क्या 'भृंगराज' बालों को काला और घना बनाता है? जानें तेल बनाने की विधि

सारांश
Key Takeaways
- भृंगराज बालों को काला और घना बनाता है।
- यह बुद्धि को तेज करता है।
- इसका तेल घर पर आसानी से बनाया जा सकता है।
- यह लिवर की कार्यक्षमता बढ़ाने में सहायक है।
- उपयोग से पहले चिकित्सक से सलाह अवश्य लें।
नई दिल्ली, १८ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। आयुर्वेद में भृंगराज का विशेष महत्व है। यह न केवल बालों को काला करने और चमत्कारिक परिणाम देने में सहायक है, बल्कि बुद्धि को भी तेज करता है। आयुर्वेद में इसे 'केशराज' के नाम से भी जाना जाता है। इसके पत्ते, फूल, तने और जड़ सभी औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं।
भृंगराज का वैज्ञानिक नाम 'एक्लिप्टा अल्बा' है। यह एस्टेरेसी परिवार से संबंधित है और इसे अंग्रेजी में फाल्स डेजी और स्थानीय भाषा में घमरा व भांगड़ा के नाम से जाना जाता है। यह भारत, चीन, थाईलैंड और ब्राजील जैसे देशों में दलदली स्थानों में पाया जाता है। यह घरों के आस-पास के मैदानों में आसानी से उगता है।
हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि भले ही यह आसानी से उपलब्ध है, लेकिन इस जड़ी बूटी का उपयोग केवल तभी करें जब इसकी पहचान सही तरीके से कर लें और इसके उपयोग के बारे में जानकारी हो। यह आयुर्वेदिक स्टोर पर भी आसानी से मिल जाता है।
भृंगराज का तेल बालों के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है। बचपन में दादी-नानी इसका तेल बालों में लगाने की सलाह देती थीं। इसका कारण यह है कि यह बालों को काला, घना और चमकदार बनाने के साथ-साथ दिमाग को भी तेज करता है।
चरक संहिता में इसे 'पित्तशामक' और 'रक्तशोधक' बताया गया है। यह लिवर की कार्यक्षमता बढ़ाने और रक्त को शुद्ध करने में सहायक होता है। चरक संहिता के अनुसार, समय से पहले बालों का सफेद होना पित्त दोष के असंतुलन से जुड़ा है। यह पित्त को संतुलित करने में मदद करता है, जिससे समय से पहले सफेद बालों की प्रक्रिया को धीमा किया जा सकता है।
सुश्रुत संहिता में भृंगराज के तेल को बालों की जड़ों को मजबूत करने और समय से पहले सफेदी रोकने वाला 'अग्रणी औषधि' कहा गया है।
ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी बुजुर्ग इसके पत्तों को पीसकर लेप बनाते हैं और बालों में लगाते हैं, जबकि शहरी क्षेत्रों में लोग इसका तेल दुकानों पर खरीदते हैं।
ग्रंथों में इसके तेल बनाने की विधि का उल्लेख है। इसका तेल घर पर आसानी से बनाया जा सकता है। इसके लिए आपको भृंगराज, मीठा नीम, बारीक कटे हुए प्याज, मेथी दाना और नीम को सरसों के तेल में अच्छे से पकाना होगा। जब सभी सामग्री अच्छे से पक जाए और तेल में उनका अर्क उतर जाए, तब तेल को ठंडा कर छानकर एक बोतल में स्टोर किया जा सकता है।
भृंगराज और तेल में पड़ी सामग्री की तासीर गरम होती है, जिससे कुछ लोगों को परेशानी हो सकती है। इस स्थिति में आप तेल में कपूरनारियल या तिल के तेल का भी उपयोग कर सकते हैं, क्योंकि इनमें की तासीर सरसों के तेल की तुलना में थोड़ी ठंडी होती है, विशेषकर यदि आपकी खोपड़ी अत्यधिक संवेदनशील है। हालांकि, इसके उपयोग से पहले चिकित्सकों से सलाह लेना अत्यंत महत्वपूर्ण है।