क्या फारूक अब्दुल्ला पर कोई उंगली नहीं उठा रहा? एसपी वैद का बयान
सारांश
Key Takeaways
- फारूक अब्दुल्ला को सच्चा हिंदुस्तानी माना गया।
- एसपी वैद का बयान राजनीतिक दृष्टिकोण को प्रभावित कर सकता है।
- कानूनी कार्रवाई की संभावना पर चर्चा।
- पढ़े-लिखे लोगों के कट्टरपंथी बनने की चिंता।
- कश्मीर और लखनऊ दोनों हिंदुस्तान का हिस्सा हैं।
जम्मू, 16 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली बम धमाके पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने शनिवार को कहा कि वह दिन कब आएगा जब हमें हिंदुस्तानी माना जाएगा। इस पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व डीजीपी एसपी वैद ने कहा कि फारूक अब्दुल्ला पर कोई उंगली नहीं उठा रहा। वे सच्चे हिंदुस्तानी हैं।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व डीजीपी एसपी वैद ने शनिवार को राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए कहा, "डॉ. फारूक अब्दुल्ला पर कोई आरोप नहीं लगा रहा है, वे मुझसे अधिक हिंदुस्तानी हैं। इसमें किसी को कोई शक नहीं होना चाहिए। मैंने आपके अंडर काम किया है। वे जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे हैं, वे हमसे ज्यादा हिंदुस्तानी हैं, यह सभी को पता है। उन्हें लोग अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जानते हैं। उन पर कोई शक नहीं कर रहा है। कश्मीर और लखनऊ दोनों हिंदुस्तान का हिस्सा हैं।"
उन्होंने बताया, "डॉ. शाहिन कश्मीर की नहीं, बल्कि लखनऊ की डॉक्टर हैं। इसी तरह अल्फला यूनिवर्सिटी से कई डॉक्टर हैं, जो जम्मू-कश्मीर से ताल्लुक नहीं रखते। जो भी गलत करेगा, उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी। कानून तोड़ने वाला देश के किसी भी हिस्से का हो, अगर वह कानून तोड़ेगा तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी। अगर अल्फला यूनिवर्सिटी ने लापरवाही की है तो उसके खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई होगी। अगर डॉक्टर ने बम बनाया और आतंकवाद फैलाया तो आतंकवाद की धाराओं में उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। यह इस देश का कानून है।"
पूर्व डीजीपी ने पढ़े-लिखे लोगों के आतंकी गतिविधियों में शामिल होने पर चिंता जताई। उन्होंने कहा, "ऐसा नहीं है कि पहली बार पढ़े-लिखे लोग आतंकवादी गतिविधियों में पाए गए हैं। पहले भी ऐसे लोग रहे हैं। अलकायदा का चीफ ओसामा बिन लादेन खुद एक इंजीनियर था। कई सारे पीएचडी स्कॉलर रहे हैं। ऐसा नहीं है कि पढ़े-लिखे लोग आतंकी नहीं बनते। इस बार डॉक्टर मॉड्यूल था, और वे डॉक्टर काफी एजुकेटेड रहे।"
उन्होंने कहा, "सुरक्षा बलों के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि अगर पढ़े-लिखे डॉक्टर को इस हद तक कट्टरपंथी बना दिया जाए कि वह अपने देशवासियों को मारने के लिए तैयार हो जाए, अपने आप को सुसाइड बॉम्बर बनाने के लिए तैयार हो जाए, और दुश्मन के कहने पर अपने देश के लोगों को मारने के लिए तैयार हो जाए, तो इससे अनुभव लगाया जा सकता है कि किस स्तर का कट्टरपंथी फैल रहा है। यह देश के लिए बहुत बड़ा चैलेंज है, जिसके बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए। दुनिया के कई देशों में ऐसा खतरा है।