क्या भाजपा सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने सीएम रेखा गुप्ता को पत्र लिखा, 'दिल्ली डिजिटल यूनिवर्सिटी' की स्थापना का प्रस्ताव?

सारांश
Key Takeaways
- दिल्ली डिजिटल यूनिवर्सिटी की स्थापना का प्रस्ताव
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप शिक्षा का आधार
- आधुनिक तकनीकी विषयों पर प्रशिक्षण
- छात्रों को लचीली और किफायती शिक्षा
- अंतरराष्ट्रीय छात्रों को आकर्षित करने की संभावना
नई दिल्ली, 15 जून (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली को डिजिटल शिक्षा और नवाचार के क्षेत्र में प्रमुख बनाने के लिए चांदनी चौक से भाजपा सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को एक पत्र भेजा है। इस पत्र में उन्होंने 'दिल्ली डिजिटल यूनिवर्सिटी' की स्थापना का प्रस्ताव रखा है। पत्र की एक प्रति दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद को भी भेजी गई है।
भाजपा सांसद खंडेलवाल ने अपने पत्र में इस प्रस्तावित विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप और तकनीक-सक्षम भविष्य की शिक्षा का आधार बताया है। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय दिल्ली को शिक्षा और नवाचार का एक वैश्विक केंद्र बनाने की दिशा में एक रणनीतिक और क्रांतिकारी पहल हो सकती है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली डिजिटल यूनिवर्सिटी एक केंद्रीय डिजिटल प्लेटफॉर्म के रूप में कार्य कर सकती है, जहां उच्च गुणवत्ता वाली ऑनलाइन शिक्षा, कौशल विकास और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डेटा साइंस, साइबर सुरक्षा, ब्लॉकचेन और डिजिटल गवर्नेंस जैसे आधुनिक विषयों में अनुसंधान और प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाएगा।
इस विश्वविद्यालय का उद्देश्य छात्रों, पेशेवरों और उद्यमियों को लचीले, सुलभ और किफायती शिक्षा के विकल्प प्रदान करना है, ताकि दूरदराज के क्षेत्रों के विद्यार्थी भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर सकें। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि इस विश्वविद्यालय में टेक कंपनियों और स्टार्टअप्स के साथ साझेदारी कर ऐसे पाठ्यक्रम डिजाइन किए जा सकें, जो युवाओं को रोजगार के लिए तैयार करें।
प्रस्ताव में यह उल्लेख किया गया है कि उचित साझेदारियों और संरचनात्मक दृष्टिकोण के साथ यह विश्वविद्यालय अंतर्राष्ट्रीय छात्रों और शोधकर्ताओं को आकर्षित कर सकता है, जिससे दिल्ली को वैश्विक शैक्षणिक मानचित्र पर एक अग्रणी डिजिटल शिक्षा केंद्र के रूप में स्थापित किया जा सके। सांसद खंडेलवाल ने डिजिटल यूनिवर्सिटी के डिजिटल-फर्स्ट मॉडल की विशेषता पर जोर देते हुए कहा कि यह पहल कम लागत में अधिक छात्रों तक पहुंच सुनिश्चित कर सकती है, जो समावेशी और समान शिक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
उन्होंने कहा कि यदि यह प्रस्ताव लागू किया जाता है, तो यह दिल्ली सरकार के अंतर्गत शिक्षा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक नीति नवाचार सिद्ध होगा और तकनीक-संचालित समावेशी शिक्षा के प्रति दिल्ली की प्रतिबद्धता को और भी सशक्त करेगा।