क्या आपातकाल लोकतंत्र का काला अध्याय है? पीएम मोदी ने इमरजेंसी के 50 साल पूरे होने पर कहा

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क्या आपातकाल लोकतंत्र का काला अध्याय है? पीएम मोदी ने इमरजेंसी के 50 साल पूरे होने पर कहा

सारांश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इमरजेंसी के 50 साल पूरे होने पर अपनी बात रखी। उन्होंने इसे लोकतंत्र का काला अध्याय बताते हुए इमरजेंसी के दौरान संघर्ष करने वालों को सम्मानित किया। जानें, पीएम मोदी ने क्या कहा और इमरजेंसी के प्रभाव के बारे में उनकी सोच क्या है।

Key Takeaways

  • आपातकाल ने लोकतंत्र को गंभीर नुकसान पहुँचाया।
  • संघर्ष करने वालों का योगदान अमूल्य है।
  • लोकतंत्र की रक्षा के लिए सतर्क रहना आवश्यक है।
  • संविधान के मूल्यों की अहमियत को समझें।
  • हमेशा स्वतंत्रता सेनानियों के आदर्शों को याद रखें।

नई दिल्ली, 25 जून (राष्ट्र प्रेस)। आज देश में इमरजेंसी के 50 वर्ष पूरे हुए हैं। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान संघर्ष करने वाले लोगों को सम्मानित किया और इसे लोकतंत्र का काला अध्याय बताया।

पीएम मोदी ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "आज भारत के लोकतंत्र के सबसे अंधेरे अध्याय, आपातकाल की घोषणा के 50 साल पूरे हो गए हैं। इस दिन को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाया जाता है। उस दिन भारतीय संविधान के मूल्यों को कुचला गया, मौलिक अधिकारों को छीन लिया गया, प्रेस की आजादी समाप्त कर दी गई और कई राजनीतिक नेता, सामाजिक कार्यकर्ता, छात्र और आम नागरिक जेल में डाल दिए गए। ऐसा लगा मानो तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने लोकतंत्र को ही कैद कर लिया था।"

उन्होंने इमरजेंसी के दौरान संघर्ष करने वालों को नमन करते हुए कहा, "हम उन सभी लोगों को नमन करते हैं, जिन्होंने आपातकाल के खिलाफ डटकर संघर्ष किया। ये लोग देश के हर कोने से, हर वर्ग से, अलग-अलग विचारधाराओं से थे, जिन्होंने एक ही लक्ष्य के लिए साथ मिलकर काम किया- भारत के लोकतांत्रिक ताने-बाने की रक्षा और स्वतंत्रता सेनानियों के आदर्शों को बचाना। उनके सामूहिक संघर्ष ने सुनिश्चित किया कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार को लोकतंत्र बहाल करना पड़ा और नए चुनाव कराने पड़े, जिसमें उन्हें करारी हार मिली।"

प्रधानमंत्री ने आगे कहा, "हम अपने संविधान के सिद्धांतों को मजबूत करने और विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए एक साथ काम करने की प्रतिबद्धता दोहराते हैं। हम नई ऊंचाइयों को छुएं और गरीबों व वंचितों के सपनों को पूरा करें।"

केंद्रीय मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने भी कहा, "25 जून 1975 की मध्य रात्रि को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 'आंतरिक अशांति' के बहाने भारत पर आपातकाल लगाया, जिससे देश के संविधान की हत्या हुई। 50 साल बाद भी कांग्रेस उसी मानसिकता के साथ चल रही है, उसके इरादे अभी भी पहले की तरह तानाशाही हैं।"

Point of View

यह स्पष्ट है कि आपातकाल का समय भारतीय लोकतंत्र के लिए एक घातक चरण था। हालांकि, उस समय के संघर्ष ने हमें आज की लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत करने की प्रेरणा दी। हमें हमेशा अपने संविधान और मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए सतर्क रहना होगा।
NationPress
25/06/2025

Frequently Asked Questions

आपातकाल क्या था?
आपातकाल 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक भारत में लागू किया गया, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इसे 'आंतरिक अशांति' के कारण घोषित किया।
आपातकाल के दौरान क्या हुआ?
आपातकाल के दौरान मौलिक अधिकारों का हनन हुआ, कई राजनीतिक नेताओं को जेल में डाल दिया गया और प्रेस की स्वतंत्रता समाप्त कर दी गई।
पीएम मोदी ने आपातकाल पर क्या कहा?
पीएम मोदी ने आपातकाल को लोकतंत्र का काला अध्याय बताया और संघर्ष करने वालों को नमन किया।
आपातकाल का प्रभाव क्या था?
आपातकाल ने भारतीय लोकतंत्र की नींव को कमजोर किया, लेकिन इसके बाद लोकतंत्र को फिर से बहाल किया गया।
क्या आज भी आपातकाल से कुछ सीखा जा सकता है?
हां, हमें आपातकाल से यह सीख मिलती है कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए हमेशा सक्रिय रहना चाहिए।