क्या चंडीगढ़: आईपीएस अधिकारी पूरन कुमार की खुदकुशी मामले में मुख्य सचिव और डीजीपी को एनसीएससी का नोटिस मिला?

सारांश
Key Takeaways
- एनसीएससी की सक्रियता से दलित अधिकारों की रक्षा में मदद मिलेगी।
- मुख्य सचिव और डीजीपी को समय सीमा के भीतर रिपोर्ट जमा करनी होगी।
- घटना की गंभीरता को देखते हुए गहन जांच आवश्यक है।
चंडीगढ़, 10 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। नेशनल कमीशन फॉर शेड्यूल्ड कास्ट्स (एनसीएससी) ने दलित आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या के मामले में स्वतः संज्ञान लिया है। शुक्रवार को एनसीएससी ने इस संदर्भ में चंडीगढ़ के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को नोटिस जारी कर सात दिन के भीतर कार्रवाई की पूर्ण रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
यह नोटिस भारत के संविधान के अनुच्छेद 338 के तहत आयोग की शक्तियों का उपयोग करते हुए जारी किया गया है।
घटना के बाद आयोग ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच आरंभ करने का निर्णय लिया है। आयोग ने स्पष्ट किया कि रिपोर्ट में सभी आरोपियों के नाम, दर्ज एफआईआर की संख्या, तारीख और संबंधित धाराएं, आरोपियों की गिरफ्तारी की स्थिति और पीड़ित परिवार को दिए गए मुआवजे (यदि कोई हो) का विवरण समाहित होना चाहिए।
यह कदम दलित समुदाय के अधिकारों की सुरक्षा और मामले की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।
एनसीएससी द्वारा मुख्य सचिव और डीजीपी को भेजे गए पत्र में चेतावनी दी गई है कि यदि निर्धारित समय सीमा के भीतर उत्तर नहीं मिला, तो आयोग संविधान के अनुच्छेद 338 के तहत सिविल कोर्ट की शक्तियों का प्रयोग करेगा।
इसके अंतर्गत आयोग व्यक्तिगत रूप से या उनके प्रतिनिधि के माध्यम से उनकी उपस्थिति के लिए समन जारी कर सकता है। यह कदम मामले में देरी या लापरवाही को रोकने के लिए उठाया गया है।
वाई पूरन कुमार की आत्महत्या ने चंडीगढ़ प्रशासन और पुलिस महकमे में हड़कंप मचा दिया है। आयोग का मानना है कि इस घटना की गहन जांच आवश्यक है, क्योंकि यह दलित समुदाय के एक वरिष्ठ अधिकारी से जुड़ा मामला है।
आज की तारीख 10 अक्टूबर है और रिपोर्ट जमा करने की समय सीमा 17 अक्टूबर है। आयोग ने यह भी कहा कि यदि आवश्यकता पड़ी, तो वह स्वयं मामले की जांच के लिए चंडीगढ़ जा सकता है।
इस नोटिस से स्पष्ट है कि एनसीएससी इस मामले को गंभीरता से ले रहा है और समयबद्ध कार्रवाई की अपेक्षा कर रहा है। चंडीगढ़ प्रशासन पर अब जांच को तेज करने और रिपोर्ट समय पर प्रस्तुत करने का दबाव बढ़ गया है।