क्या 15 सितंबर 1959 को दूरदर्शन की स्थापना ने भारतीय मनोरंजन को बदल दिया?

सारांश
Key Takeaways
- दूरदर्शन की स्थापना 15 सितंबर 1959 को हुई थी।
- पहला कार्यक्रम हम लोग था।
- 1982 में रंगीन प्रसारण की शुरुआत हुई।
- दूरदर्शन ने समाज में जागरूकता बढ़ाई।
- यह आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में महत्वपूर्ण है।
नई दिल्ली, 14 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। आज के युग में मनोरंजन के लिए कई विकल्प उपलब्ध हैं, लेकिन एक समय ऐसा था, जब लोगों ने मोबाइल और नेटफ्लिक्स जैसी चीजों की कल्पना नहीं की थी। 15 सितंबर 1959 को जब पहली बार दूरदर्शन का आगाज हुआ, तब यह लोगों के लिए एक सपने की तरह था। आइए, जानते हैं इस महान सेवा के बारे में।
साल 1959 में एक छोटा सा डिब्बा, जो बिजली से चलता था, लोगों के लिए जिज्ञासा का केंद्र बन गया। उस समय हर घर में टीवी नहीं था; सिर्फ कुछ ही घरों में टेलीविजन था। जिनके पास टीवी था, उनके घरों में दूर-दूर से लोग देखने आते थे। घर की छत पर टीवी का एंटीना लगा होता था।
नई दिल्ली में, तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 15 सितंबर 1959 को देश के पहले टेलीविजन स्टेशन का उद्घाटन किया। इसके बाद, सरकार ने दिल्ली के विभिन्न स्थानों पर दो दर्जन टीवी सेट लगाए, जिसके चलते वहाँ भारी भीड़ जुटने लगी।
शुरुआत में, दूरदर्शन पर कुछ समय के लिए कार्यक्रम प्रसारित होते थे। ऑल इंडिया रेडियो के तहत नियमित प्रसारण की शुरुआत 1965 में हुई। 1982 में इस सेवा का विस्तार मुंबई और अमृतसर तक हुआ, और अब यह दूर-दराज के गांवों तक पहुंच गई है। पहले दूरदर्शन ब्लैक एंड व्हाइट था, लेकिन 1982 में इसका स्वरूप रंगीन हो गया।
दूरदर्शन पहले आकाशवाणी का हिस्सा था, लेकिन बाद में यह स्वतंत्र हो गया। प्रारंभ में, यूनेस्को की मदद से सप्ताह में दो दिन एक-एक घंटे के कार्यक्रम प्रसारित होते थे, जिनका उद्देश्य जनता को जागरूक करना था। 1965 में नियमित प्रसारण शुरू होने के बाद, दूरदर्शन पर समाचार आने लगे। कृषि दर्शन और चित्रहार जैसे कार्यक्रमों ने अपने दर्शकों का दिल जीत लिया।
1980 के दशक में हर घर की रौनक दूरदर्शन बन गया था। इसका पहला सीरियल हम लोग था, जिसके बाद रामायण और महाभारत जैसे पौराणिक सीरियल ने दर्शकों को captivated किया। वर्तमान में, दूरदर्शन पर 24 घंटे विभिन्न कार्यक्रम प्रसारित होते हैं।