क्या बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय के परिवार ने पीएम मोदी का आभार व्यक्त किया?
सारांश
Key Takeaways
- वंदे मातरम का महत्व समझना आवश्यक है।
- सजल चट्टोपाध्याय ने प्रधानमंत्री मोदी का आभार व्यक्त किया।
- बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय के योगदान को पहचानना चाहिए।
- राज्य सरकार को ऐतिहासिक स्थलों की देखभाल करनी चाहिए।
- रवींद्रनाथ टैगोर की तरह बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय के नाम पर विश्वविद्यालय की आवश्यकता है।
कोलकाता, 8 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। लोकसभा में सोमवार को वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर चर्चा जारी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने विचार रखे। वंदे मातरम की चर्चा के दौरान, बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय के पोते सजल चट्टोपाध्याय ने कहा कि यदि हम हिंदू हैं, तो हमें वंदे मातरम को समझने की आवश्यकता है।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत के युवाओं को यह जानना चाहिए कि वंदे मातरम क्या है और इसे किसने लिखा है। यदि हम इसे नहीं समझेंगे, तो यह वंदे मातरम का अपमान होगा।
सजल चट्टोपाध्याय ने अपने पूरे परिवार के साथ प्रधानमंत्री मोदी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को मेरी ओर से और मेरे परिवार की ओर से प्रणाम। उन्होंने जो कार्य किया, वह पहले ही हो जाना चाहिए था। हम उनके आभारी हैं, मेरा परिवार आभारी है, और शायद पूरा भारत भी आभारी होगा।
उन्होंने राज्य सरकार पर भी आरोप लगाया कि कोलकाता के 5 नंबर प्रताप चट्टोपाध्याय लेन स्थित उस घर की देखभाल नहीं कर रही, जहां बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने अंतिम सांस ली थी। उन्होंने कहा कि उस मकान में मेरे दादा का देहांत हुआ था। वह घर उन्होंने अपने पैसों से खरीदा था, और उसकी देखभाल के लिए मैंने स्थानीय काउंसलर से संपर्क किया था। कई बार कॉल करने के बावजूद उनसे कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। फिर मैंने व्हाट्सएप किया, तो उन्होंने कहा कि देखेंगे, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि उन्होंने क्या देखा। लाइब्रेरी केवल नाम की है, जो कभी खुलती नहीं है। यह एक हैरिटेज प्रॉपर्टी है, जिसे जनता के लिए खोला जाना चाहिए। लेकिन इसे नहीं खोला जाता। यदि कोई राजनेता बंकिम बाबू को श्रद्धांजलि देने जाता है, तो भी उन्हें अनुमति नहीं दी जाती।
उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की कि वह उस ऐतिहासिक घर के संरक्षण और रखरखाव की जिम्मेदारी ले।
इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि देश के विभिन्न राज्यों में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के नाम पर कई विश्वविद्यालय हैं, उसी तरह बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय के नाम पर भी एक राष्ट्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना होनी चाहिए। लोगों को जिस तरह से रवींद्रनाथ टैगोर के बारे में जानकारी है, उसी प्रकार बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए।