क्या अश्विनी चौबे ने एलएन मिश्र हत्याकांड को एक संगठित साजिश बताया और राहुल गांधी को आईना दिखाया?
सारांश
Key Takeaways
- ललित नारायण मिश्रा की हत्या को एक संगठित साजिश
- अश्विनी चौबे ने राहुल गांधी की टिप्पणी का विरोध किया
- सामाजिक न्याय का मुद्दा उठाया गया
- बिहार की राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप का खेल जारी है
- इस मामले की सच्चाई को उजागर करने की आवश्यकता है
मधुबनी, 5 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के मधुबनी में पूर्व केंद्रीय मंत्री ललित नारायण मिश्रा हत्याकांड को लेकर भाजपा नेता अश्विनी चौबे ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया और औरंगाबाद में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त की।
अश्विनी कुमार चौबे ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत के दौरान ललित नारायण मिश्रा की हत्या को एक संगठित साजिश करार दिया। उन्होंने बताया कि 2 जनवरी 1975 को समस्तीपुर में रेलवे लाइन के उद्घाटन समारोह के दौरान मंच पर हमला किया गया था, जिसमें मिश्रा गंभीर रूप से घायल हो गए थे और बाद में उनकी मृत्यु हो गई।
चौबे ने कहा, "ललित नारायण मिश्रा उस समय कैबिनेट मंत्री थे। उन पर मंच पर हमला हुआ, और यह हमला तीन लोगों की साजिश का परिणाम था। वहाँ कई लोग घायल हुए थे, जिनमें मिश्रा के भाई जगन नारायण मिश्रा भी शामिल थे।"
उन्होंने बताया कि घायल अवस्था में मिश्रा को पहले स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया और बाद में दानापुर रेलवे अस्पताल भेजा गया, जहाँ उनकी स्थिति लगातार नाजुक बनी रही। चौबे ने कहा कि इस मामले की सच्चाई को उजागर करने की आवश्यकता अभी भी बनी हुई है।
दूसरी ओर, उन्होंने सेना पर राहुल गांधी की टिप्पणी को लेकर तंज करते हुए कहा कि भारत के राष्ट्रपति से लेकर भारत के प्रधानमंत्री तक एससी और ओबीसी कोटे से हैं।
अश्विनी कुमार चौबे ने आगे कहा कि अंबेडकर को राज्यसभा और लोकसभा जिस खानदान ने नहीं पहुँचने दिया, वह आज संविधान की नकली कॉपी लेकर घूम रहा है।
गौरतलब है कि कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा था कि देश की सेना, कॉर्पोरेट क्षेत्र और नौकरशाही पर नियंत्रण देश की केवल 10 प्रतिशत आबादी के हाथों में है।
उन्होंने कहा था, "देश की 90 प्रतिशत आबादी (पिछड़े वर्ग, दलित, आदिवासी और अन्य अल्पसंख्यक) कहीं दिखाई नहीं देती। सभी अवसर सिर्फ 10 प्रतिशत लोगों के पास हैं।"
राहुल गांधी ने इसे सामाजिक न्याय का मुद्दा बताते हुए कहा कि देश में राष्ट्रीय जाति जनगणना जरूरी है ताकि पता चले कि विभिन्न वर्गों की वास्तविक हिस्सेदारी कितनी है। उन्होंने कहा कि संविधान की रक्षा तभी संभव है जब 90 प्रतिशत आबादी को समान भागीदारी मिले।
राहुल गांधी ने कहा था, "हमें डेटा चाहिए। कितने दलित, ओबीसी, महिलाएं और अल्पसंख्यक प्रणाली में शामिल हैं? अगर 90 प्रतिशत लोगों के पास अधिकार नहीं होंगे तो संविधान सुरक्षित नहीं रह सकता।"