क्या बिहार एग्जिट पोल झूठे हैं और दिल्ली ब्लास्ट केंद्र की नाकामी है?
सारांश
Key Takeaways
- विजय वडेट्टीवार ने एग्जिट पोल को झूठा बताया।
- दिल्ली में बम धमाका एक गंभीर मुद्दा है।
- सरकार की नाकामी पर सवाल उठाए गए।
- महागठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिलने की उम्मीद है।
मुंबई, १३ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस के नेता विजय वडेट्टीवार ने गुरुवार को कई मुद्दों पर बेबाकी से अपनी राय रखी। उन्होंने बिहार विधानसभा चुनाव के एग्जिट पोल, पुणे भूमि विवाद और लाल किला के पास हुई विस्फोट की घटना पर चर्चा की।
बिहार विधानसभा चुनाव के एग्जिट पोल पर विजय वडेट्टीवार ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि जो एग्जिट पोल सामने आए हैं, वे सभी झूठे और भ्रामक हैं। जनता ने इस बार एनडीए को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया है और जब परिणाम आएंगे तो महागठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिलेगा। अलग-अलग चैनलों ने मनमाने एग्जिट पोल दिखाए हैं, लेकिन जनता का मूड पूरी तरह से सरकार के खिलाफ है। उन्हें पूरा भरोसा है कि बिहार में नई सरकार इंडिया आघाडी की ही बनेगी।
वडेट्टीवार ने पुणे में जमीन घोटाले में उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पर लगे आरोपों पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में चुनाव से पहले अजित पवार को दबाने की कोशिश की जा रही है। पुणे से इस तरह के कई मामले सामने आ रहे हैं और यह सिर्फ एक प्रकरण नहीं है। इस मामले में जिस अधिकारी पर कार्रवाई हुई है, वह केवल तहसीलदार था, जबकि पूरे मामले में तहसीलदार, रजिस्ट्रार, कलेक्टर और एसडीएम सभी जिम्मेदार हैं। ये सभी लोग इस घोटाले में शामिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने इस मामले से जुड़े सभी दस्तावेज अपने पास सुरक्षित रखे हैं और शुक्रवार को नागपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग करेंगे।
उन्होंने सवाल उठाया कि सरकार इस मामले में दोषियों का बचाव क्यों कर रही है, जबकि जमीन के लेन-देन को रद्द करने का अधिकार खुद सरकार के पास भी नहीं है। यह मामला अदालत में जाएगा और वही इसका फैसला करेगी, चाहे व्यक्ति कोर्ट में जाए या सरकार।
दिल्ली में लाल किला के पास हुए बम ब्लास्ट को लेकर भी वडेट्टीवार ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि दिल्ली जैसे संवेदनशील क्षेत्र में धमाका हुआ और सरकार को इसे स्वीकार करने में चार दिन लग गए। आखिर ऐसा क्यों? क्या यह बम ब्लास्ट था या केमिकल धमाका? उन्होंने सवाल उठाया कि अगर यह टेरर अटैक था, तो सरकार और खुफिया एजेंसियां क्या कर रही थीं? प्रधानमंत्री खुद जिस शहर में रहते हैं, वहां इतना बड़ा हादसा हो गया और सरकार अब तक स्पष्ट जवाब देने में असमर्थ है।
उन्होंने कहा कि पहले के दौर में नेता ऐसे हादसों पर नैतिक जिम्मेदारी लेते थे। आज इतने बड़े हादसे के बाद भी कोई इस्तीफा नहीं दे रहा। क्या गृहमंत्री इस्तीफा देंगे? क्या प्रधानमंत्री देश से माफी मांगेंगे? आरडीएक्स दिल्ली तक कैसे पहुंच गया? यह अपने आप में सरकार की नाकामी का सबसे बड़ा सबूत है।