क्या अमेरिकी दूतावास ने 26/11 में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी और आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई का समर्थन किया?

Click to start listening
क्या अमेरिकी दूतावास ने 26/11 में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी और आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई का समर्थन किया?

सारांश

26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले की 17वीं बरसी पर अमेरिकी दूतावास ने श्रद्धांजलि दी। अमेरिका ने इस हमले के खिलाफ भारत के प्रयासों का समर्थन किया है। इजरायल ने भी आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ खड़े रहने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

Key Takeaways

  • अमेरिकी दूतावास ने 26/11 के हमले की 17वीं बरसी पर श्रद्धांजलि दी।
  • अमेरिका ने भारत के आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष का समर्थन किया।
  • इजरायल ने भी भारत के साथ खड़े रहने की प्रतिबद्धता जाहिर की।
  • हमले में 166 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें छह अमेरिकी नागरिक शामिल थे।
  • राणा का प्रत्यर्पण एक महत्वपूर्ण कदम है।

नई दिल्ली, 26 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। आज भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में 26 नवंबर 2008 को हुए आतंकवादी हमले में मारे गए लोगों को पूरे देश द्वारा याद किया जा रहा है। अन्य देशों ने भी इस भयावह घटना की निंदा की है और मृतकों को श्रद्धांजलि दी है। इस संदर्भ में, अमेरिका ने भी 26/11 हमले की आलोचना की।

भारत में अमेरिकी दूतावास ने 26/11 की 17वीं बरसी पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "आज मुंबई में 26/11 के आतंकवादी हमलों की 17वीं वर्षगांठ है। हम मारे गए लोगों को सम्मान देते हैं और जिन लोगों ने इसे सहा है, उनके परिवारों के साथ खड़े हैं। अमेरिका ने लंबे समय से भारत की उन प्रयासों का समर्थन किया है ताकि इन हमलों के लिए ज़िम्मेदार लोगों को सजा मिल सके। महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, अमेरिका ने इस वर्ष तहव्वुर हुसैन राणा को भारत को सौंपा।"

अमेरिकी दूतावास ने आगे बताया कि राणा पर 2008 के भयानक मुंबई आतंकी हमलों की साजिश में शामिल होने का आरोप है। इस हमले में छह अमेरिकियों समेत 166 लोगों की दुखद मौत हुई थी। राणा का प्रत्यर्पण उन पीड़ितों और उनके परिवारों को न्याय दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

अमेरिकी दूतावास ने लिखा, "जब हम 26/11 के पीड़ितों को याद करते हैं, तो हम अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार के साथ मिलकर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई जारी रखने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हैं।"

इससे पहले, भारत में इजरायली राजदूत रियूवेन अजार ने भी दुःख प्रकट किया। इजरायल ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के प्रति समर्थन की प्रतिबद्धता को दोहराया। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा किए गए एक वीडियो संदेश में, अजार ने कहा कि इस हमले में हर समुदाय, देश और धर्म के लोगों को निशाना बनाया गया।

उन्होंने कहा कि इजरायल आतंकवाद में निर्दोष लोगों की जान जाने के दर्द को समझता है और साहस और दृढ़ता से इसका सामना कर रहा है।

अजार ने कहा, "आज, जब भारत 26/11 के भयानक मुंबई आतंकी हमलों की वर्षगांठ मना रहा है, मैं और इजरायल के लोग, भारत के लोगों के साथ खड़े हैं, ठीक उसी तरह जैसे हम उस काले दिन और उसके बाद हर साल खड़े होते हैं। 26/11 केवल मुंबई पर हमला नहीं था, बल्कि यह मानवता पर हमला था।"

उन्होंने कहा कि इसने हर समुदाय, हर देश, हर धर्म, भारतीयों और इजरायलियों को एक समान निशाना बनाया। दुर्भाग्यवश, इजरायल इस दर्द को समझता है। हम जानते हैं कि आतंकवादी घटनाओं में निर्दोष लोगों की जान जाने का क्या अर्थ होता है। भारत और इजरायल का संयुक्त अनुभव ही एक "गहरी और स्थायी साझेदारी" की नींव है। आज, हम 26/11 के पीड़ितों को याद करते हैं। हम उन बहादुर अधिकारियों, सुरक्षा बलों और पहले उत्तरदाताओं का सम्मान करते हैं जिन्होंने महान बलिदान देकर शहर की रक्षा की, और हम उन परिवारों के साथ खड़े हैं जिनकी ज़िंदगी हमेशा के लिए बदल गई।

Point of View

हम सभी को एकजुटता दिखानी चाहिए और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अपने सहयोगियों के साथ खड़े रहना चाहिए। यह एक ऐसा मुद्दा है जो न केवल भारत, बल्कि पूरी मानवता को प्रभावित करता है।
NationPress
26/11/2025

Frequently Asked Questions

26/11 के हमले में कितने लोग मारे गए?
इस हमले में कुल 166 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें छह अमेरिकी नागरिक भी शामिल थे।
अमेरिका ने हाल ही में क्या कदम उठाया?
अमेरिका ने तहव्वुर हुसैन राणा को भारत को सौंपा, जो 2008 के हमले की साजिश में शामिल था।
इजरायल का इस हमले पर क्या रुख है?
इजरायल ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ खड़े रहने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है।
Nation Press