क्या दिल्ली में बायोमास बर्निंग रोकने की दिशा में हीटर वितरण बड़ा कदम है?
सारांश
Key Takeaways
- दिल्ली सरकार ने सुरक्षा गार्ड्स को इलेक्ट्रिक हीटर वितरित किए।
- यह पहल वायु प्रदूषण को कम करने में मदद करेगी।
- सरकार ने बायोमास बर्निंग को रोकने के लिए यह कदम उठाया है।
- 10,000 से अधिक हीटर सीएसआर फंडिंग के माध्यम से वितरित किए जाएंगे।
- यह पहल जन-सहभागिता का एक नया मॉडल प्रस्तुत करती है।
नई दिल्ली, 22 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली की रेखा सरकार ने एक विशेष और संवेदनशील पहल की शुरुआत की है। सरकार ने सुरक्षा गार्ड्स को हीटर देने का निर्णय लिया है, ताकि सर्दियों में कॉलोनियों में पहरा देने वाले गार्ड्स इन हीटरों का उपयोग कर सकें।
इस मौके पर पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में सरकार ने पिछले आठ-नौ महीनों में प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में नई पहल की है। बायोमास बर्निंग को रोकने के लिए हीटर वितरण योजना इसी का हिस्सा है। उन्होंने बताया कि दिल्ली की परिस्थितियाँ देश के अन्य हिस्सों से भिन्न हैं और कई बार प्रदूषण हमारे पड़ोसी राज्यों से प्रभावित होता है। इसके बावजूद, हमारी सरकार ने दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण के लिए ऐतिहासिक कदम उठाए हैं। सख्त कंस्ट्रक्शन साइट्स की मॉनिटरिंग, हाई-राइज इमारतों पर एंटी-स्मॉग गन्स को अनिवार्य करना, 8000 इंडस्ट्री यूनिट्स को पॉल्यूशन मानकों के दायरे में लाना आदि ऐसे कार्य हैं, जो प्रदूषण को कम करने के हमारे प्रयासों को दर्शाते हैं।
इस कार्यक्रम में सांसद प्रवीण खंडेलवाल, विधायक तिलक राम गुप्ता, राजकुमार भाटिया तथा विभिन्न आरडब्ल्यूए के प्रतिनिधि भी मौजूद थे।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने शनिवार को दिल्ली हाट, पीतमपुरा में आरडब्ल्यूए को इलेक्ट्रिक हीटर वितरित किए। उन्होंने कहा कि यह सरकारी पहल न केवल नाइट गार्ड्स को ठंड से राहत देगी, बल्कि पारंपरिक ईंधन जैसे लकड़ी और कोयले का उपयोग कम करके वायु प्रदूषण में कमी लाने में भी मदद करेगी। मुख्यमंत्री ने बताया कि दिल्ली सरकार प्रदूषण नियंत्रण के लिए एक बहुआयामी रणनीति पर कार्य कर रही है।
सीएम रेखा गुप्ता ने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण का एक मुख्य कारण खुले में लकड़ी, कूड़ा और कोयला जलाना है। इस समस्या का समाधान करने के लिए, दिल्ली सरकार ने आज से यह योजना शुरू की है, जिसके तहत 10,000 से अधिक इलेक्ट्रिक हीटर सीएसआर फंडिंग के माध्यम से विभिन्न आरडब्ल्यूए को उपलब्ध कराए जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने यह भी जोड़ा कि यह मानवीय पहल जन-सहभागिता का एक नया मॉडल है। सरकार की ओर से प्रेस करने वाले श्रमिकों को कोयला आधारित प्रेस के बजाय गैस या इलेक्ट्रिक प्रेस अपनाने के लिए प्रेरित किया जाएगा, और झुग्गी बस्तियों के परिवारों को उज्ज्वला योजना के तहत गैस कनेक्शन भी उपलब्ध कराए जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में नागरिकों, संस्थानों और आरडब्ल्यूए का योगदान आवश्यक है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि उनकी सरकार लगातार वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए प्रभावी और कड़े कदम उठा रही है। सभी मंत्री, जनप्रतिनिधि और सरकारी अधिकारी सफाई और स्वच्छता अभियान की निगरानी कर रहे हैं। दिल्ली की सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को इलेक्ट्रिक बनाने की दिशा में भी तेजी से प्रगति हो रही है। वर्ष 2026 के अंत तक दिल्ली सरकार की 100 प्रतिशत बसें इलेक्ट्रिक होंगी।
उन्होंने पूर्ववर्ती सरकारों की नीतियों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि 11 वर्षों तक सत्ता में रहने के बावजूद पिछले सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण, यमुना की सफाई, कूड़े के पहाड़ों को खत्म करने जैसे बुनियादी मुद्दों पर ठोस काम नहीं किया। इसके विपरीत, वर्तमान सरकार समस्याओं का ईमानदारी और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समाधान ढूंढ रही है।
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि सरकार क्लाउड सीडिंग जैसी उन्नत वैज्ञानिक तकनीकों पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार समाधान खोजने में निरंतर प्रयासरत है, जबकि विपक्ष केवल आलोचना पर केंद्रित है। जन सहयोग, तकनीक और जिम्मेदार शासन पर आधारित हमारी रणनीति दिल्ली को प्रदूषण-मुक्त और सतत विकास का मॉडल शहर बनाने में सहायक होगी।