मार्गशीर्ष अमावस्या पर संगम में नहाने का महत्व क्या है?
सारांश
Key Takeaways
- मार्गशीर्ष अमावस्या का दिन पितरों के लिए खास है।
- संगम में स्नान करने से आशीर्वाद मिलता है।
- दान-पुण्य का फल 100 गुना अधिक होता है।
- इस दिन दान करना आवश्यक है।
- संगम पर स्नान से मानसिक और शारीरिक कल्याण होता है।
प्रयागराज, 20 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। मार्गशीर्ष महीने की अमावस्या हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन अपने पितरों के लिए किया गया दान-पुण्य 100 गुना अधिक फल और सुख समृद्धि देता है।
प्रयागराज के संगम पर श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा रहे हैं और अपने पितरों की शांति के लिए तर्पण कर रहे हैं। गुरुवार की सुबह से ही संगम पर ब्रह्म मुहूर्त से श्रद्धालु स्नान कर रहे हैं। घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी जा रही है। स्नान के साथ श्रद्धालु अपने पितरों की शांति के लिए अन्न और वस्त्रों का दान कर रहे हैं।
घाट पर स्नान करने पहुंचे श्रद्धालु ओम प्रकाश यादव ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि वे अमावस्या पर संगम में स्नान करने आए हैं। हमने अपने पूर्वजों के लिए स्नान किया और उनके नाम से दान-पुण्य भी किया है। वे बताते हैं कि मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन पितरों के नाम का स्नान आवश्यक है, क्योंकि इससे पितरों का आशीर्वाद मिलता है।
गोपाल गुरु तीर्थ पुरोहित ने मार्गशीर्ष अमावस्या का महत्व बताते हुए कहा कि इस दिन किसी भी नदी में पवित्र स्नान करने से कुल की उन्नति होती है। लेकिन अगर इस दिन संगम में स्नान किया जाए तो पारिवारिक, मानसिक और शारीरिक कल्याण होता है, साथ ही पितरों का भी कल्याण होता है। संगम तीन पवित्र नदियों का स्थान है और यहाँ स्नान करने से गंगा, यमुना और सरस्वती का आशीर्वाद मिलता है। उन्होंने कहा कि आज के दिन किया गया स्नान और दान पितरों को लगता है, जो हमारे भविष्य को कल्याणकारी बनाता है।
बुधवार सुबह 9:43 से अमावस्या का मुहूर्त शुरू हुआ था, जो गुरुवार को 12:16 बजे तक रहेगा। उदया तिथि के अनुसार, देशभर में गुरुवार को ही अमावस्या मानी जा रही है। आज के दिन मोटे अनाज, काले तिल, दालें और वस्त्रों का दान करना महत्वपूर्ण है। यदि किसी के पितृ शांत नहीं हैं, तो भी आज के दिन उनकी शांति के लिए पूजा-पाठ किया जाता है।