क्या कैबिनेट ने 8वें केंद्रीय वेतन आयोग के टर्म ऑफ रेफरेंस को मंजूरी दी?
सारांश
Key Takeaways
- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 8वें केंद्रीय वेतन आयोग को मंजूरी दी।
- आयोग को 18 महीनों में सिफारिशें प्रस्तुत करनी हैं।
- आयोग का उद्देश्य आर्थिक स्थिति और पेंशन योजनाओं पर ध्यान देना है।
नई दिल्ली, 28 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। पीएम मोदी की अध्यक्षता में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को 8वें केंद्रीय वेतन आयोग के टर्म ऑफ रेफरेंस को मंजूरी दी।
आधिकारिक बयान के अनुसार, यह आयोग एक अस्थायी निकाय होगा, जिसमें एक अध्यक्ष, एक पार्ट-टाइम सदस्य और एक सदस्य-सचिव शामिल होंगे।
बयान में उल्लेख किया गया है कि आयोग अपने गठन की तारीख से डेढ़ वर्ष यानी 18 महीनों के भीतर अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करेगा।
यदि आवश्यक हो, तो आयोग किसी भी मामले पर अंतरिम रिपोर्ट भेजने पर भी विचार कर सकता है।
आयोग को अपनी सिफारिशें देते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना होगा।
आर्थिक स्थिति, सरकार की वित्तीय व्यवस्थाओं के प्रबंधन, खर्च और राजस्व के संतुलन को ध्यान में रखना आवश्यक होगा।
इसके अतिरिक्त, गैर-अंशदायी पेंशन योजनाओं की गैर-वित्तपोषित लागत को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। आयोग को यह भी देखना होगा कि उनकी सिफारिशों का राज्य सरकारों के वित्त पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
आयोग को केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों और निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए उपलब्ध पारिश्रमिक संरचना, लाभ और कार्य स्थितियों का भी ध्यान रखना होगा।
आयोग को यह सुनिश्चित करना होगा कि कल्याणकारी उपायों और विकास व्यय के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हों।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार, केंद्र सरकार के कर्मचारियों के पारिश्रमिक स्ट्रक्चर, रिटायरमेंट से जुड़े लाभों और अन्य सेवा-शर्तों पर समय-समय पर केंद्रीय वेतन आयोग का गठन आवश्यक होता है। आम तौर पर ये सिफारिशें 10 वर्ष की अवधि के अंतराल पर लागू की जाती हैं।
केंद्र सरकार ने इस वर्ष 2025 में केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी और अन्य सेवाओं में बदलावों की जांच करने के लिए 8वें केंद्रीय वित्त आयोग के गठन की घोषणा की थी।