क्या भारत को आर्थिक असमानता और बेरोजगारी जैसी चुनौतियों का सामना करना होगा?: प्रियंका चतुर्वेदी

सारांश
Key Takeaways
- भारत को आर्थिक असमानता और बेरोजगारी से निपटने की आवश्यकता है।
- प्रियंका चतुर्वेदी ने आर्थिक नीति में सुधार की बात की।
- अमेरिका के टैरिफ से भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ सकता है।
- राहुल गांधी ने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए।
- वर्तमान में आर्थिक स्थिरता के लिए सक्रिय कदम उठाने की आवश्यकता है।
नई दिल्ली, 31 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। शिवसेना (यूबीटी) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भारत की आर्थिक स्थिति पर विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि देश निस्संदेह कई आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है।
चतुर्वेदी ने गुरुवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को साझा करते हुए कहा कि भारत को प्रति व्यक्ति आय बढ़ाने, धन की असमानता को कम करने, किसानों और व्यापारियों की चिंताओं का समाधान करने, और बेरोजगारी की समस्या का सामना करने की आवश्यकता है।
उन्होंने लिखा, "हां, भारत के सामने आर्थिक चुनौतियां हैं। हमें प्रति व्यक्ति आय पर ध्यान देना होगा। धन की असमानता को दूर करना है। किसानों और व्यापारियों की समस्याओं को समझना है। बेरोजगारी की समस्या से निपटना है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हमारी अर्थव्यवस्था पूरी तरह से ठप हो गई है। यह एक बढ़ा-चढ़ाकर कही गई बात है।"
चतुर्वेदी का यह बयान सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है। कई लोगों ने उनके विचार को समर्थन दिया, जबकि कुछ ने असहमति जताई।
उन्होंने यह बयान उस समय दिया जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से होने वाले आयात पर 25 प्रतिशत टैरिफ और अतिरिक्त दंडात्मक शुल्क लगाने की घोषणा की है, जो 1 अगस्त से लागू होगा।
ट्रंप के इस फैसले पर देश में राजनीति तेज हो गई है।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा को देश चलाने का अनुभव नहीं है और इस सरकार ने पूरी आर्थव्यवस्था को खत्म कर दिया है।
राहुल गांधी ने मीडिया से कहा, "आज भारत जिस मुख्य समस्या का सामना कर रहा है, वह यह है कि सरकार ने हमारी आर्थिक नीति, रक्षा नीति और विदेश नीति को बर्बाद कर दिया है। वे इस देश को बर्बाद कर रहे हैं।"