क्या गुजरात का काइट फेस्टिवल मोदी छाप पतंगों की मांग को बढ़ा रहा है?

Click to start listening
क्या गुजरात का काइट फेस्टिवल मोदी छाप पतंगों की मांग को बढ़ा रहा है?

सारांश

गुजरात का काइट फेस्टिवल अब एक अंतरराष्ट्रीय आयोजन बन चुका है। पीएम मोदी के नेतृत्व में इस महोत्सव ने पतंग निर्माण के व्यवसाय को बढ़ावा दिया है। क्या आप जानते हैं कि मोदी छाप पतंगों की मांग किस तरह समाज में जागरूकता बढ़ा रही है?

Key Takeaways

  • गुजरात का काइट फेस्टिवल एक अंतरराष्ट्रीय महोत्सव बन चुका है।
  • पतंगों पर सामाजिक और स्वास्थ्य संदेश दिया जाता है।
  • मोदी छाप पतंगों की मांग में भारी वृद्धि हुई है।
  • यह उत्सव न केवल व्यापार को बढ़ावा देता है बल्कि जागरूकता फैलाने का भी कार्य करता है।
  • पतंगें अब गुजरात की पहचान का हिस्सा बन चुकी हैं।

अहमदाबाद, 30 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। गुजरात में संक्रांति पर पतंग उड़ाने की प्रथा एक लंबे समय से चली आ रही है, लेकिन जब नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री के रूप में गुजरात की बागडोर संभाली, तब से इस परंपरा में एक नया ट्विस्ट देखने को मिला। उन्होंने संक्रांति के मौके पर काइट फेस्टिवल (पतंग महोत्सव) की शुरुआत की। पहले इस उत्सव में कुछ ही लोग भाग लेते थे, लेकिन आज यह एक अंतरराष्ट्रीय त्योहार बन चुका है। दुनिया भर से पतंगबाज इस फेस्टिवल में भाग लेने के लिए गुजरात आते हैं।

पतंग महोत्सव के बढ़ते प्रचलन के साथ ही पतंग निर्माण का व्यवसाय भी तेजी से बढ़ रहा है। इस कारोबार के जरिए हजारों लोग अपनी रोजी-रोटी कमा रहे हैं। आजकल बाजार में मोदी छाप पतंगों की बहुत चर्चा है। इनकी मांग इतनी बढ़ गई है कि अधिकतर निर्माता विशेष रूप से मोदी छाप पतंगें ही बनाते हैं। इन पतंगों पर मोदी सरकार के कार्यों और सामाजिक संदेशों को प्रकट किया जाता है। जैसे 'बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ', 'आत्मनिर्भर भारत', और 'वन्दे मातरम' जैसे संदेश पतंगों पर छपते हैं और लोगों तक आसानी से पहुंचते हैं।

मोदी छाप पतंगों की यह लोकप्रियता केवल व्यवसाय तक सीमित नहीं है, बल्कि कई पतंग निर्माता समाज के लिए जागरूकता फैलाने का काम भी कर रहे हैं।

इकबाल भाई बहेलिम ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में बताया कि पतंग का कारोबार वर्षों से चल रहा है, लेकिन पीएम मोदी द्वारा आरंभ किए गए काइट फेस्टिवल के बाद यह व्यवसाय कई गुना बढ़ गया है। अब पतंग बनाने की प्रक्रिया साल भर चलती है।

उन्होंने यह भी कहा कि पतंगों पर छपाए जाने वाले संदेशों में कई सामाजिक और स्वास्थ्य संबंधी संदेश शामिल होते हैं। पतंग निर्माता इन संदेशों को लोगों तक पहुंचाने का कार्य भी करते हैं।

उन्होंने आगे बताया कि पतंग के जरिए जन जागृति फैलाने का कार्य केवल व्यवसायी नहीं, बल्कि कई मानवतावादी परिवार और डॉक्टर भी कर रहे हैं। ये लोग अस्पतालों, स्कूलों और अन्य संस्थाओं में मुफ्त पतंग बांटकर संदेश फैलाते हैं। ये लोग अपनी संस्था या परिवार के माध्यम से पतंग पर सामाजिक संदेश छपवाते हैं और लोगों में जागरूकता बढ़ाते हैं।

मोदी छाप पतंगों में केवल सामाजिक संदेश ही नहीं होते, बल्कि मोदी सरकार के विकास कार्यों को भी दर्शाया जाता है, जैसे भारत का चांद पर पहुंचना, हर घर तिरंगा, देश की उन्नति, आदि। ये पतंग न केवल बच्चों और युवाओं में उत्साह और जागरूकता लाती हैं, बल्कि बड़े व्यापारियों और आम लोगों के बीच भी बहुत लोकप्रिय हैं।

पतंग बनाने वाले नारायण भाई ने बताया कि वह 15 वर्षों से इस क्षेत्र में हैं। पहले पेंट वाली पतंगें बनाई जाती थीं, लेकिन अब मोदी छाप पतंगों की मांग इतनी बढ़ गई है कि व्यवसाय कई गुना बढ़ गया है। जिग्नेश बताते हैं कि ग्राहक अब केवल मोदी छाप पतंगें ही मांगते हैं, जिन पर न केवल पीएम मोदी की तस्वीरें होती हैं, बल्कि उनके कार्यों और योजनाओं के संदेश भी छपे होते हैं।

उन्होंने बताया कि पतंग बाजार में ग्राहकों की डिमांड लगातार बढ़ रही है। लोग मोदी छाप पतंगें खरीदते हैं, उड़ाते हैं, और कुछ पतंगें दान में भी देते हैं। यह संदेश गरीब युवकों और बच्चों तक पहुंचाने का एक प्रभावशाली तरीका साबित हो रहा है।

पतंग महोत्सव ने न केवल व्यवसाय को बढ़ावा दिया है, बल्कि गुजरात की पहचान को भी मजबूत किया है। यह उत्सव अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जाना जाता है। देश-विदेश से लोग इस फेस्टिवल में भाग लेने आते हैं, पतंग उड़ाते हैं, और बाजार में नई डिज़ाइन और संदेश वाली पतंगें खरीदते हैं।

इसी तरह, पतंगों के माध्यम से लोग मानवता, शिक्षा और सामाजिक जागरूकता के संदेश भी फैलाते हैं। इकबाल भाई बताते हैं कि अस्पतालों, स्कूलों और समाज सेवा संस्थाओं में पतंग वितरित करके लोगों तक जागरूकता फैलाई जाती है। यह एक तरह से समाज सेवा और व्यवसाय का एक मिश्रण बन चुका है।

गुजरात में महात्मा गांधी, सरदार वल्लभभाई पटेल, मोरारजी देसाई और पीएम नरेंद्र मोदी जैसे नेताओं ने राज्य की कला, संस्कृति और प्रगति को नई दिशा दी है। पतंग महोत्सव भी इसी विकास और प्रगति का एक हिस्सा बन चुका है। मोदी छाप पतंगें अब केवल उड़ाने के लिए नहीं हैं, बल्कि यह देशभक्ति, विकास और सामाजिक जागरूकता का प्रतीक बन गई हैं।

Point of View

बल्कि यह राज्य के विकास और सामाजिक जागरूकता का भी प्रतीक बन चुका है। पीएम मोदी के नेतृत्व में इस महोत्सव ने न केवल व्यापार को बढ़ावा दिया है, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का कार्य भी किया है।
NationPress
30/12/2025

Frequently Asked Questions

गुजरात का काइट फेस्टिवल कब मनाया जाता है?
गुजरात का काइट फेस्टिवल हर साल संक्रांति के अवसर पर मनाया जाता है।
मोदी छाप पतंगें क्या हैं?
मोदी छाप पतंगें ऐसी पतंगें हैं जिन पर प्रधानमंत्री मोदी के कार्यों और सामाजिक संदेशों को छापा जाता है।
काइट फेस्टिवल का महत्व क्या है?
काइट फेस्टिवल न केवल एक मनोरंजन का अवसर है, बल्कि यह गुजरात की सांस्कृतिक पहचान और व्यापार को बढ़ावा देता है।
पतंगों पर कौन से संदेश छापे जाते हैं?
पतंगों पर 'बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ', 'आत्मनिर्भर भारत', जैसे सामाजिक संदेश छापे जाते हैं।
पतंग उड़ाने का क्या महत्व है?
पतंग उड़ाना एक पुरानी परंपरा है जो एकता, खुशी और उत्साह का प्रतीक है।
Nation Press