क्या आपातकाल भारतीय लोकतंत्र के लिए काला धब्बा है? : एसपी सिंह बघेल

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क्या आपातकाल भारतीय लोकतंत्र के लिए काला धब्बा है? : एसपी सिंह बघेल

सारांश

आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर दिल्ली में 'संविधान हत्या दिवस' मनाया जाएगा। इस कार्यक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह शामिल होंगे। जानिए, आपातकाल को लेकर क्या कहते हैं नेता और इसकी गंभीरता पर चर्चा।

Key Takeaways

  • आपातकाल ने लोकतंत्र की नींव हिला दी थी।
  • इसका उद्देश्य केवल सत्ता की रक्षा करना था।
  • आपातकाल की काली छाया आज भी हमारे लोकतंत्र पर है।
  • कार्यक्रम में आपातकाल के घटनाक्रम का विस्तृत विवेचन होगा।
  • लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए कदम उठाए गए हैं।

नई दिल्ली, २४ जून (राष्ट्र प्रेस)। २५ जून १९७५ को इंदिरा गांधी की सरकार ने देश में आपातकाल लागू किया था। आपातकाल के ५० साल पूरे होने पर केंद्र ने दिल्ली सरकार के सहयोग से त्यागराज स्टेडियम में 'संविधान हत्या दिवस' मनाने का निर्णय लिया है। यह कार्यक्रम बुधवार को आयोजित किया जाएगा। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह होंगे। केंद्रीय राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल ने कहा कि १९७५ में लोकतंत्र की हत्या की गई थी।

समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए केंद्रीय राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल ने कहा, "१९७५ में भारत पर कोई आंतरिक या बाहरी खतरा नहीं था, कोई आर्थिक संकट भी नहीं था। इसके बावजूद सिर्फ अपनी कुर्सी बचाने के लिए आपातकाल लगाया गया और विपक्षी नेताओं को जेल भेजा गया। यह देश के लोकतंत्र की हत्या थी। आपातकाल भारत के लोकतंत्र पर एक कलंक की तरह है।"

दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने राष्ट्र प्रेस से कहा, "आपातकाल भारतीय लोकतंत्र और संविधान के लिए एक धब्बा है। अपनी कुर्सी बचाने के लिए देश पर आपातकाल थोपा गया था। इसी वजह से आपातकाल के ५० साल पूरे होने पर लोकतंत्र को मजबूत करने और आने वाली पीढ़ी को जागरूक करने के उद्देश्य से इस काले अध्याय की विवेचना होनी चाहिए और शोध होना चाहिए। इस तरह की मानसिकता को कुचला जाना जरूरी है।"

दिल्ली सरकार में मंत्री आशीष सूद ने कहा, "जो लोग इन दिनों लोकतंत्र की बात कर रहे हैं, उन्हें आपातकाल को याद करना चाहिए। किस प्रकार रातों-रात देश पर आपातकाल थोपा गया था। इन सभी विषयों का जवाब उन्हें देना चाहिए। इस विषय को जनता के बीच बार-बार लाए जाने की आवश्यकता है ताकि अगर भविष्य में किसी भी तरह की तानाशाही प्रवृत्ति पैदा हो तो उसके खिलाफ जय प्रकाश नारायण जैसा नेता खड़ा हो।"

अमित शाह के अलावा केंद्रीय रेल एवं आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव, केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता कार्यक्रम में उपस्थित रहेंगे।

कार्यक्रम के दौरान आपातकाल के पूरे घटनाक्रम का विवरण पेश किया जाएगा। भारत के पुरातन और जनभागीदारी वाले लोकतांत्रिक मूल्यों का प्रदर्शन किया जाएगा। साथ ही मोदी सरकार के ११ साल के कार्यकाल के दौरान लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए उठाए गए कदमों की भी जानकारी दी जाएगी।

Point of View

हमें यह समझना चाहिए कि आपातकाल ने भारतीय लोकतंत्र पर गहरा असर डाला। यह घटना केवल एक सरकार के लिए नहीं, बल्कि समस्त देश के लिए एक चेतावनी है। हमें इसे याद रखकर लोकतंत्र की रक्षा के लिए सतर्क रहना होगा।
NationPress
25/06/2025

Frequently Asked Questions

आपातकाल क्यों लगाया गया था?
आपातकाल 1975 में इंदिरा गांधी की सरकार द्वारा राजनीतिक कारणों से लगाया गया था, जबकि देश पर कोई तत्काल खतरा नहीं था।
आपातकाल के दौरान क्या हुआ था?
आपातकाल के दौरान कई विपक्षी नेताओं को जेल भेजा गया था और प्रेस पर रोक लगा दी गई थी।
आपातकाल का प्रभाव क्या था?
आपातकाल का प्रभाव भारतीय लोकतंत्र की नींव पर पड़ा और इससे नागरिक स्वतंत्रताओं का उल्लंघन हुआ।
इस बार आपातकाल के 50 साल क्यों मनाए जा रहे हैं?
इस बार आपातकाल के 50 साल पूरे होने पर इसे एक गंभीर मुद्दे के रूप में मनाया जा रहा है ताकि लोकतंत्र की रक्षा की जा सके।
कार्यक्रम में कौन-कौन शामिल होगा?
कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री, उपराज्यपाल और अन्य नेताओं के शामिल होने की उम्मीद है।