क्या बिहार चुनाव में शेरघाटी सीट पर एनडीए और महागठबंधन के बीच होगी कांटे की टक्कर?
सारांश
Key Takeaways
- शेरघाटी सीट का राजनीतिक इतिहास महत्वपूर्ण है।
- यहां की जनसंख्या 476561 है।
- बेरोजगारी और शिक्षा जैसे मुद्दे चुनाव में अहम हैं।
- एनडीए और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर होगी।
- राजद की जीत ने राजनीतिक समीकरण बदल दिए हैं।
पटना, 31 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार की शेरघाटी विधानसभा सीट गया जिले में स्थित है। गया का एक अनोखा ऐतिहासिक महत्व है।
गया मुख्य रूप से पितरों के मोक्ष और पिंडदान के लिए प्रसिद्ध है, क्योंकि यहां विष्णु पद मंदिर में भगवान विष्णु के चरण-चिह्न माने जाते हैं। इसके अतिरिक्त, यह बौद्ध धर्म के लिए भी एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है, जहाँ भगवान बुद्ध ने बोधगया में ज्ञान प्राप्त किया। गया धार्मिक महत्व के साथ-साथ अपनी पारंपरिक हस्तशिल्प कला के लिए भी जाना जाता है।
बौद्ध धर्म का असली उदय बिहार में हुआ और बुद्ध के उपदेशों, उनकी सरलतम जीवन शैली और हर जीवित प्राणी के प्रति करुणा के कारण यह पूरे विश्व में फैल गया। यह भी ध्यान देने योग्य है कि बिहार राज्य का नाम भी 'विहार' शब्द से आया है, जो उन बौद्ध विहारों का संकेत है जो बिहार में फैले थे। बुद्ध के महापरिनिर्वाण के सैकड़ों वर्ष बाद मगध के मौर्य राजा अशोक (ईस्वी पूर्व 268 से 232) ने बौद्ध धर्म के पुनरुत्थान और प्रचार-प्रसार के लिए कई प्रयास किए। अशोक ने बौद्ध भिक्षुओं के लिए चैत्य और विहार बनवाए।
शेरघाटी विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो 1957 में यह सीट अस्तित्व में आई थी। 1977 में इसे समाप्त कर दिया गया और 2010 में फिर से स्थापित किया गया। पहले चरण में कांग्रेस ने 1957, 1962, और 1972 में जीत दर्ज की, जबकि 1967 और 1969 में क्रमशः जन क्रांति दल और एक निर्दलीय प्रत्याशी विजयी रहे।
शेरघाटी की कुल जनसंख्या 476561 है। इसमें पुरुषों की संख्या 243355 और महिलाओं की संख्या 233206 है। मतदाताओं की बात करें तो यहां कुल मतदाताओं की संख्या 135313 है, जिसमें 476561 पुरुष मतदाता और 145194 महिला मतदाता हैं, जबकि थर्ड जेंडर मतदाताओं की संख्या 10 है। इस प्रकार कुल जनसंख्या के अनुसार यहां कुल मतदाताओं की संख्या 0.59 है।
राजनीतिक परिदृश्य पर नजर डालें तो यहां 2010 और 2015 में जदयू ने जीत हासिल की, जबकि 2020 में यह सीट राजद के पास चली गई। 2020 में राजद की मंजु अग्रवाल ने जदयू के प्रत्याशी विनोद प्रसाद यादव को 16 हजार से अधिक वोटों से हराया था।
यहां के प्रमुख मुद्दे बेरोजगारी, पलायन, शिक्षा, बिजली, सड़क और पानी हैं। इस सीट पर मुख्य मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के प्रत्याशियों के बीच माना जा रहा है, लेकिन जन सुराज के उम्मीदवार को कम आंकना भारी पड़ सकता है।