क्या पीएम मोदी 15 से 19 जून तक साइप्रस, कनाडा और क्रोएशिया की यात्रा करेंगे?

सारांश
Key Takeaways
- पीएम मोदी की यात्रा कनाडा, साइप्रस और क्रोएशिया में होगी।
- जी-7 शिखर सम्मेलन में भागीदारी का अवसर।
- साइप्रस और क्रोएशिया के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना।
- भारत की वैश्विक कूटनीति को नई दिशा मिलेगी।
- व्यापार, संस्कृति और रणनीतिक सहयोग को बढ़ावा।
नई दिल्ली, 14 जून (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 15 से 19 जून के बीच कनाडा, साइप्रस और क्रोएशिया की आधिकारिक यात्रा पर जाने वाले हैं। प्रधानमंत्री कनाडा में जी-7 शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे, जो भारत की वैश्विक कूटनीतिक संबंधों को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण कदम सिद्ध होगा। यह यात्रा भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का कार्य करेगी।
कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के निमंत्रण पर मोदी कनानास्किस में जी-7 शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे।
यह उनकी छठी जी-7 भागीदारी होगी। वे जी-7 देशों, अन्य आमंत्रित देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के नेताओं के साथ ऊर्जा सुरक्षा, प्रौद्योगिकी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और क्वांटम जैसे वैश्विक मुद्दों पर संवाद करेंगे। इस दौरान कई द्विपक्षीय बैठकें भी आयोजित की जाएंगी।
साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलिडेस के निमंत्रण पर पीएम मोदी 15-16 जून को साइप्रस जाएंगे। यह 20 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा होगी। निकोसिया में वे राष्ट्रपति क्रिस्टोडौलिडेस के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे और लिमासोल में व्यापार जगत के नेताओं को संबोधित करेंगे। यह यात्रा भारत-साइप्रस संबंधों को और गहरा करेगी और यूरोपीय संघ तथा भूमध्यसागरीय क्षेत्र के साथ सहयोग बढ़ाने में सहायता करेगी।
क्रोएशिया के प्रधानमंत्री आंद्रेज प्लेंकोविच के निमंत्रण पर मोदी 18 जून को क्रोएशिया जाएंगे। यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की क्रोएशिया की पहली यात्रा होगी, जो दोनों देशों के संबंधों में ऐतिहासिक साबित होगी। वे प्रधानमंत्री प्लेंकोविच के साथ वार्ता करेंगे और राष्ट्रपति ज़ोरान मिलनोविच से मुलाकात करेंगे। यह यात्रा भारत के यूरोपीय संघ के साथ संबंधों को और मजबूती प्रदान करेगी।
विदेश मंत्रालय के अनुसार, ये यात्राएं भारत की वैश्विक कूटनीतिक संबंधों को नई दिशा प्रदान करेंगी। साइप्रस और क्रोएशिया के साथ हो रही ये पहली बार की यात्राएं व्यापार, संस्कृति और रणनीतिक सहयोग को बढ़ावा देंगी। जी-7 शिखर सम्मेलन में भारत की प्रभावी भूमिका वैश्विक मंच पर एक बार फिर से उजागर होगी।