क्या भारत की एकता के शिल्पकार सरदार पटेल वास्तव में लौह पुरुष हैं?

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क्या भारत की एकता के शिल्पकार सरदार पटेल वास्तव में लौह पुरुष हैं?

सारांश

सरदार पटेल की जयंती पर पीएम मोदी ने उनकी जीवन गाथा और योगदान का स्मरण किया। जानते हैं क्यों वे हैं भारत के लौह पुरुष और किस प्रकार उन्होंने देश की एकता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस लेख में सरदार पटेल की अद्भुत क्षमताओं का विवरण है।

Key Takeaways

  • सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को हुआ था।
  • उन्हें लौह पुरुष के रूप में जाना जाता है।
  • उनकी संगठन क्षमता अद्वितीय थी।
  • उन्होंने विभिन्न रियासतों को एकजुट किया।
  • उनकी नीतियों ने आज़ाद भारत की सिविल सेवा की नींव रखी।

नई दिल्ली, 31 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पूर्व वक्तव्यों को पुनः साझा करते हुए मोदी आर्काइव ने भारत के लौह पुरुष की अदम्य गाथा को स्मरण किया। पीएम मोदी ने विभिन्न अवसरों पर सरदार पटेल के व्यक्तित्व, उनके योगदान और भारत की एकता में उनकी निर्णायक भूमिका पर विस्तार से चर्चा की।

31 अक्टूबर 2012 को सरदार साहब की जयंती पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, "सरदार साहब की जयंती पर पूरा देश उन्हें नमन करता है। वे भारत की एकता और अखंडता के प्रतीक रहे हैं। जब भी देश की एकता पर संकट आता है तो हर भारतीय के दिल से एक ही आवाज उठती है कि आज यदि सरदार साहब होते तो...। यही उनके लिए सबसे बड़ी श्रद्धांजलि है।"

28 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री ने एकता के इस सूत्र को सहजता से समझाते हुए कहा था, "हमारे देश में कश्मीर से कन्याकुमारी तक ट्रेन चलती है, जो हिमालय की गोद से निकलकर सागर के किनारे तक पहुंचती है। इस सफर में कई राज्य आते हैं, लेकिन हमें न किसी राज्य का परमिट चाहिए, न वीजा, न टैक्स देना पड़ता है। यह सब संभव हुआ सरदार पटेल के कारण, जिन्होंने इस अखंड भारत की नींव रखी।"

1 नवंबर 2019 को प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि सरदार पटेल ने यह दिखाया कि सामान्य जन के जीवन में बदलाव के लिए बुलंद इच्छा शक्ति कितनी आवश्यक है। उन्होंने याद किया कि अहमदाबाद नगरपालिका में रहते हुए पटेल ने सीमित संसाधनों में ही शहर को पूरी तरह बदल दिया था। यही वह दृष्टि थी जिससे आजाद भारत की सिविल सेवा की रूपरेखा बनी।

प्रधानमंत्री ने सरदार पटेल की संगठन क्षमता पर प्रकाश डालते हुए कहा था कि सरदार पटेल में लोगों को एकजुट करने की अद्भुत शक्ति थी। वे उन लोगों से भी तालमेल बैठा लेते थे जिनसे वैचारिक मतभेद होते थे। वे 'मैन ऑफ डिटेल' थे, जो हर बारीकी को समझते थे।"

उन्होंने कहा था कि सरदार पटेल का योगदान केवल देश के एकीकरण तक सीमित नहीं था। उन्होंने लक्षद्वीप जैसे छोटे द्वीप समूह को भी भारत का अभिन्न हिस्सा बनाए रखने में निर्णायक भूमिका निभाई। 1947 में जब पड़ोसी देश ने लक्षद्वीप पर झंडा फहराने की कोशिश की, सरदार साहब ने तुरंत कार्रवाई कर वहां तिरंगा लहराया और भारत की संप्रभुता को सुरक्षित किया।

30 अक्टूबर 2013 को पीएम मोदी ने कहा था कि 1919 में सरदार पटेल अहमदाबाद नगरपालिका के काउंसलर थे और उसी समय उन्होंने महिला आरक्षण का प्रस्ताव पारित कराया था, जो उस युग में भी उनके प्रगतिशील दृष्टिकोण को दर्शाता है। उन्होंने यह भी कहा कि अर्बन प्लानिंग का कॉन्सेप्ट सबसे पहले सरदार पटेल ने ही विकसित किया था।

पीएम मोदी ने कहा था कि हर किसान आंदोलन को गांव-गांव तक पहुंचाने में सरदार पटेल की बड़ी भूमिका थी। उनके संगठन कौशल का ही परिणाम है कि अमूल जैसी सहकारी संस्थाएं अस्तित्व में आईं। उन्होंने याद दिलाया कि 1942 में सरदार पटेल ने कोऑपरेटिव मिल्क यूनियन का विचार दिया था, जो बाद में भारत की 'श्वेत क्रांति' की नींव बनी।

पीएम मोदी ने सरदार पटेल के व्यक्तित्व के मानवीय पहलू को भी याद किया। उन्होंने कहा, "सरदार पटेल का सेंस ऑफ ह्यूमर अद्भुत था। गांधी जी कहा करते थे कि सरदार की बातें इतनी हंसाती थीं कि पेट में बल पड़ जाते थे। इससे हमें यह सीख मिलती है कि परिस्थितियां कितनी भी कठिन क्यों न हों, हमें अपने हास्यबोध को जिंदा रखना चाहिए।"

उन्होंने एक ऐतिहासिक संदर्भ देते हुए बताया कि 27 जनवरी 1947 को टाइम मैगजीन ने अपने कवर पेज पर सरदार पटेल की तस्वीर प्रकाशित की थी। उस अंक में भारत का जो नक्शा दिखाया गया था, वह आज के नक्शे जैसा नहीं था, तब देश में 550 से अधिक देशी रियासतें थीं। अंग्रेज भारत छोड़ना चाहते थे, लेकिन उसे टुकड़ों में बांटने की साजिश रच रहे थे। उस कठिन दौर में सरदार पटेल ने अपने साहस और नीति-कौशल से इन रियासतों को एक सूत्र में पिरोया।

31 अक्टूबर 2019 को सरदार पटेल को श्रद्धांजलि देते हुए पीएम मोदी ने कहा था, "कभी सरदार पटेल ने कहा था, यदि कश्मीर का मसला उनके पास होता, तो उसे सुलझाने में इतनी देर नहीं होती। वे चेतावनी देकर गए थे कि जम्मू-कश्मीर का पूर्ण एकीकरण ही इसका समाधान है। आज उनके जन्मदिवस पर मैं अनुच्छेद 370 हटाने के निर्णय को सरदार साहब को समर्पित करता हूं।"

-- राष्ट्र प्रेस

वीकेयू/डीकेपी

Point of View

हम यह मानते हैं कि सरदार पटेल का योगदान आज भी हमारे देश की एकता और अखंडता में महत्वपूर्ण है। उनका दृष्टिकोण और कार्य हमें प्रेरणा देते हैं कि हम सभी विभिन्नता के बावजूद एकजुट हो सकते हैं।
NationPress
31/10/2025

Frequently Asked Questions

सरदार पटेल का जन्म कब हुआ था?
सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को हुआ था।
सरदार पटेल को लौह पुरुष क्यों कहा जाता है?
उन्हें लौह पुरुष इसलिए कहा जाता है क्योंकि उन्होंने भारत के विभाजन के समय देश को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सरदार पटेल ने किस प्रकार की नीतियाँ बनाई?
उन्होंने राजनीतिक और सामाजिक नीतियों का निर्माण किया, जो आजादी के बाद भारत की सिविल सेवा की नींव बनी।
सरदार पटेल की संगठन क्षमता के बारे में क्या विशेष है?
उनकी संगठन क्षमता अद्वितीय थी, जिससे वे विभिन्न विचारधाराओं के लोगों को एक साथ लाने में सक्षम थे।
सरदार पटेल का योगदान आज किस प्रकार महत्वपूर्ण है?
उनका योगदान आज भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे भारत की एकता और अखंडता के प्रतीक हैं।