क्या महाराष्ट्र में मराठा आंदोलन पर बॉम्बे हाईकोर्ट में विशेष सुनवाई हो रही है?

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क्या महाराष्ट्र में मराठा आंदोलन पर बॉम्बे हाईकोर्ट में विशेष सुनवाई हो रही है?

सारांश

बॉम्बे हाईकोर्ट में मराठा आरक्षण आंदोलन की सुनवाई में राजनीतिक हस्तक्षेप पर चिंता जताई गई। वकील गुणरत्न सदावर्ते ने आंदोलन की स्थिति पर सवाल उठाए और कोर्ट ने शांति बनाए रखने की अपील की। क्या आंदोलन का अधिकार और राजनीतिक दबाव एक साथ रह सकते हैं? जानिए पूरी कहानी!

Key Takeaways

  • बॉम्बे हाईकोर्ट में मराठा आंदोलन पर विशेष सुनवाई चल रही है।
  • राजनीतिक हस्तक्षेप के आरोप लगाए गए हैं।
  • कोर्ट ने शांति बनाए रखने की अपील की है।
  • सरकार को स्थिति पर काबू पाने के लिए २ दिन का समय दिया गया है।
  • आंदोलनकारियों की सेहत को लेकर चिंता जताई गई है।

मुंबई, १ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। मराठा आरक्षण आंदोलन के संदर्भ में बॉम्बे हाईकोर्ट में सोमवार को विशेष सुनवाई का आयोजन किया गया। इस मामले में वकील गुणरत्न सदावर्ते ने यह आरोप लगाया कि इस आंदोलन में राजनीतिक हस्तक्षेप स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।

उन्होंने बताया कि शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट और एनसीपी के शरद पवार गुट के नेता प्रदर्शनकारियों को खाने-पीने का सामान ट्रक के माध्यम से पहुंचा रहे हैं। सदावर्ते ने यह भी कहा कि हाल ही में सुप्रिया सुले पर पानी की बोतल फेंकी गई और महिला पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार हुआ।

उन्होंने बताया कि इसमें राजनीतिक मजबूरियां भी शामिल हैं। वे राजनीति और जाति को बीच में नहीं लाना चाहते, लेकिन कई विधायक और सांसद इस बात पर जोर दे रहे हैं कि प्रदर्शनकारियों को ओबीसी कोटे के तहत आरक्षण दिया जाना चाहिए।

इस बीच, मराठा समुदाय की ओर से कोर्ट में मौजूद वकील आनंद काठे ने सदावर्ते की बातों पर कड़ी आपत्ति जताई।

कोर्ट ने काठे को समझाया कि इस मामले में उनका कोई अधिकार नहीं है और उन्हें बीच में बोलने की अनुमति नहीं है। कोर्ट ने कहा कि २०२४ के सरकारी नियमों के अनुसार मराठा समुदाय को आरक्षण दिया गया है और अब यह तय करना है कि क्या उन्हें यह आरक्षण चाहिए या कोई अलग व्यवस्था चाहिए।

उच्च न्यायालय ने कहा कि आंदोलन शांतिपूर्ण है लेकिन मुंबई के निवासियों को परेशानी हो रही है।

कोर्ट ने कहा कि ५,००० से अधिक लोगों के एकत्रित होने की अनुमति नहीं है और यदि इससे अधिक लोग आ रहे हैं तो पुलिस को कार्रवाई करनी चाहिए। हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा कि क्या मुंबई के लोगों की यह परेशानी तब तक जारी रहेगी जब तक आंदोलनकारियों की मांगें पूरी नहीं होतीं।

वकील गुणरत्न सदावर्ते ने आंदोलन को मुख्यमंत्री के मराठा न होने से जोड़ा और कहा कि बीड हिंसा और आजाद मैदान पर पुलिस केस दर्ज न किए जाने पर भी सवाल उठते हैं। उन्होंने बताया कि कोर्ट के आसपास भी प्रदर्शनकारियों ने घेरा बना रखा है।

कोर्ट ने मराठा समुदाय के वकीलों से पूछा कि क्या यह सब शांतिपूर्ण तरीके से हो रहा है? जिस पर वकीलों ने स्वीकार किया कि कुछ अन्य लोग भी शामिल हैं, जिन पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।

कोर्ट ने यह भी कहा कि जिन लोगों ने अनशन किया है, उनकी सेहत को लेकर चिंता है और उन्हें उचित चिकित्सा सहायता मिलनी चाहिए।

मराठा आरक्षण के मुद्दे पर बॉम्बे हाईकोर्ट में 'एएमवाई' फाउंडेशन की याचिका पर चल रही सुनवाई में विशेष बेंच ने कहा था कि आंदोलन का अधिकार है लेकिन शहर का माहौल बिगड़ना नहीं चाहिए।

इसके बाद पुलिस प्रशासन ने आंदोलन को एक दिन के लिए आजाद मैदान तक सीमित कर दिया था, लेकिन आंदोलन को चार दिन गुजर चुके हैं।

याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को पत्र लिखकर मुंबई की स्थिति को देखते हुए 'स्पेशल हॉलीडे कोर्ट' बुलाने की मांग की। सोमवार को जस्टिस गौतम अंखाड और रवींद्र घूगे की बेंच ने सुनवाई शुरू की। सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल बीरेंद्र शराफ पेश हुए।

'एएमवाई' फाउंडेशन ने कहा कि पुलिस और प्रशासन ने कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन किया है, खासकर मनोज जरांगे पाटिल और उनके लोगों ने। कोर्ट ने पूछा कि क्या मनोज जरांगे पाटिल को नोटिस दिया गया है और क्या आंदोलन केवल आजाद मैदान तक सीमित है?

सरकार ने स्वीकार किया कि शनिवार-रविवार को आंदोलन की इजाजत नहीं थी, लेकिन फिर भी लोग सड़कों पर घूम रहे हैं।

२६ अगस्त के आदेश का उल्लंघन होने पर कोर्ट ने सरकार को कड़ा निर्देश दिया है कि शहर में शांति और व्यवस्था बहाल की जाए, खासकर गणपति उत्सव के समय। कोर्ट ने कहा कि आजाद मैदान को छोड़कर बाकी जगहों से प्रदर्शनकारियों को शाम ४ बजे तक हट जाना होगा।

अगर कोई नए प्रदर्शनकारी शहर में घुसने की कोशिश करेंगे, तो उन्हें रोकने का जिम्मा सरकार का होगा। कोर्ट ने मराठा समुदाय के वकीलों से कहा कि वे स्वीकार करें कि आंदोलन पर उनका नियंत्रण नहीं है।

सरकार को दो दिन का समय दिया गया है कि वह स्थिति पर काबू पाए। मराठा पक्ष के वकील पिंगले ने फूड ट्रक को आंदोलन स्थल पर आने की अनुमति देने की अपील की, जबकि कोर्ट ने कहा कि प्रदर्शनकारी आजाद मैदान से बाहर न जाएं।

आरक्षण की मांग को लेकर आजाद मैदान पहुंचे आंदोलनकारी ने राष्ट्र प्रेस से कहा, "हम लोग यहां आरक्षण लेने के लिए आए हैं। जब तक आरक्षण नहीं मिलेगा, तब तक हम लोग यहां से नहीं जाएंगे।"

एक अन्य आंदोलनकारी ने कहा, "जरांगे का समर्थन करने के लिए और उनका मनोबल बढ़ाने के लिए पूरे मराठा बंधु आ गए हैं। वो आरक्षण लेकर ही मुंबई छोड़ेंगे।"

दूसरे आंदोलनकारी ने कहा, "मराठा और कुणबी एक ही हैं, हमें हमारा आरक्षण चाहिए।"

Point of View

NationPress
01/09/2025

Frequently Asked Questions

बॉम्बे हाईकोर्ट में मराठा आंदोलन की सुनवाई कब हुई?
सुनवाई १ सितंबर को हुई।
वकील गुणरत्न सदावर्ते ने क्या आरोप लगाया?
उन्होंने आंदोलन में राजनीतिक हस्तक्षेप का आरोप लगाया।
कोर्ट ने आंदोलन को लेकर क्या कहा?
कोर्ट ने कहा कि आंदोलन शांतिपूर्ण होना चाहिए और मुंबई के निवासियों को परेशानी नहीं होनी चाहिए।
सरकार ने आंदोलन पर क्या प्रतिक्रिया दी?
सरकार ने स्वीकार किया कि शनिवार-रविवार को आंदोलन की इजाजत नहीं थी।
क्या कोर्ट ने किसी तरह की कार्रवाई की?
कोर्ट ने सरकार को शहर में शांति बहाल करने का निर्देश दिया।