभर के श्रमिकों, किसानों, एमएसएमई और स्टार्टअप्स को सशक्त बनाएगा।
गोयल ने कहा, "यह समझौता कपड़ा, चमड़ा, जूते, रत्न और आभूषण, खिलौने और समुद्री उत्पादों जैसे क्षेत्रों में कार्यरत कारीगरों, बुनकरों और दैनिक मजदूरों के जीवन को बदलने में सहायक होगा।"
उन्होंने आगे कहा, "गांव के करघों से लेकर तकनीकी प्रयोगशालाओं तक, यह एफटीए महिलाओं को सशक्त बनाता है, बेहतर वित्तीय पहुंच और गहन वैश्विक एकीकरण के माध्यम से।"
इस समझौते से लगभग ९५ प्रतिशत भारतीय कृषि उत्पादों को ब्रिटेन में शुल्क-मुक्त पहुंच प्राप्त होगी। मछुआरों को भी ९९ प्रतिशत समुद्री निर्यात पर शून्य शुल्क का लाभ मिलेगा।
गोयल ने बताया कि यह समझौता 'समावेशी और लैंगिक समानता पर आधारित विकास' को प्रोत्साहित करता है, जिससे जमीनी स्तर से लेकर ऊपर तक एक अधिक लचीली अर्थव्यवस्था का निर्माण होगा। यह समझौता भारतीय स्टार्टअप्स के लिए भी अवसर खोलता है, उन्हें ब्रिटिश निवेशकों और नवाचार केंद्रों तक पहुंच प्रदान करता है, जिससे उनकी वैश्विक उपस्थिति का विस्तार होता है।