क्या दिल्ली ब्लास्ट राष्ट्र पर हमला है? सुरेंद्र राजपूत का सरकार से कठोर उत्तर देने का आग्रह
सारांश
Key Takeaways
- दिल्ली के विस्फोट ने देश की सुरक्षा को चुनौती दी है।
- सुरेंद्र राजपूत ने सख्त कार्रवाई की मांग की है।
- आतंकी ताकतें राष्ट्र की एकता पर हमला कर रही हैं।
- चुनाव आयोग की पारदर्शिता पर सवाल उठाए गए हैं।
- राजनीति को सुरक्षा के मामले में विराम देना चाहिए।
लखनऊ, १३ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के समीप धमाके वाली कार में मिले शव की पहचान पुलवामा के डॉक्टर मोहम्मद उमर के रूप में हुई है। डीएनए जांच में इस बात की पुष्टि के बाद, कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने इस घटना पर अपनी प्रतिक्रिया दी।
उन्होंने राष्ट्र प्रेस से कहा, "अब स्थिति स्पष्ट हो गई है। इस हमले के जिम्मेदार दोषियों के खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई होनी चाहिए। यह हमला केवल दिल्ली पर नहीं, बल्कि पूरे देश पर हमला है और इसका जवाब भी उसी कठोरता से दिया जाना चाहिए।"
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि देश की सुरक्षा सर्वोपरि है और इस समय प्रधानमंत्री तथा गृह मंत्री को देश की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने कहा, "जब देश सुरक्षित रहेगा, तभी आप भी सुरक्षित रहेंगे। इस समय राजनीति को कुछ समय के लिए विराम दिया जाना चाहिए और राष्ट्र की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। यह केवल एक आतंकवादी की बात नहीं है, बल्कि उन सभी के लिए एक संदेश है जो भारत को डराने की कोशिश कर रहे हैं। उनके लिए यह स्पष्ट संदेश है कि यदि आप भारत को चुनौती देंगे, तो भारत जवाब देगा।"
उन्होंने कहा कि इस हमले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आतंकी ताकतें देश की शांति और एकता पर सीधा हमला कर रही हैं। उन्होंने सरकार से अपील की कि इस मामले को राजनीतिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से गंभीरता से लिया जाए।
इसी बीच, बिहार चुनावों के दौरान चुनाव आयोग के बयानों को लेकर सुरेंद्र राजपूत ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा, "चुनाव आयोग चाहे जो कहे, लेकिन बीती रात तीन बजे सासाराम में EVM बॉक्स लाए जाने की घटना ने गंभीर संदेह खड़े कर दिए हैं। आयोग की पारदर्शिता पर सवाल उठना स्वाभाविक है।"
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि देश की जनता अब जवाब चाहती है कि आखिर तीन बजे रात को EVM बॉक्स क्यों और किसके आदेश पर लाए गए।
उन्होंने कहा, "चुनाव आयोग को यह बताना होगा कि ऐसी गतिविधियां लोकतंत्र की नींव को क्यों खतरे में डाल रही हैं। पारदर्शिता बनाए रखना आयोग की जिम्मेदारी है और यदि संदेह दूर नहीं किए गए, तो विश्वास कमजोर होगा।"
उन्होंने आरोप लगाया कि आयोग अब निष्पक्ष संस्था के बजाय दबाव में काम करती दिखाई दे रही है। आयोग को छोटी-छोटी बयानबाजियों से बचना चाहिए और ठोस तथ्यों के साथ जनता के सामने आना चाहिए, तभी लोकतंत्र में लोगों का विश्वास कायम रहेगा।