क्या अमेरिका को मंदी का डर सताने लगा है? भारत के साथ व्यापार वार्ता में 10-15 प्रतिशत टैरिफ पर होगी चर्चा

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क्या अमेरिका को मंदी का डर सताने लगा है? भारत के साथ व्यापार वार्ता में 10-15 प्रतिशत टैरिफ पर होगी चर्चा

सारांश

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। अमेरिका जल्द ही भारत पर टैरिफ को 10-15 प्रतिशत के दायरे में लाने की योजना बना रहा है। यह कदम मंदी के डर और भारत की बढ़ती आर्थिक ताकत का परिणाम है। जानिए इस व्यापार वार्ता के अन्य पहलुओं के बारे में।

Key Takeaways

  • भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता शुरू हो चुकी है।
  • अमेरिका भारत पर टैरिफ को 10-15 प्रतिशत तक कम करने की योजना बना रहा है।
  • भारत की अर्थव्यवस्था 2025 में 6.2 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है।
  • भारत का रिटेल मार्केट अगले पांच वर्षों में दोगुना हो सकता है।
  • क्रय शक्ति समता में भारत 2038 तक दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है।

नई दिल्ली, 19 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता की प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है। इस दौरान, देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने हाल ही में जानकारी दी कि अमेरिका जल्द ही भारत पर टैरिफ को 10-15 प्रतिशत के दायरे में लाने की योजना बना रहा है, जो कि वर्तमान में 50 प्रतिशत है।

टैरिफ में इस कमी के लिए अमेरिका का भारत के साथ बातचीत के लिए आना एक संयोग नहीं है, बल्कि यह हमारी बढ़ती आर्थिक ताकत और मजबूत स्थिति का परिणाम है, साथ ही अमेरिका को मंदी का भी डर सताने लगा है।

इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (आईएमएफ) के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था 2025 में 6.2 प्रतिशत और 2026 में 6.3 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है, जबकि इस दौरान वैश्विक विकास दर क्रमशः 3 प्रतिशत और 3.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

इस विकास दर के साथ, भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहेगा। भारत इस समय तेजी से विकास कर रहा है, जब पूरी दुनिया टैरिफ और अनिश्चितता का सामना कर रही है।

रेटिंग एजेंसी फिच के अनुसार, 2025 में अमेरिका की अर्थव्यवस्था की विकास दर 1.6 प्रतिशत तक गिर सकती है, जो कि 2024 में 2.8 प्रतिशत थी।

भारत एक ओर जहाँ अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है, वहीं दूसरी ओर यह एक मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में भी तेजी से उभर रहा है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत वैश्विक स्तर पर चीन का एक मजबूत विकल्प बनकर उभरा है, जहाँ दुनिया के विभिन्न दिग्गज कारोबारी समूहों ने निवेश किया है। टेस्ला, एप्पल और सेमीकंडक्टर से जुड़ी कई प्रमुख कंपनियों ने भी भारत का रुख किया है।

दुनिया की बड़ी कंपनियाँ चीन से अपना उत्पादन स्थानांतरित करके भारत में अपनी फैक्ट्रियाँ स्थापित कर रही हैं। अमेरिका की प्रमुख टेक कंपनी एप्पल ने वित्त वर्ष 25 में 22 अरब डॉलर से अधिक के आईफोन की असेंबलिंग भारत में की है, जो कि पिछले वर्ष की अपेक्षा 60 प्रतिशत अधिक है।

भारत में आईफोन की बिक्री भी तेजी से बढ़ रही है। शुक्रवार को आईफोन 17 सीरीज की बिक्री देश में शुरू हो गई है, जिसके लिए एप्पल स्टोर्स के बाहर लंबी कतारें देखी जा रही हैं।

अमेरिका के साथ टैरिफ में कमी के लिए बातचीत की एक प्रमुख वजह हमारा तेजी से बढ़ता हुआ रिटेल सेक्टर भी है।

अगस्त में जारी डेलॉइट-फिक्की की रिपोर्ट के अनुसार, भारत का रिटेल मार्केट अगले पाँच वर्षों में लगभग दोगुना हो सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का रिटेल मार्केट 2030 तक 1.93 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँच सकता है, जो कि 2024 में 1.06 ट्रिलियन डॉलर था।

भारत-अमेरिका के बीच व्यापार सौदे की शुरुआत का एक कारण ब्रिक्स द्वारा अपनी करेंसी लॉन्च करने की योजना भी है, जिससे डॉलर की वैश्विक स्थिति को बड़ा नुकसान पहुँचा सकता है।

भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील की बातचीत मंगलवार को शुरू हो चुकी है। अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि मंडल नई दिल्ली में बातचीत के लिए आया हुआ है।

क्रय शक्ति समता (पीपीपी) के संदर्भ में, भारत 2038 तक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है।

क्रय शक्ति समता एक आर्थिक सिद्धांत है, जो विभिन्न देशों में वस्तुओं और सेवाओं की एक मानक टोकरी की लागत की तुलना करके मुद्राओं के सापेक्ष मूल्य को मापता है।

आईएमएफ के अनुमानों पर आधारित ईवाई रिपोर्ट के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था 2030 तक 20.7 ट्रिलियन डॉलर (पीपीपी के संदर्भ में) तक पहुँच सकती है, जो अमेरिका, चीन, जर्मनी और जापान से बेहतर स्थिति में होगी।

ट्रेड डील को लेकर वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय व्यापार की निरंतर महत्वता को स्वीकार करते हुए सकारात्मक और भविष्य की ओर उन्मुख चर्चाएँ की हैं। बातचीत में व्यापार समझौते से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर चर्चा हुई और यह निर्धारित किया गया कि एक पारस्परिक रूप से लाभकारी समझौते को जल्द से जल्द नतीजे तक पहुँचाने के प्रयास तेज किए जाएंगे।

इससे पहले, केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने 11 सितंबर को यह विश्वास जताया था कि भारत-अमेरिका के बीच व्यापार सौदे का पहला चरण नवंबर तक अंतिम रूप ले सकता है। उन्होंने कहा था कि दोनों देशों के बीच चर्चा सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रही है और दोनों पक्ष अब तक की प्रगति से संतुष्ट हैं।

Point of View

भारत की बढ़ती आर्थिक ताकत एक सकारात्मक संकेत है। हमें इस मौके को भुनाना चाहिए और वैश्विक व्यापार में अपनी स्थिति को मजबूत करना चाहिए।
NationPress
19/09/2025

Frequently Asked Questions

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता में क्या चर्चा होगी?
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता में टैरिफ के दायरे को 10-15 प्रतिशत तक लाने पर चर्चा होगी।
भारत की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर क्या है?
आईएमएफ के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था 2025 में 6.2 प्रतिशत और 2026 में 6.3 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी।
टैरिफ में कमी का भारत के लिए क्या महत्व है?
टैरिफ में कमी से भारत का निर्यात बढ़ेगा और वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।
भारत का रिटेल मार्केट कब तक दोगुना हो सकता है?
डेलॉइट-फिक्की की रिपोर्ट के अनुसार, भारत का रिटेल मार्केट अगले पांच वर्षों में दोगुना हो सकता है।
क्रय शक्ति समता में भारत की स्थिति क्या होगी?
क्रय शक्ति समता में भारत 2038 तक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है।