क्या ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान से जुड़े थलसेनाध्यक्ष और 32 देशों के सैन्य प्रमुख?

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क्या ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान से जुड़े थलसेनाध्यक्ष और 32 देशों के सैन्य प्रमुख?

सारांश

इस अद्वितीय अभियान में 32 देशों के सैन्य प्रमुखों ने भाग लिया और शांति और सतत विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई। पीसकीपर्स ग्रोव में पौधे लगाकर उन्होंने एक हरित भविष्य की दिशा में कदम बढ़ाया। जानिए इस आयोजन का महत्व और इसका प्रभाव।

Key Takeaways

  • पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाना
  • 32 देशों के सैन्य प्रमुखों की भागीदारी
  • शांति और सतत विकास की दिशा में कदम
  • कार्यक्रम में पौधों की जियो-टैगिंग
  • भारत का वैश्विक नेतृत्व

नई दिल्ली, 16 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आरंभ किए गए पर्यावरण संरक्षण अभियान 'एक पेड़ मां के नाम' को वैश्विक स्तर पर समर्थन प्राप्त हो रहा है। इस पहल के अंतर्गत 32 देशों के सैन्य प्रमुखों, वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों और प्रतिनिधिमंडल प्रमुखों ने ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान में भाग लिया।

उन्होंने गुरुवार को नई दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में 'पीसकीपर्स ग्रोव' में अशोक के पौधे लगाए। यह आयोजन संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिक योगदानकर्ता देशों के चीफ्स कॉन्क्लेव 2025 के दौरान हुआ। कार्यक्रम में भारतीय सशस्त्र बलों के नेतृत्व के साथ-साथ सभी सहभागी देशों के सैन्य प्रमुखों ने भाग लिया। इस सामूहिक वृक्षारोपण ने शांति, सतत विकास और वैश्विक सहयोग के प्रति साझा प्रतिबद्धता का प्रतीकात्मक संदेश दिया।

यह पहल प्रधानमंत्री के 'एक पेड़ मां के नाम' अभियान से प्रेरित है, जो प्रकृति के प्रति आभार, देखभाल और मातृत्व जैसी पोषक भावना का प्रतिनिधित्व करती है। लगाए गए प्रत्येक पौधे को जियो-टैग किया गया है, ताकि उसकी वृद्धि और दीर्घकालिक निगरानी सुनिश्चित की जा सके।

भारतीय थलसेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने भी इस अवसर पर अशोक का पौधा लगाकर अभियान में अपनी भागीदारी दर्ज की।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल दर्शाती है कि दुनिया के सैन्य नेता केवल शांति की रक्षा ही नहीं कर रहे, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक हरित और सुरक्षित पृथ्वी के निर्माण के लिए भी एकजुट हैं।

नई दिल्ली में संयुक्त राष्ट्र शांति सेना योगदानकर्ता देशों के प्रमुखों का सम्मेलन आयोजित किया गया। इसमें संयुक्त राष्ट्र शांति सेना में अपना योगदान देने वाले 32 देशों के प्रमुख और प्रतिनिधि शामिल हुए। 14 से 16 अक्टूबर तक दिल्ली में हुए इस प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय आयोजन की मेज़बानी भारतीय सेना ने की। भारतीय सेना के मुताबिक, तीन दिवसीय सम्मेलन में विश्व के 32 से अधिक देशों के सेना प्रमुख और उच्च सैन्य अधिकारी शामिल हुए।

सम्मेलन का उद्देश्य बदलते वैश्विक परिदृश्य में संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों से जुड़ी नई चुनौतियों पर विचार-विमर्श करना था। संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान और भविष्य की तैयारियों पर भी यहां चर्चा की गई।

यूएनटीसीसी-2025 का मुख्य लक्ष्य विश्वभर के शांति अभियानों में योगदान देने वाले देशों के बीच साझेदारी और समन्वय को सुदृढ़ करना था। इसके तहत प्रतिभागी देशों ने नई दिल्ली में अपने अनुभव साझा किए। विश्व के विभिन्न हिस्सों से आए सैन्य कमांडर्स ने शांति अभियानों में आने वाली चुनौतियों पर चर्चा की और संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों की प्रभावशीलता बढ़ाने के उपायों पर विचार किया।

भारत दशकों से संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में सबसे बड़े योगदानकर्ताओं में से एक रहा है। अब भारत ने इस महत्वपूर्ण वैश्विक सम्मेलन की मेज़बानी भी की है। भारत ने इस पहल के जरिए अपनी वैश्विक जिम्मेदारी और शांति के प्रति प्रतिबद्धता को फिर से प्रदर्शित किया। भारतीय सेना ने वर्षों से अफ्रीका, एशिया और मध्य पूर्व सहित अनेक क्षेत्रों में शांति अभियानों में सराहनीय भूमिका निभाई है।

Point of View

बल्कि यह वैश्विक शांति और सहयोग का भी प्रतीक है। विभिन्न देशों के सैन्य प्रमुखों की भागीदारी इस बात का प्रमाण है कि जब हम एकजुट होते हैं, तो हम भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक हरित और सुरक्षित पृथ्वी बना सकते हैं।
NationPress
16/10/2025

Frequently Asked Questions

‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान का उद्देश्य क्या है?
इस अभियान का उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाना और शांति की दिशा में एकजुटता को बढ़ावा देना है।
इस अभियान में कौन-कौन से देश शामिल हुए हैं?
अभियान में 32 देशों के सैन्य प्रमुख और वरिष्ठ सैन्य अधिकारी शामिल हुए हैं।
इस कार्यक्रम का आयोजन कब हुआ?
यह कार्यक्रम 14 से 16 अक्टूबर तक नई दिल्ली में आयोजित किया गया।
क्या पौधों की देखभाल की जाएगी?
हां, लगाए गए पौधों को जियो-टैग किया गया है ताकि उनकी वृद्धि और देखभाल सुनिश्चित की जा सके।
भारत का इस अभियान में क्या योगदान है?
भारत ने इस अभियान के माध्यम से अपनी वैश्विक जिम्मेदारी और शांति के प्रति प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया है।