क्या ट्रंप-शी की कॉल में ताइवान का मसला उठा?

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क्या ट्रंप-शी की कॉल में ताइवान का मसला उठा?

सारांश

ट्रंप और जिनपिंग के बीच फोन कॉल ने ताइवान के मुद्दे को फिर से गरमा दिया है। जिनपिंग के अधिकार संबंधी दावे पर ताइवान ने ठोस प्रतिक्रिया दी, जबकि जापान के पीएम ने भी इसमें अपनी भूमिका निभाई। क्या यह पूर्वी एशिया में नए संघर्ष की शुरुआत है?

Key Takeaways

  • ताइवान का मुद्दा चीन और अमेरिका के बीच तनाव का कारण बन सकता है।
  • जापान की भूमिका महत्वपूर्ण है।
  • चीन अपनी रणनीति को मजबूत कर रहा है।
  • अमेरिका और जापान के बीच संबंध भी महत्वपूर्ण हैं।
  • यह स्थिति पूर्वी एशिया में तनाव को बढ़ा सकती है।

नई दिल्ली, २५ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच सोमवार को एक महत्वपूर्ण फोन कॉल हुई। इस बातचीत में जिनपिंग ने ताइवान पर अपने अधिकार की बात करते हुए कहा, जिस पर ताइवान के प्रधानमंत्री चू जंग ताई ने प्रतिक्रिया दी। इसके अलावा, मंगलवार (२५ नवंबर) को जापानी प्रधानमंत्री साने ताकाइची और ट्रंप के बीच बातचीत ने भी सुर्खियां बटोरीं।

चीन के आधिकारिक बयान के अनुसार, शी ने इस वार्ता में जोर देकर कहा कि ताइवान का “चीन में वापस आना” द्वितीय विश्व युद्ध के बाद बने अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का एक अनिवार्य हिस्सा है।

सिन्हुआ के अनुसार, शी ने ट्रंप से स्पष्ट कहा कि 'ताइवान की वापसी' को लेकर बीजिंग का रवैया स्पष्ट है और इसे पोस्ट वॉर अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के अनुकूल माना जाता है।

जब यह बयान सामने आया, तो ताइवान के प्रधानमंत्री चू जंग ताई ने शी के विचार को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा कि ताइवान के २३ मिलियन लोगों के लिए किसी “वापसी” का विकल्प नहीं हो सकता। उन्होंने संसद के बाहर पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उनका देश स्वतंत्र है।

वहीं, ताकाइची ने जापानी मीडिया से बातचीत में कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने उन्हें कॉल करने की खुली छूट दी और यह भी कहा कि “आप मेरी अच्छी दोस्त हैं।” ताकाइची ने कहा कि यह कॉल ट्रंप के अनुरोध पर हुई थी, जिसमें उन्होंने अपने और जापान की स्थिति पर विचार किया।

अमेरिकी अधिकारी इस मामले में थोड़े सतर्क दिखे क्योंकि ट्रंप ने अपनी सोशल-मीडिया पोस्ट में कुल मिलाकर कहा कि चीन-संयुक्त रिश्ते “बहुत मजबूत” हैं, लेकिन उन्होंने ताइवान का नाम नहीं लिया।

जापानी मीडिया ताइवान पर ट्रंप की चुप्पी पर सवाल खड़े कर रहा है। जापान टुडे ने कुछ विशेषज्ञों के हवाले से लिखा है कि ट्रंप शायद खुलकर इसलिए नहीं बोल रहे क्योंकि उन्हें चीन के साथ अपनी व्यापारिक डील की चिंता है। हो सकता है कि इस वजह से ताइवान के बारे में वह कुछ न कहें और इस कदम से बीजिंग को हिम्मत मिल सकती है। इसके परिणामस्वरूप, पूर्वी एशिया में नया संघर्ष शुरू हो सकता है।

यह पूरी घटना दर्शाती है कि चीन जापान-ताइवान-अमेरिका त्रिकोण में ताइवान को लेकर अधिक दबाव बनाना चाहता है, जबकि अमेरिका जापान के साथ अपनी गठबंधन स्थिति को बनाए रखते हुए चीन के साथ व्यापार और रणनीतिक संबंधों को आगे बढ़ाना चाहता है।

Point of View

हमें हमेशा अपने देश की सुरक्षा और संप्रभुता को प्राथमिकता देनी चाहिए। ताइवान के मुद्दे पर चीन का दबाव और अमेरिका का संतुलन बनाने का प्रयास, दोनों ही हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं। हमें इस स्थिति पर ध्यान देना चाहिए और रणनीतिक रूप से आगे बढ़ना चाहिए।
NationPress
25/11/2025

Frequently Asked Questions

क्या ट्रंप और जिनपिंग के बीच फोन कॉल महत्वपूर्ण है?
हां, यह कॉल ताइवान के मुद्दे पर चीन और अमेरिका के बीच की नीतियों को प्रभावित कर सकती है।
ताइवान ने जिनपिंग के दावों पर क्या प्रतिक्रिया दी?
ताइवान के पीएम ने जिनपिंग के विचारों को खारिज किया और अपने देश की स्वतंत्रता पर जोर दिया।
जापान का इस कॉल में क्या रोल था?
जापानी पीएम ने भी इस कॉल के संदर्भ में चर्चा की और ट्रंप से अपनी दोस्ती का उल्लेख किया।
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