क्या उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा की तैयारियों में जुटा है बस्ती प्रशासन?

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क्या उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा की तैयारियों में जुटा है बस्ती प्रशासन?

सारांश

उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में कांवड़ यात्रा की तैयारियों को लेकर प्रशासन ने सक्रियता दिखाई है। 5 लाख कांवड़िए अयोध्या से जल लेकर शिव रात्रि के दिन बाबा भद्रेश्वर नाथ मंदिर में जलाभिषेक करेंगे। जानें इस महत्वपूर्ण तीर्थ यात्रा की विशेषताएं और प्रशासन की तैयारियों के बारे में।

Key Takeaways

  • कांवड़ यात्रा एक महत्वपूर्ण हिंदू तीर्थयात्रा है।
  • बस्ती में 5 लाख कांवड़ियों की भागीदारी होगी।
  • प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्थाएं मजबूत की हैं।
  • श्रद्धालुओं की यात्रा को सुगम बनाने का प्रयास।
  • गंगा जल से शिवलिंग का अभिषेक करने का महत्व।

बस्‍ती, 17 जून (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश के बस्‍ती जिले में कांवड़ यात्रा के लिए प्रशासन ने अपनी तैयारियों को तेज कर दिया है। यहाँ लगभग 5 लाख कांवड़िए अयोध्या से जल लेकर बाबा भद्रेश्वर नाथ मंदिर में शिव रात्रि के दिन जलाभिषेक करते हैं। अपर पुलिस अधीक्षक ओपी सिंह ने यह जानकारी दी।

अपर पुलिस अधीक्षक ओपी सिंह ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में बताया कि अगले माह 11 जुलाई से सावन का महीना शुरू होने जा रहा है। बस्‍ती से शिवरात्रि के विशेष अवसर पर लगभग 5 लाख कांवड़िए अयोध्‍या से जल लेकर भद्रेश्वर नाथ मंदिर में जलाभिषेक करेंगे।

उन्‍होंने बताया कि जिले में कई अन्य मंदिरों में भी हजारों श्रद्धालु जलाभिषेक करते हैं। सावन के दौरान पुलिस और प्रशासन द्वारा व्यापक सुरक्षा व्यवस्थाएं की जा रही हैं। प्रशासन ने एनएचआई, मेला प्रशासन और कांवड़ समिति के साथ मिलकर कांवड़ यात्रा को सुरक्षित बनाने की तैयारी की है। प्रशासन का उद्देश्य श्रद्धालुओं की यात्रा को सुगम बनाना है। इस दौरान आम जनता को किसी प्रकार की परेशानी न हो, इसके लिए यातायात को भी डायवर्ट किया जाएगा।

गौरतलब है कि कांवड़ यात्रा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण तीर्थयात्रा मानी जाती है। यह विशेष रूप से भगवान शिव के भक्तों के लिए आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह यात्रा मुख्य रूप से सावन मास (जुलाई-अगस्त) में होती है, जिसमें लाखों कांवड़िए गंगा नदी से पवित्र जल लेकर शिव मंदिरों, जैसे हरिद्वार के नीलकंठ महादेव, वैद्यनाथ धाम या स्थानीय शिवालयों में चढ़ाते हैं।

कांवड़ यात्रा भगवान शिव के प्रति गहरी भक्ति और समर्पण का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि गंगा जल से शिवलिंग का अभिषेक करने से पापों का नाश होता है, मनोकामनाएं पूरी होती हैं और शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

Point of View

जो न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। प्रशासन की तैयारियाँ इस बात को दर्शाती हैं कि वे श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा को प्राथमिकता दे रहे हैं। ऐसे आयोजनों से न केवल धार्मिक भावनाएं जागृत होती हैं, बल्कि समाज में एकता का भी संदेश जाता है।
NationPress
20/06/2025

Frequently Asked Questions

कांवड़ यात्रा कब होती है?
कांवड़ यात्रा मुख्य रूप से सावन मास (जुलाई-अगस्त) में होती है।
कौन से मंदिरों में कांवड़ियों द्वारा जलाभिषेक किया जाता है?
कांवड़िए गंगा नदी से जल लेकर हरिद्वार के नीलकंठ महादेव, वैद्यनाथ धाम और स्थानीय शिवालयों में जलाभिषेक करते हैं।
बस्ती जिले में कितने कांवड़िए जलाभिषेक करते हैं?
बस्ती जिले में लगभग 5 लाख कांवड़िए जलाभिषेक करते हैं।
प्रशासन किस तरह की सुरक्षा व्यवस्था कर रहा है?
प्रशासन एनएचआई, मेला प्रशासन और कांवड़ समिति के साथ मिलकर सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित कर रहा है।
कांवड़ यात्रा का धार्मिक महत्व क्या है?
कांवड़ यात्रा भगवान शिव के प्रति भक्ति और समर्पण का प्रतीक है।