क्या हिमंत बिस्वा सरमा लंदन में ऐतिहासिक ‘ब्रिंदाबनी वस्त्र’ को वापस लाने में सफल होंगे?
सारांश
Key Takeaways
- मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा लंदन पहुंचे।
- उद्देश्य: ब्रिंदाबनी वस्त्र की वापसी की प्रक्रिया को अंतिम रूप देना।
- 16वीं शताब्दी का यह वस्त्र असम की सांस्कृतिक धरोहर है।
- गुवाहाटी में संग्रहालय का निर्माण होगा।
- एमओयू पर बातचीत की जा रही है।
गुवाहाटी, 16 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा रविवार को लंदन पहुंचे, जहां वे सदियों पुराने ऐतिहासिक ‘ब्रिंदाबनी वस्त्र’ को भारत वापस लाने की प्रक्रिया को अंतिम रूप देने के लिए उच्च-स्तरीय बैठक कर रहे हैं।
ब्रिंदाबनी वस्त्र 16वीं शताब्दी की एक दुर्लभ हस्तनिर्मित वस्त्रकला है, जिसका निर्माण महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव और उनके शिष्य माधवदेव के निर्देशन में किया गया था। इसमें भगवान कृष्ण के बाल रूप से जुड़े प्रसंगों को बारीकी से बुने गए पैनलों के माध्यम से दर्शाया गया है। यह मध्यकालीन असमिया शिल्प और भक्तिपरक कला का अनमोल उदाहरण माना जाता है।
ब्रिटिश काल के दौरान इस वस्त्र के विभिन्न हिस्से असम से बाहर ले जाए गए थे, जो बाद में लंदन और पेरिस के संग्रहालयों में संरक्षित किए गए। मुख्यमंत्री सरमा के साथ गए अधिकारियों के अनुसार, ब्रिटेन के संबंधित प्राधिकारियों के साथ प्रारंभिक दौर की बातचीत सकारात्मक रही है। इन चर्चाओं में वस्त्र को गुवाहाटी लाने की रूपरेखा और आगे की प्रक्रिया पर सहमति बनी है।
सीएम सरमा ने पुष्टि की है कि राज्य सरकार ने गुवाहाटी में एक अत्याधुनिक संग्रहालय के निर्माण के लिए भूमि आवंटित कर दी है, जहां ब्रिंदाबनी वस्त्र को स्थायी रूप से प्रदर्शित किया जाएगा। यह सुविधा आधुनिक संरक्षण तकनीकों से लैस होगी, ताकि इस नाजुक कला विरासत की दीर्घकालिक सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
लंदन यात्रा के दौरान एक महत्वपूर्ण कदम दोनों पक्षों के बीच होने वाला एमओयू है, जिसकी औपचारिकता आज पूरी होने की संभावना है। इस समझौते में वस्त्र के हस्तांतरण, संरक्षण मानकों और प्रदर्शनी की रूपरेखा से संबंधित प्रावधान शामिल होंगे।
एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, ब्रिंदाबनी वस्त्र की वापसी असम की सांस्कृतिक पहचान के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि होगी और इससे शंकरदेव तथा नव-वैरागी परंपरा के वैश्विक महत्व को और मजबूती मिलेगी। इस बीच, पेरिस और लंदन के संग्रहालयों में सुरक्षित अन्य हिस्सों के लिए भी भविष्य में सहयोग की संभावनाओं पर विचार किया जा रहा है।