क्या बिहार में भाजपा सरकार बनाने के लिए काम कर रहा है चुनाव आयोग? : एसटी हसन

सारांश
Key Takeaways
- चुनाव आयोग के खिलाफ आरोप गंभीर हैं।
- मतदाता सूची का संशोधन आवश्यक है।
- आधार कार्ड की मान्यता पर सवाल उठ रहे हैं।
- एनआरसी का मुद्दा भी उठ सकता है।
- राजनीतिक दलों का एकजुट होना महत्वपूर्ण है।
मुरादाबाद, 9 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची में संशोधन का मुद्दा गहराता जा रहा है। इस संदर्भ में समाजवादी पार्टी (सपा) के पूर्व सांसद एसटी हसन ने प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने चुनाव आयोग की तुलना भाजपा के कार्यकर्ताओं से करते हुए कहा कि चुनाव आयोग भाजपा सरकार बनाने के लिए कार्यरत है।
बिहार में मतदाता सूची में संशोधन के बारे में एसटी हसन ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "चुनाव आयोग सरकार के पक्ष में काम कर रहा है। वे एक महीने के भीतर पूरा संशोधन कर देंगे। इसमें एक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि आधार कार्ड, जिसे हर जगह मांगा जाता है, यहां स्वीकार नहीं किया जाता। आधार कार्ड के माध्यम से बनते दस्तावेज जैसे पासपोर्ट और राशन कार्ड मान्य होते हैं। यह क्या न्याय है?"
उन्होंने आगे कहा, "आधार कार्ड के जरिए ही अन्य दस्तावेज बनते हैं, जबकि जन्म प्रमाण पत्र देने वाले गरीब लोगों की संख्या कितनी है, जिनके पास खुद का जन्म प्रमाण पत्र नहीं है? ऐसे में उन्हें अपने नाम को वोटर लिस्ट में जोड़ने के लिए अपने माता-पिता का जन्म प्रमाण पत्र भी देना होगा। मुझे लगता है कि चुनाव आयोग बिहार में भाजपा सरकार के गठन की दिशा में काम कर रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि 2 करोड़ लोगों से वोट देने का अधिकार छीन लिया जाएगा और उनकी नागरिकता समाप्त कर दी जाएगी। स्पष्ट रूप से सरकार एनआरसी को लागू करने का कार्य चुनाव आयोग के माध्यम से कर रही है।"
ज्ञात हो कि कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल, समाजवादी पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी समेत 'इंडिया' ब्लॉक के घटक दलों ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के चुनाव आयोग के निर्णय पर कड़ी आपत्ति जताई है। 18 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने 3 जुलाई को निर्वाचन सदन में ईसीआई अधिकारियों से मुलाकात की थी और इस निर्णय पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह समान अवसर के सिद्धांत का गंभीर उल्लंघन होगा।