क्या ईडी की बड़ी कार्रवाई में सहारा ग्रुप के अधिकारी गिरफ्तार हुए?

सारांश
Key Takeaways
- सहारा ग्रुप के दो अधिकारी गिरफ्तार हुए हैं।
- मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर आरोप लगे हैं।
- ईडी ने डिजिटल साक्ष्य जुटाए हैं।
- इस मामले में कई राज्यों की पुलिस शामिल है।
- 500 से अधिक एफआईआर दर्ज हैं।
नई दिल्ली, १३ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। मनी लॉन्ड्रिंग केस की जांच में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सहारा ग्रुप के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए दो लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें सहारा ग्रुप के चेयरमैन कोर मैनेजमेंट (सीसीएम) ऑफिस के कार्यकारी निदेशक अनिल अब्राहम और ग्रुप के लंबे समय से सहयोगी एवं प्रॉपर्टी ब्रोकर जितेंद्र प्रसाद वर्मा (जेपी वर्मा) शामिल हैं।
कोलकाता स्थित ईडी की क्षेत्रीय शाखा ने अनिल अब्राहम और जितेंद्र वर्मा को गिरफ्तार किया। वर्तमान में दोनों आरोपी ईडी की रिमांड पर हैं। शनिवार को उन्हें अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें सोमवार तक ईडी रिमांड पर भेजा गया।
ईडी ने अपनी आधिकारिक घोषणा में कहा, "अनिल अब्राहम ने सहारा ग्रुप की संपत्तियों की बिक्री में समन्वय और सुविधा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन संपत्तियों की बिक्री में नकदी शामिल थी, जिसे अवैध रूप से बाहर भेजा गया।" वहीं, जितेंद्र प्रसाद वर्मा इन सौदों को संचालित करने में शामिल थे और नकद लेन-देन के माध्यम से अवैध धन को इधर-उधर करने में सहायता कर रहे थे।
ईडी ने आगे कहा कि दोनों ने अपराध की आय को छिपाने का प्रयास किया। जांच एजेंसी ने पीएमएलए के तहत चलाए गए तलाशी अभियान के दौरान कई आपत्तिजनक डिजिटल साक्ष्य मिलने का दावा किया है। ईडी ने कहा कि जानबूझकर साक्ष्यों को नष्ट किया जा रहा था, ताकि जवाबदेही से बचा जा सके।
ईडी के अनुसार, विभिन्न डिजिटल साक्ष्यों से यह पता चला है कि अनिल अब्राहम और जेपी वर्मा ने सहारा ग्रुप के प्रमोटरों को धन की हेराफेरी में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। प्रमोटर भारत से बाहर रहकर इस प्रकार की अवैध गतिविधियों में लिप्त थे।
ईडी ने ओडिशा, बिहार और राजस्थान पुलिस की ओर से दर्ज तीन एफआईआर के आधार पर कथित मनी लॉन्ड्रिंग की जांच प्रारंभ की थी। तीन राज्यों की पुलिस ने हमारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड (एचआईसीसीएसएल) और अन्य के खिलाफ मामले दर्ज किए थे।
ईडी ने जानकारी दी कि सहारा ग्रुप की विभिन्न संस्थाओं के खिलाफ ५०० से अधिक एफआईआर दर्ज हैं, जिनमें से ३०० से अधिक पीएमएलए के तहत अनुसूचित अपराधों से संबंधित हैं। इन शिकायतों में निवेशकों को धोखा देने, जबरन पुनः निवेश कराने और मैच्योरिटी भुगतान न करने का आरोप लगाया गया है।
ईडी ने दावा किया कि सहारा ग्रुप ने एचआईसीसीएसएल, एससीसीएसएल, एसयूएमसीएस, एसएमसीएसएल, एसआईसीसीएल, एसआईआरईसीएल, एसएचआईसीएल जैसी संस्थाओं के माध्यम से एक पोंजी स्कीम चलाई, जिसमें उच्च रिटर्न और कमीशन का झांसा देकर निवेशकों और एजेंटों को फंसाया गया।
अब तक की कार्रवाई में ईडी ने धारा १७ के तहत छापेमारी में २.९८ करोड़ रुपए नकद भी जब्त किए हैं। साथ ही, निवेशकों, एजेंटों, सहारा ग्रुप के कर्मचारियों और अन्य संबंधित व्यक्तियों के बयान पीएमएलए की धारा ५० के तहत दर्ज किए गए हैं।