क्या ट्रेडिशनल मेडिसिन में भारत और डब्ल्यूएचओ मिलकर व्यापक काम कर रहे हैं?

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क्या ट्रेडिशनल मेडिसिन में भारत और डब्ल्यूएचओ मिलकर व्यापक काम कर रहे हैं?

सारांश

जामनगर स्थित आयुर्वेद संस्थान पारंपरिक चिकित्सा पर गहन रिसर्च कर रहा है। डॉ. गीता कृष्ण गोपाल कृष्ण पिल्लै ने बताया कि भारत और डब्ल्यूएचओ मिलकर इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति कर रहे हैं। जानिए कैसे यह पहल पारंपरिक चिकित्सा को पुनर्जीवित कर सकती है।

Key Takeaways

  • पारंपरिक चिकित्सा का वैश्विक महत्व बढ़ रहा है।
  • भारत और WHO मिलकर रिसर्च कर रहे हैं।
  • एक नई लाइब्रेरी का निर्माण किया जा रहा है।
  • ग्लोबल समिट का आयोजन सितंबर 2025 में होगा।
  • 10 वर्षों में पारंपरिक चिकित्सा में प्रगति होगी।

जामनगर, 11 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। गुजरात के जामनगर में स्थित आयुर्वेद शिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान (आईटीआरए) पारंपरिक चिकित्सा को उसकी पुरानी पहचान वापस दिलाने के लिए प्रयासरत है। इस संस्थान में ट्रेडिशनल मेडिसिन रिसर्च एंड एविडेंस यूनिट के प्रमुख डॉ. गीता कृष्ण गोपाल कृष्ण पिल्लै ने शुक्रवार को पारंपरिक चिकित्सा में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में जानकारी दी।

डॉ. पिल्लै ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस को बताया, "इस संस्थान की स्थापना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक के बीच चर्चा के बाद की गई थी। इसका उद्देश्य दुनिया भर की दवाओं की रिसर्च, प्रगति और इस्तेमाल की जानकारी एकत्रित करना है। दोनों वैश्विक नेताओं का मानना है कि पारंपरिक दवाओं का बहुत उपयोग हो रहा है, लेकिन इसका उपयोग सही तरीके से नहीं हो रहा है।"

उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में अभी बहुत काम करना बाकी है। पूर्व में इस क्षेत्र की अनदेखी की गई थी, लेकिन अब ऐसा नहीं होना चाहिए। भारत सरकार और डब्ल्यूएचओ चाहते हैं कि पारंपरिक चिकित्सा को उचित बढ़ावा मिले। इस मिशन को साकार करने के लिए तेजी से कार्य किया जा रहा है। कई दवाओं पर रिसर्च चल रही हैं, जिनका बहुत सकारात्मक परिणाम मिल रहा है।

पिल्लै ने बताया कि एक ऐसी लाइब्रेरी बनाई जा रही है, जिसमें दुनिया की सभी पारंपरिक चिकित्सा पर गहन रिसर्च करके जानकारी इकट्ठा की जाएगी, ताकि लोगों तक इसकी आसान पहुँच सुनिश्चित की जा सके। इस समय हमारा कार्य वैश्विक स्तर पर है। भारत इसका समर्थन कर रहा है। रिसर्च सेंटर में वर्तमान में 8-9 लोग कार्यरत हैं। अगले छह महीने में हमारी संख्या बढ़कर 24 हो जाएगी। भारत सरकार द्वारा हमें नया सेंटर दिया जा रहा है। सितंबर 2025 में हमारा दूसरा ग्लोबल समिट दिल्ली में होगा, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी सहित कई राज्य के नेता उपस्थित होंगे। वे कार्य की प्रगति का अवलोकन करेंगे। इस समिट में विश्व के प्रमुख लोग शामिल होंगे। अगले 10 वर्षों में पारंपरिक चिकित्सा में वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण प्रगति होगी।

केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री प्रताप राव जाधव ने कहा, "आज हम अनुसंधान और आयुर्वेद के क्षेत्र में अपनी प्रतिष्ठा का जश्न मना रहे हैं, जिसे पूरे भारत में मान्यता प्राप्त है। संस्थान का दीक्षांत समारोह कल (शनिवार को) होना है, और आज मैं संस्थान की शासी निकाय की बैठक की अध्यक्षता करने के लिए यहाँ उपस्थित हूँ। जामनगर का नाम आयुर्वेद के क्षेत्र में विश्व स्तर पर प्रसिद्ध है। हमारे मंत्रालय का प्रयास है कि इसे और आगे बढ़ाया जाए।"

Point of View

यह स्पष्ट है कि पारंपरिक चिकित्सा का महत्व आज के आधुनिक चिकित्सा क्षेत्र में भी कम नहीं हुआ है। भारत और WHO का यह सहयोग न केवल हमारी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करेगा, बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य में भी एक नई दिशा प्रदान करेगा। यह समय है कि हम अपने पारंपरिक ज्ञान को एक नई पहचान दें।
NationPress
23/07/2025

Frequently Asked Questions

भारत और WHO का सहयोग किस क्षेत्र में है?
भारत और WHO का सहयोग पारंपरिक चिकित्सा के रिसर्च और विकास में है।
ITRA का उद्देश्य क्या है?
ITRA का उद्देश्य पारंपरिक चिकित्सा को पुनर्जीवित करना और उसकी पहचान को वैश्विक स्तर पर स्थापित करना है।
ग्लोबल समिट कब होगा?
ग्लोबल समिट सितंबर 2025 में दिल्ली में आयोजित किया जाएगा।