क्या आर्य समाज ने राष्ट्रवाद और भारतीयता की अलख जगाई?

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क्या आर्य समाज ने राष्ट्रवाद और भारतीयता की अलख जगाई?

सारांश

प्रधानमंत्री मोदी ने आर्य महासम्मेलन में स्वामी दयानंद सरस्वती को नमन किया। उनके विचारों का महत्व बताते हुए, मोदी ने आर्य समाज के योगदान को उजागर किया है। जानिए कैसे यह संस्था राष्ट्रभक्ति और सामाजिक सुधार में अग्रणी रही है।

Key Takeaways

  • आर्य समाज ने पिछले डेढ़ सौ वर्षों में अद्भुत कार्य किए हैं।
  • स्वामी दयानंद सरस्वती के विचारों का आज भी महत्व है।
  • महिलाओं की शिक्षा को बढ़ावा देने में आर्य समाज का योगदान महत्वपूर्ण है।
  • गुरुकुल परंपरा को जीवित रखने का कार्य आर्य समाज ने किया।
  • भारत आज सस्टेनेबल डेवलपमेंट के लिए एक अग्रणी ग्लोबल एडवोकेट बन रहा है।

नई दिल्ली, 31 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को दिल्ली में आयोजित 'अंतरराष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन- 2025' में भाग लिया। उन्होंने स्वामी दयानंद सरस्वती की 150वीं जयंती पर आर्य समाज के योगदान और उनके विचारों को नमन करते हुए कहा कि आर्य समाज ने पिछले डेढ़ सौ वर्षों से राष्ट्रभक्ति, भारतीय संस्कृति और सामाजिक सुधार के क्षेत्र में अद्भुत कार्य किए हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि आज जब आर्य समाज की स्थापना के 150 वर्ष हो रहे हैं, तो समाज और देश स्वामी दयानंद सरस्वती जी के महान विचारों को इस विराट स्वरूप में नमन कर रहा है।

उन्होंने कहा कि आर्य समाज अपनी स्थापना से लेकर आज तक एक प्रबल राष्ट्रभक्त संस्था रही है, जिसने सदैव भारतीयता की भावना को जीवित रखा है। आर्य समाज ने विदेशी विचारधाराओं, विभाजनकारी मानसिकता और सांस्कृतिक प्रदूषण के हर दुष्प्रयास को खुलकर चुनौती दी है।

उन्होंने स्वामी दयानंद सरस्वती को एक 'युगद्रष्टा महापुरुष' बताते हुए कहा कि स्वामी दयानंद ने समाज में महिलाओं की भूमिका को अत्यंत महत्वपूर्ण माना। उन्होंने उस सोच को चुनौती दी, जिसने नारी को घर की चौखट तक सीमित कर रखा था। स्वामी दयानंद ने महिलाओं की शिक्षा को प्रोत्साहन देने के लिए आर्य समाज के विद्यालयों में बेटियों के लिए शिक्षा की शुरुआत की। जालंधर में आरंभ हुआ कन्या विद्यालय आगे चलकर कन्या महाविद्यालय बन गया और ऐसे ही संस्थानों में पढ़ी लाखों बेटियां आज राष्ट्र की नींव को मजबूत कर रही हैं।

उन्होंने कहा कि आर्य समाज के जिन कार्यों का ऋण देश पर है, उनमें एक महान कार्य देश की गुरुकुल परंपरा को जीवित रखना भी है। एक समय गुरुकुलों की ताकत से ही भारत ज्ञान-विज्ञान के शिखर पर था। गुलामी के दौर में इस व्यवस्था पर जान-बूझकर प्रहार किए गए। इससे हमारे संस्कार नष्ट हुए, नई पीढ़ी कमजोर हुई। आर्य समाज ने आगे आकर ध्वस्त होती गुरुकुल परंपरा को बचाया।

प्रधानमंत्री मोदी ने महिलाओं की प्रगति के उदाहरण देते हुए कहा कि आज भारत की बेटियां हर क्षेत्र में देश का नाम रोशन कर रही हैं। उन्होंने कहा कि अभी दो दिन पहले ही हमारी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी ने राफेल फाइटर प्लेन में उड़ान भरी। इसमें उनकी साथी बनीं, स्क्वाड्रन लीडर शिवांगी सिंह। आज हमारी बेटियां फाइटर जेट उड़ा रही हैं और ड्रोन दीदी बनकर आधुनिक कृषि को भी बढ़ावा दे रही हैं।

उन्होंने आगे कहा कि आज भारत सस्टेनेबल डेवलपमेंट के लिए एक अहम ग्लोबल एडवोकेट के तौर पर उभरा है। स्वामी विवेकानंद की वेदों की समझ को अपनाने की अपील की तरह ही, भारत अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वैदिक सिद्धांतों और जीवनशैली को अपनाने की वकालत कर रहा है। इस विजन को आगे बढ़ाने के लिए, देश ने मिशन लाइफ लॉन्च किया है।

Point of View

बल्कि यह भी बताता है कि आज की युवा पीढ़ी को इन मूल्यों को अपनाने की आवश्यकता है।
NationPress
31/10/2025

Frequently Asked Questions

आर्य समाज की स्थापना कब हुई थी?
आर्य समाज की स्थापना 1875 में स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा की गई थी।
आर्य समाज के मुख्य उद्देश्य क्या हैं?
आर्य समाज का मुख्य उद्देश्य सामाजिक सुधार, शिक्षा और भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देना है।
स्वामी दयानंद सरस्वती का योगदान क्या है?
स्वामी दयानंद सरस्वती ने भारतीय समाज में महिलाओं की शिक्षा और समानता के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए।
आर्य समाज ने किस प्रकार के सुधार किए हैं?
आर्य समाज ने सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक सुधार किए हैं, जिसमें जातिवाद और अंधविश्वास का विरोध शामिल है।
आर्य महासम्मेलन में क्या चर्चा हुई?
आर्य महासम्मेलन में स्वामी दयानंद सरस्वती के विचारों और आर्य समाज के योगदान पर चर्चा की गई।