क्या बिहार के बाद अब पूरे देश में वोटर वेरिफिकेशन होगा?

सारांश
Key Takeaways
- विशेष गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया शुरू की गई है।
- मतदाता सूची की सटीकता महत्वपूर्ण है।
- योग्य नागरिकों को शामिल किया जाएगा।
- पुराने नाम हटाने की प्रक्रिया का पालन करना आवश्यक है।
- सभी मतदाताओं को गणना फॉर्म भरना होगा।
नई दिल्ली, २५ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के बीच भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने वोटर वेरिफिकेशन के संबंध में आदेश जारी किया है। ईसीआई के अनुसार, देशभर में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) आरंभ किया जाएगा।
निर्वाचन आयोग ने विशेष गहन पुनरीक्षण के लिए २४ जून का आदेश जारी किया है, जिसकी जानकारी शुक्रवार को दी गई है।
ईसीआई ने २४ जून के आदेश में कहा, "चुनाव आयोग ने मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) आरंभ करने का निर्णय लिया है। यह कदम संविधान के अनुच्छेद ३२४ और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, १९५० (आरपीए १९५०) के तहत लिया गया है, जिसमें संसद और राज्य विधानसभाओं के चुनावों और मतदाता सूची की तैयारी की निगरानी का कार्य आयोग को दिया गया है। स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए मतदाता सूची की सटीकता महत्वपूर्ण है। जन प्रतिनिधि अधिनियम १९५० और १९६० के मतदाता पंजीकरण नियमों (आरईआर, १९६०) के अनुसार मतदाता सूची बनाने की प्रक्रिया और योग्यता निर्धारित की जाती है।"
आगे बताया गया, "आयोग ने पहले भी १९५२-५६, १९५७, १९६१, १९६५, १९६६, १९८३-८४, १९८७-८९, १९९२, १९९३, १९९५, २००२, २००३ और २००४ में देश के कुछ हिस्सों में मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण किया था। बिहार में अंतिम बड़ा पुनरीक्षण १ जनवरी २००३ को हुआ था। इस पुनरीक्षण का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी योग्य नागरिक मतदाता सूची में शामिल हों और किसी को बाहर न रखा जाए। संविधान के अनुच्छेद ३२६ के अनुसार, १८ साल या उससे अधिक उम्र के भारतीय नागरिक, जो किसी कानून से अयोग्य न हों, मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के अधिकार के हकदार हैं। आयोग ने पिछले २० वर्षों में मतदाता सूची में बड़े बदलाव, शहरीकरण, और लोगों के स्थानांतरण को देखते हुए इस कदम को आवश्यक समझा है।"
आयोग ने कहा कि लोग शिक्षा, रोजगार और अन्य कारणों से एक स्थान से दूसरी जगह जाते हैं और नई जगह पर मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज कराते हैं, लेकिन पुरानी जगह से नाम नहीं हटाते। इससे मतदाता सूची में दोहरे नाम की समस्या बढ़ रही है। इसलिए, मतदाता सूची की शुद्धता के लिए गहन सत्यापन अभियान की आवश्यकता है। भारत के संविधान के अनुच्छेद ३२६ के अनुसार, मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के लिए भारतीय नागरिक होना आवश्यक है। चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करना है कि केवल भारतीय नागरिक ही सूची में शामिल हों।
ईसीआई ने कहा, "चुनाव आयोग ने पूरे देश में विशेष गहन संशोधन (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) शुरू करने का निर्णय लिया है, लेकिन बिहार में इस वर्ष के अंत में विधानसभा चुनाव होने के कारण, बिहार में यह अभियान पहले शुरू होगा। बाकी देश के लिए समय-कार्यक्रम बाद में जारी किया जाएगा।"
चुनाव आयोग ने यह भी कहा, "बिहार में अंतिम गहन संशोधन २००३ में हुआ था, इसलिए १ जनवरी २००३ की मतदाता सूची को पात्रता और नागरिकता का आधार माना जाएगा, जब तक कि कोई नई जानकारी प्राप्त न हो। जिनका नाम २००३ की सूची में नहीं है, उन्हें मतदाता सूची में शामिल होने के लिए सरकार द्वारा निर्धारित दस्तावेज जमा करने होंगे। मौजूदा मतदाता सूची ६ जनवरी २०२५ को प्रकाशित हुई थी और तब से लगातार अपडेट हो रही है। आयोग ने निर्देश दिए हैं कि २५ जुलाई २०२५ तक सभी मौजूदा मतदाताओं को पहले से भरा हुआ गणना फॉर्म (एन्यूमरेशन फॉर्म) उपलब्ध कराया जाए। ड्राफ्ट मतदाता सूची में केवल उन मतदाताओं के नाम शामिल होंगे, जिन्होंने यह फॉर्म भरा होगा। यह एक गहन संशोधन है, इसलिए फॉर्म न जमा करने वाले मतदाताओं के नाम सूची से हटाए जा सकते हैं और २५ जुलाई २०२५ से पहले किसी भी मतदाता का नाम ड्राफ्ट मतदाता सूची में शामिल नहीं किया जाएगा।"
निर्वाचन आयोग ने अधिकारियों के लिए भी निर्देश जारी किए हैं। ईसीआई ने आदेश में कहा, "मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ), जिला निर्वाचन अधिकारी (डीईओ), निर्वाचन रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (ईआरओ), और बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) को यह सुनिश्चित करना होगा कि वास्तविक मतदाताओं, विशेषकर बुजुर्ग, बीमार, दिव्यांग, गरीब, और अन्य कमजोर वर्गों को परेशान न किया जाए। इनके लिए यथासंभव सहायता दी जाए, जिसमें स्वयंसेवकों की मदद भी शामिल हो। ईआरओ/एईआरओ बिना जांच और संबंधित व्यक्ति को उचित अवसर दिए बिना ड्राफ्ट सूची से किसी का नाम नहीं हटाएंगे। अगर कोई व्यक्ति ईआरओ के फैसले से असंतुष्ट है, तो वह आरपी एक्ट, १९५० की धारा २४(ए) और आरईआर, १९६० के नियम २७ के तहत जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) के पास अपील कर सकता है। अगर डीएम के आदेश से भी संतुष्टि न मिले, तो व्यक्ति ३० दिनों के भीतर मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के पास दूसरी अपील दायर कर सकता है, जैसा कि आरपी एक्ट, १९५० की धारा २४(बी) और आरईआर, १९६० के नियम २७ में उल्लेखित है। इसके अलावा, नए मतदाता के रूप में पंजीकरण या बिहार के बाहर से स्थानांतरण के लिए आवेदन करने वालों को अब फॉर्म ६/फॉर्म ८ के साथ एक अतिरिक्त घोषणा पत्र भी भरना होगा।"