क्या हरीश रावत ने 'ऑपरेशन कालनेमि' पर उठाए सवाल और कहा- जनता वोट से देगी जवाब?

सारांश
Key Takeaways
- हरीश रावत ने भाजपा को 'कालनेमि' बताया।
- 'ऑपरेशन कालनेमि' के तहत 300 से अधिक फर्जी साधुओं की गिरफ्तारी की गई।
- मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रशासन की सजगता की प्रशंसा की।
- जनता का वोट ही सरकार के कार्यों का मूल्यांकन करता है।
- फर्जी साधुओं के खिलाफ कार्रवाई जरूरी है।
देहरादून, 23 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने प्रदेश सरकार के 'ऑपरेशन कालनेमि' पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने भाजपा को 'कालनेमि' करार देते हुए कहा कि जनता वोट के माध्यम से उसे सख्त सबक सिखाएगी।
कांग्रेस नेता हरीश रावत ने बुधवार को मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, "जनता का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) खुद एक बड़ी कालनेमि है और इससे बचना जरूरी है। जैसे हनुमान ने कालनेमि का वध किया था, उसी प्रकार जनता इस बार वोट के जरिए भाजपा को सबक सिखाएगी।"
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर पूरे प्रदेश में पुलिस द्वारा 'ऑपरेशन कालनेमि' चलाया जा रहा है। इस अभियान के अंतर्गत ढोंगी बाबाओं, पीर-फकीरों और ठगी करने वालों के खिलाफ ठोस कार्रवाई की जा रही है। 'ऑपरेशन कालनेमि' के तहत साधुओं का वेश धारण करने वाले 300 से अधिक फर्जी लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
इससे पहले, 21 जुलाई को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कांवड़ यात्रा को बदनाम करने और प्रशासन की ओर से की गई कार्रवाई के बारे में जानकारी दी थी। उन्होंने कहा था कि शुरुआती दिनों में कुछ लोगों ने 'कांवड़ यात्रा' को बदनाम करने की कोशिश की, लेकिन प्रशासन की सजगता और त्वरित कार्रवाई के कारण कोई अप्रिय घटना नहीं हुई।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "शुरुआती दिनों में कुछ लोगों ने कांवड़ यात्रा को बदनाम करने की कोशिश की, लेकिन प्रशासन की सजगता और त्वरित कार्रवाई के कारण कोई अप्रिय घटना नहीं घटी। ऐसे तत्वों से निपटने के लिए हमने पहले से ही 'ऑपरेशन कालनेमि' शुरू कर दिया है, जिसका उद्देश्य ऐसे पवित्र समारोहों और अवसरों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। यह अभियान जारी रहेगा और इसे और भी सघनता से चलाया जाएगा। हम इसे और सशक्त बनाने के लिए अतिरिक्त दिशानिर्देश बनाने पर विचार कर रहे हैं।"
हरीश रावत ने 11 जुलाई को भी इस फैसले पर सवाल उठाए थे। उस समय उन्होंने कहा था कि फर्जी साधु-संतों को पकड़ने के लिए यह कदम सही है, लेकिन इसके लिए जिम्मेदार लोगों को भी दंडित किया जाना चाहिए।