क्या कांग्रेस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दायर किया गया है?

सारांश
Key Takeaways
- सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस के खिलाफ जनहित याचिका दायर की गई है।
- राहुल गांधी और खड़गे पर चुनाव आयोग को निशाना बनाने का आरोप है।
- याचिकाकर्ता ने कांग्रेस की मान्यता रद्द करने की मांग की है।
- संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ का उल्लंघन का आरोप।
- त्वरित सुनवाई की अपील की गई है।
नई दिल्ली, 21 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई है जिसमें राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे के खिलाफ चुनाव आयोग पर आरोप लगाने को लेकर कार्रवाई की मांग की गई है। यह याचिका सतीश कुमार अग्रवाल द्वारा दायर की गई है और इसमें कहा गया है कि कांग्रेस के नेताओं ने चुनाव आयोग पर निराधार आरोप लगाकर एक संवैधानिक संस्था की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया है।
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से कांग्रेस की राजनीतिक पार्टी के रूप में मान्यता रद्द करने की अपील की है। याचिका में भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत रिट ऑफ मंडमस (परमादेश) जारी करने की मांग की गई है। इसमें केंद्र सरकार (प्रतिवादी नंबर 1) से कांग्रेस का पंजीकरण रद्द करने का निर्देश देने की अपील की गई है।
याचिकाकर्ता ने यह भी मांग की है कि कांग्रेस के कुछ नेताओं (प्रतिवादी नंबर 3 से 5) के खिलाफ यह घोषणा की जाए कि वे भारत के संविधान के प्रति निष्ठा नहीं रखते हैं।
याचिकाकर्ता ने राहुल गांधी और खड़गे द्वारा चुनाव आयोग के खिलाफ चलाए जा रहे 'प्रोपेगेंडा' की विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच कराने और उन पर कानूनी कार्रवाई की मांग की है।
याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि कांग्रेस पार्टी ने संविधान के प्रति अपनी वफादारी की शपथ तोड़ी है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि कांग्रेस और उसके वरिष्ठ नेताओं ने चुनाव आयोग के खिलाफ झूठा आंदोलन चलाकर इस संवैधानिक संस्था की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया है।
याचिका में कहा गया है कि कांग्रेस (प्रतिनिधित्व जनता अधिनियम, 1951 की धारा 29ए के तहत एक पंजीकृत और मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल है) ने अपनी स्थापना के समय भारत के संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ ली थी। हालांकि, प्रतिवादी नंबर 3 से 5 द्वारा निर्वाचन आयोग के खिलाफ चलाया जा रहा अभियान इस शपथ का उल्लंघन करता है और आयोग के वैधानिक और संवैधानिक कार्यों में गैरकानूनी हस्तक्षेप करता है। निर्वाचन आयोग को देशभर में मतदाता सूची तैयार करने और संशोधन करने का विशेष अधिकार प्राप्त है।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट से इस मामले में त्वरित सुनवाई की मांग की है।