क्या बेलूर यूथ सोसाइटी की पहल से बेजुवानों की रक्षा संभव है?

सारांश
Key Takeaways
- आवारा पशुओं की सुरक्षा के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है।
- संवेदनशीलता और जिम्मेदारी को बढ़ावा देना आवश्यक है।
- बेलूर यूथ सोसाइटी की पहल समाज में बदलाव लाने में सहायक है।
हावड़ा, 29 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। पश्चिम बंगाल के हावड़ा में इस वर्ष बेलूर यूथ सोसाइटी (बैलून नेताजी पार्क) ने दुर्गा पूजा के अवसर पर एक विशेष थीम "मौन" के साथ आवारा पशुओं के प्रति जागरूकता फैलाने का निर्णय लिया है।
इन जीवों में कुत्ते, बिल्लियां, पक्षी, गाय और बकरी जैसे मूक प्राणी शामिल हैं, जो बोल नहीं सकते, लेकिन इंसानों के साथ सदियों से जुड़े हुए हैं। सोसाइटी का उद्देश्य इन बेबस जीवों की सहायता करना और लोगों को उनके प्रति संवेदनशील बनाना है।
लोगों का मानना है कि कुत्ते इंसानों के सबसे भरोसेमंद साथी हैं। कई लोग इन पर भरोसा करके लंबे समय के लिए घर छोड़ सकते हैं, और कुत्ते उनकी सुरक्षा भी करते हैं। हालाँकि, कुछ लोग इन जानवरों से नफरत करते हैं और उन्हें पत्थर मारकर या पानी में डालकर परेशान करते हैं। कई बार घाटों के पास या सड़कों पर ये जीव दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवा देते हैं। इसके बावजूद, कुछ पशु प्रेमी इनकी देखभाल के लिए आगे आते हैं। वे अपने पैसे से इनका खाना जुटाते हैं और बीमारी होने पर उनका इलाज भी करवाते हैं। सुबह के समय लोग कबूतरों को दाना-पानी देते हैं, जिससे छतों पर इन पक्षियों की भीड़ देखी जा सकती है।
दुख की बात है कि इन मूक जीवों को अक्सर इंसानों की लापरवाही और क्रूरता का शिकार होना पड़ता है, जिससे वे घायल और बीमार हो जाते हैं। बेलूर ग्रीन यूथ सोसाइटी ने इस वर्ष इन अबला जीवों के लिए एक मुहिम शुरू की है। उनका लक्ष्य इनके भोजन की व्यवस्था करना और बीमार जीवों को बुनियादी इलाज उपलब्ध कराना है।
सोसाइटी के सदस्यों का कहना है कि इस पहल से लोगों को जागरूक करने और पशु-पक्षियों पर अत्याचार रोकने में मदद मिलेगी।
दुर्गा पूजा के इस मौके पर सोसाइटी ने पूजा मंडप में इस संदेश को खूबसूरती से प्रस्तुत किया है, जो लोगों की आंखों में चमक ला रहा है। यह मुहिम न केवल इन जीवों की रक्षा के लिए है, बल्कि इंसानों में संवेदना और जिम्मेदारी की भावना भी जागृत करेगी।