क्या दिल्ली कार ब्लास्ट केस में मिले 9 मिमी कैलिबर के कारतूस नए सुराग हैं?
सारांश
Key Takeaways
- दिल्ली में कार ब्लास्ट का मामला गंभीर है।
- घटनास्थल पर मिले कारतूस महत्वपूर्ण सबूत हो सकते हैं।
- पुलिस को नए सुरागों की खोज में जुटना होगा।
- आतंकवादियों की गतिविधियों पर नजर रखने की जरूरत है।
- सुरक्षा एजेंसियों का समन्वय आवश्यक है।
नई दिल्ली, 16 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली में लाल किले के निकट हुए कार ब्लास्ट मामले में एक नया खुलासा सामने आया है। जांच के दौरान घटनास्थल पर तीन कारतूस मिले, जिनमें दो जिंदा और एक खाली खोखा शामिल है।
दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने जानकारी दी है कि विस्फोट स्थल से बरामद किए गए 9 मिमी कैलिबर के ये तीन कारतूस सामान्य नागरिकों के लिए प्रतिबंधित हैं। आम नागरिक अपनी लाइसेंसी बंदूक में इन्हें नहीं इस्तेमाल कर सकते। ये कारतूस आमतौर पर फोर्सेज या विशेष अनुमति प्राप्त व्यक्तियों के पास होते हैं।
सूत्रों ने आगे बताया कि घटनास्थल पर कोई पिस्तौल या उसके कोई पार्ट नहीं मिले हैं। मतलब, गोली के कारतूस तो मिले लेकिन उन्हें चलाने वाला हथियार वहां उपस्थित नहीं था।
दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने यह भी कहा कि कारतूस मिलने के बाद मौके पर मौजूद पुलिस कर्मियों के कारतूस चेक किए गए, लेकिन कोई भी मिसिंग नहीं था, जिससे यह संभावना खारिज हो गई कि ये कारतूस ड्यूटी पर तैनात कर्मियों के थे।
अब पुलिस के सामने एक नई चुनौती है। वे यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि ये कारतूस यहां कैसे पहुंचे।
पूर्व में, हरियाणा के नूंह से नए विवरण सामने आए हैं, जहां विस्फोट में मारे गए आतंकवादी उमर मुहम्मद को विस्फोट से पहले कई घंटों तक घूमते देखा गया था। जांच एजेंसियों ने पता लगाया है कि उसने अल फलाह यूनिवर्सिटी में कार्यरत एक इलेक्ट्रीशियन शोएब की मदद से 10 दिनों के लिए एक कमरा किराए पर लिया था।
विस्फोट के बाद, दिल्ली पुलिस, एनआईए और सीआईए नूंह की टीमों ने उस मकान पर छापा मारा। जांच टीमें नूंह और आसपास के इलाकों में उन सभी लोगों का पता लगाने के लिए छापेमारी कर रही हैं, जिन्होंने उमर के साथ बातचीत की या जिनका विस्फोटक उपकरण से कोई संबंध था।