क्या खादी महोत्सव रोजगार और स्वदेशी उद्योग को बढ़ावा देने का बड़ा मंच है?
सारांश
Key Takeaways
- खादी महोत्सव का आयोजन 21 से 30 नवंबर तक होगा।
- उद्यमिता और रोजगार को बढ़ावा देने का बड़ा मंच है।
- स्थानीय उद्योगों के लिए 160 से अधिक उद्यमियों की भागीदारी।
- स्वदेशी उत्पादों को प्रदर्शित करने का अवसर।
- ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएँ लागू।
लखनऊ, 21 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करने, स्थानीय उद्यमिता को मजबूत करने और परंपरागत कला तथा खादी आधारित उद्योगों को नए बाजारों से जोड़ने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। इसी दिशा में, 21 से 30 नवंबर तक लखनऊ स्थित केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय गोमती नगर में 10 दिवसीय 'खादी महोत्सव 2025' का आयोजन किया जा रहा है।
इस महोत्सव का उद्घाटन प्रदेश के सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यम तथा खादी ग्रामोद्योग के मंत्री राकेश सचान ने किया। यह महोत्सव प्रदेश में रोजगार और स्वरोजगार को बढ़ावा देने के साथ-साथ स्वदेशी उत्पादों को एक बड़े मंच पर प्रदर्शित करने का महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश में खादी ग्रामोद्योग, हस्तशिल्प और पारंपरिक कला को प्रोत्साहित करने के लिए कई योजनाएँ लागू की गई हैं। 'वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट' योजना, पीएम एफएमई योजना और राज्य की सूक्ष्म उद्योग नीतियों के माध्यम से हजारों युवाओं को रोजगार मिला है। खादी महोत्सव इन्हीं प्रयासों का विस्तृत प्रदर्शन है, जो उद्यमियों को बाजार विस्तार, तकनीकी विकास और व्यापार के नए अवसर प्रदान करेगा।
यह आयोजन न केवल कारीगरों और बुनकरों का मनोबल बढ़ाता है बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नई ऊर्जा का संचार करता है। स्वदेशी उत्पादों की मांग बढ़ने से प्रदेश के स्थानीय उद्योगों को मजबूत आधार मिलेगा और उद्यमियों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी। खादी महोत्सव इस बात का प्रमाण है कि उत्तर प्रदेश सरकार स्थानीय उद्योग, परंपरागत कला और ग्रामीण रोजगार को मजबूत बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है और इसे प्रदेश की आर्थिक प्रगति का आधार बना रही है।
इस आयोजन में प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए 160 से अधिक उद्यमी और इकाइयां अपने उत्पादों का प्रदर्शन और बिक्री कर रही हैं। प्रदर्शनी में सहारनपुर का नक्काशीदार फर्नीचर, भदोही की कालीन, अमरोहा के गमछे और सदरी, सीतापुर की दरी और तौलिया, वाराणसी की रेशमी साड़ियां, प्रतापगढ़ के आंवला उत्पाद, लखनऊ की रॉयल हनी, मिट्टी कला, बीकानेरी पापड़, लेदर वस्त्र और कई स्वदेशी उत्पाद शामिल होंगे। यह विविधता प्रदेश की समृद्ध कला और कारीगरी की पहचान को उजागर करेगी।
महोत्सव के दौरान चयनित उद्यमियों और लाभार्थियों को सम्मानित किया जाएगा। साथ ही राज्य स्तरीय उत्कृष्ट इकाइयों को पुरस्कार दिए जाएंगे। सरकार द्वारा पांच-पांच चयनित लाभार्थियों को दोना मेकिंग मशीन, पॉपकॉर्न मशीन और हनी बॉक्स दिए जाएंगे। इसके अतिरिक्त चार लाभार्थियों को विद्युत चालित चाक और एक लाभार्थी को पग मिल मशीन प्रदान की जाएगी। इन मशीनों और उपकरणों से ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा और नए स्वरोजगार के अवसर सृजित होंगे। यह पहल स्थानीय युवाओं को स्वयं का व्यवसाय शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करेगी, जिससे क्षेत्रीय रोजगार में वृद्धि होगी।