क्या अल्लूरी सीताराम राजू की 128वीं जयंती पर राजनाथ सिंह ने श्रद्धांजलि दी?

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क्या अल्लूरी सीताराम राजू की 128वीं जयंती पर राजनाथ सिंह ने श्रद्धांजलि दी?

सारांश

स्वतंत्रता सेनानी अल्लूरी सीताराम राजू की 128वीं जयंती पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उन्हें नमन किया। उनका बलिदान और संघर्ष आज भी प्रेरणा देता है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने भी उनकी देशभक्ति का गुणगान किया। आइए जानते हैं उनके जीवन के संघर्ष और योगदान के बारे में।

Key Takeaways

  • अल्लूरी सीताराम राजू का जन्म 4 जुलाई 1897 को हुआ।
  • उन्होंने राम्पा विद्रोह का नेतृत्व किया।
  • राजनाथ सिंह ने उन्हें जनजातीय गौरव बताया।
  • उनका बलिदान आज भी अमर है।
  • उनका संघर्ष आज की पीढ़ी के लिए प्रेरणा है।

नई दिल्ली, 4 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। स्वतंत्रता सेनानी अल्लूरी सीताराम राजू की 128वीं जयंती पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने इस महान स्वतंत्रता सेनानी को जनजातीय समुदायों का गौरव बताया। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने भी तेलुगू नायक के संघर्ष को प्रेरणादायक कहा।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लिखा, "उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ राम्पा विद्रोह का नेतृत्व किया और जनजातीय समुदायों के अधिकारों और सम्मान के लिए वे मजबूती से खड़े रहे। उनका बलिदान और संघर्ष का जीवन हमें न्याय और आत्मसम्मान की खोज में प्रेरित करता है।"

आंध्र प्रदेश के सीएम एन चंद्रबाबू नायडू ने अल्लूरी सीताराम राजू की जयंती पर एक्स पर लिखा, "मान्यम लोगों के सम्मान और जीवन की रक्षा के लिए, उन्होंने अंग्रेजों से मुकाबला किया और अपने प्राणों की आहुति दे दी। एक तेलुगू नायक जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को क्रांति की ओर प्रेरित किया। अल्लूरी की 128वीं जयंती के अवसर पर, आइए हम उनकी देशभक्ति और संघर्ष को याद करें।"

अल्लूरी सीताराम राजू की जयंती पर, देशभर में लोग उनके योगदान को याद कर रहे हैं। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में, जहां उनकी स्मृति विशेष रूप से जीवंत है, कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। स्कूलों और समुदायों में उनके जीवन पर चर्चाएं हो रही हैं, ताकि युवा पीढ़ी उनके साहस और समर्पण से प्रेरणा ले सके।

आपको बता दें, श्री अल्लूरी सीताराम राजू का जन्म 4 जुलाई 1897 को आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम के पास पांड्रंगी गांव में हुआ था। बचपन से ही उनमें देशभक्ति और सामाजिक न्याय की भावना थी। 1920 के दशक में, उन्होंने ब्रिटिश शासन की ज्यादतियों के खिलाफ राम्पा विद्रोह का नेतृत्व किया, जो विशेष रूप से जनजातीय समुदायों के अधिकारों और सम्मान के लिए लड़ा गया।

यह विद्रोह आंध्र प्रदेश के गोदावरी क्षेत्र में केंद्रित था, जहां ब्रिटिश नीतियों ने जनजातीय लोगों के जीवन को प्रभावित किया था। अल्लूरी ने स्थानीय जनजातियों को संगठित किया और गुरिल्ला युद्ध की रणनीति अपनाकर ब्रिटिश शासन को चुनौती दी। उनका साहस और नेतृत्व इतना प्रभावशाली था कि ब्रिटिश प्रशासन उन्हें "मान्यम वीरुडु," यानी "जंगल का नायक," कहने लगा।

7 मई 1924 को, मात्र 26 वर्ष की आयु में, वे ब्रिटिश सेना के साथ मुठभेड़ में शहीद हो गए, लेकिन उनका बलिदान आज भी अमर है।

Point of View

बल्कि यह हमें आज भी प्रेरित करती है। उनके संघर्ष ने जनजातीय समुदायों के अधिकारों के लिए एक नई दिशा दी।
NationPress
23/07/2025

Frequently Asked Questions

अल्लूरी सीताराम राजू का जन्म कब हुआ था?
उनका जन्म 4 जुलाई 1897 को हुआ था।
अल्लूरी सीताराम राजू ने किस विद्रोह का नेतृत्व किया?
उन्होंने राम्पा विद्रोह का नेतृत्व किया।
राजनाथ सिंह ने अल्लूरी सीताराम राजू को कैसे सम्मानित किया?
उन्होंने उन्हें जनजातीय समुदायों का गौरव बताया।
अल्लूरी सीताराम राजू का बलिदान कब हुआ?
वे 7 मई 1924 को शहीद हुए।
अल्लूरी सीताराम राजू का योगदान क्यों महत्वपूर्ण है?
उनका योगदान जनजातीय अधिकारों के लिए संघर्ष में महत्वपूर्ण है।