क्या भारत-पाकिस्तान के बीच मैच हो सकता है, तो बातचीत क्यों नहीं? : सुरिंदर कुमार चौधरी

सारांश
Key Takeaways
- भारत-पाकिस्तान के बीच संवाद की आवश्यकता है।
- खेल आयोजन केवल एक इवेंट है, शांति के लिए वार्ता जरूरी है।
- आतंकवाद की समस्या को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
- रिश्तों को सुधारने के लिए बातचीत का मार्ग प्रशस्त करना होगा।
- पाकिस्तान से वार्ता का महत्व समझें।
श्रीनगर, 20 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। जम्मू-कश्मीर के डिप्टी सीएम सुरिंदर कुमार चौधरी ने शनिवार को भारत-पाकिस्तान मैच के आयोजन पर सवाल उठाते हुए कहा कि यदि भारत-पाकिस्तान के बीच मैच संभव है, तो फिर भारत-पाकिस्तान के विवादित मुद्दों को सुलझाने के लिए संवाद क्यों नहीं हो सकता?
उन्होंने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि यदि आप लोग इस मैच के लिए राजी हो सकते हैं, तो दोनों देशों के बीच संवाद का मार्ग क्यों नहीं प्रशस्त कर सकते हैं? निसंदेह, यदि दोनों देश वार्ता की मेज पर लौटते हैं, तो कई विवादित मुद्दों के समाधान का मार्ग प्रशस्त हो सकता है, जिससे दोनों देशों में शांति स्थापित होगी।
उन्होंने सवाल उठाया कि अंततः इस मैच से क्या हासिल होगा? कुछ नहीं। यह मैच तो कुछ लोगों के हित साधने के लिए आयोजित किया जा रहा है, लेकिन सच्चाई यह है कि इससे कुछ भी प्राप्त नहीं होगा। इसके बजाय, यदि हम दोनों देशों के बीच वार्ता का सेतु तैयार करें, तो यह अधिक लाभदायक होगा। इससे दोनों देशों के लोग शांति से रह सकेंगे।
उन्होंने कहा कि यह बात समझ से परे है कि एक ओर हम भारत-पाकिस्तान के बीच मैच का आयोजन कर रहे हैं, जबकि दूसरी ओर पाकिस्तानी आतंकवादियों के खतरों को नजरअंदाज कर रहे हैं। जिस तरह से आतंकवादियों ने पुलवामा और पहलगाम में हमले किए, उससे जम्मू-कश्मीर के लोगों में आतंकवाद का खौफ है। फिर भी, इन सभी बातों को नजरअंदाज करते हुए हम मैच करवा रहे हैं, जिससे कुछ भी हासिल नहीं होगा, लेकिन दोनों देशों के बीच बातचीत का रास्ता नहीं बना रहे हैं।
डिप्टी सीएम ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी ने एक बार कहा था कि हम दोस्त बदल सकते हैं, लेकिन पड़ोसी नहीं, और पाकिस्तान हमारा पड़ोसी है। ऐसी स्थिति में, हमें पाकिस्तान से वार्ता करके रिश्तों को सुधारने की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हम भारत-पाकिस्तान के बीच मैच का आयोजन करवा सकते हैं, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों के कारण हमारे कई सैनिक वीरगति को प्राप्त हो चुके हैं। कई लोगों ने आतंकवाद का दंश झेलते हुए अपने प्रियजनों को खोया है।