क्या अनोखे मंदिरों में महिलाएं संभालती हैं बागडोर और मासिक धर्म में पूजा की अनुमति है?
सारांश
Key Takeaways
- महिलाएं मंदिरों की बागडोर संभालती हैं।
- मासिक धर्म में भी पूजा की अनुमति है।
- दक्षिण भारत के मंदिर नारी शक्ति का अद्भुत उदाहरण हैं।
नई दिल्ली, 3 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत के हर क्षेत्र में अनोखे और रहस्यमयी मंदिर मौजूद हैं, जहां आमतौर पर पुरुषों का वर्चस्व देखने को मिलता है। लेकिन दक्षिण भारत में कई ऐसे मंदिर हैं, जहां नारी शक्ति का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया गया है।
आज हम आपको उन मंदिरों के बारे में बताएंगे, जहां महिलाएं न केवल पूजा-पाठ करती हैं, बल्कि मंदिर की बागडोर भी संभालती हैं।
कोयंबटूर से लगभग 30 किलोमीटर दूर स्थित मां लिंग भैरवी का मंदिर विशेष महत्व रखता है। यह मंदिर स्त्री शक्ति का प्रतीक है। इसका निर्माण ईशा फाउंडेशन के परिसर में किया गया है। यहां मां की कोई प्रतिमा नहीं है, बल्कि मां की पूजा एक लंबे और चपटे पत्थर के रूप में की जाती है। मंदिर की दीवारों पर त्रिकोण आकृति बनी है, जो मां के गर्भ और सृष्टि के सृजन से जुड़ी है। इस मंदिर का संचालन महिलाएं करती हैं, और गर्भगृह में मां की पूजा भी महिला पुजारी करती हैं, जिन्हें ‘भैरागिनी’ कहा जाता है। आश्चर्यजनक रूप से, मासिक धर्म के दौरान भी महिलाएं मां का दर्शन और पूजन कर सकती हैं।
दक्षिणी केरल में स्थित चक्कुलाथुकावु मंदिर भी नारी पूजा के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर में 'पोंगल' उत्सव के 10 से 11 दिन तक विशेष पूजन केवल महिलाओं के द्वारा किया जाता है, और उत्सव के दिन पुरुषों का मंदिर में प्रवेश वर्जित होता है। इसे 'महिलाओं का सबरीमाला' भी कहा जाता है।
केरल के अलप्पुझा जिले में एक प्राचीन मंदिर है, जिसे मन्नारसला नागराज मंदिर कहा जाता है। यह मंदिर नाग देवताओं को समर्पित है। यहां का कार्यभार महिलाएं संभालती हैं और मुख्य पुजारी के रूप में एक महिला नियुक्त है, जिन्हें 'मन्नारसला अम्मा' कहा जाता है। मान्यता है कि सदियों पहले केरल की भूमि सांपों से त्रस्त थी और परशुराम ने नाग देवता से मदद मांगी थी। तब नागों को एक स्थान देने के लिए इस मंदिर की स्थापना की गई।
तमिलनाडु के कन्याकुमारी में कुमारी अम्मन मंदिर अपनी मान्यताओं के चलते प्रसिद्ध है। यहां मां के कुमारी रूप की पूजा होती है, इसलिए केवल ब्रह्मचारी पुरुषों को जाने की अनुमति है। यह मंदिर संन्यास की दीक्षा लेने के लिए भी प्रसिद्ध है। इस मंदिर में मुख्य गर्भगृह में केवल महिलाएं ही प्रवेश कर सकती हैं और मां की पूजा भी महिला पुजारी करती हैं।