क्या गुजरात में हर साल 7,000 से ज्यादा डॉक्टर जुड़ रहे हैं?
सारांश
Key Takeaways
- गुजरात में हर साल 7,000 से अधिक डॉक्टर जुड़ते हैं।
- पिछले एक दशक में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हुआ है।
- 2014 से चिकित्सा शिक्षा में बड़ा परिवर्तन आया है।
- राज्य सरकार ने विकसित गुजरात-2047 रोडमैप तैयार किया है।
- स्वास्थ्य सेवा को प्राथमिकता देने से गुजरात की प्रगति हुई है।
गांधीनगर, 28 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने रविवार को अहमदाबाद में आयोजित 'अखिल भारतीय चिकित्सा सम्मेलन-आईएमए नेटकॉन 2025' और भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) के शपथ ग्रहण समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि गुजरात में हर वर्ष 7,000 से अधिक डॉक्टर जुड़ते हैं। उन्होंने बताया कि पिछले दशक में उन्नत सुविधाओं, आधुनिक बुनियादी ढांचे और नवीनतम चिकित्सा तकनीकों को अपनाने के कारण भारत की स्वास्थ्य सेवाएं काफी सशक्त हुई हैं।
सीएम भूपेंद्र पटेल ने पूरे देश में एम्स संस्थानों, मेडिकल कॉलेजों और सुपरस्पेशियलिटी अस्पतालों की संख्या में तेजी से वृद्धि का उल्लेख किया। उन्होंने गुजरात की प्रगति का जिक्र करते हुए कहा कि स्वास्थ्य सेवा और चिकित्सा शिक्षा सरकार की प्राथमिकताएं रही हैं। उन्होंने याद दिलाया कि जब नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभाला था, तब राज्य में केवल 1,175 मेडिकल सीटें थीं। अब हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज के विजन के साथ, हर साल 7,000 से अधिक डॉक्टर जुड़ रहे हैं।
भूपेंद्र पटेल ने बताया कि 2014 से भारत के चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में एक बड़ा परिवर्तन आया है। मेडिकल कॉलेजों की संख्या 387 से बढ़कर 731 हो गई है, जो कि 88 प्रतिशत की वृद्धि है। एमबीबीएस की सीटें 51,000 से बढ़कर 1.12 लाख से अधिक हो गई हैं, जबकि स्नातकोत्तर सीटों में 133 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो 31,000 से बढ़कर 72,000 हो गई हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने विकसित भारत के राष्ट्रीय दृष्टिकोण के अनुरूप विकसित गुजरात-2047 रोडमैप तैयार किया है, जिसमें 100 प्रतिशत सार्वभौम स्वास्थ्य सेवा कवरेज और एनीमिया एवं कुपोषण उन्मूलन जैसे लक्ष्य शामिल हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि स्वस्थ गुजरात, सशक्त समृद्ध गुजरात के लक्ष्य को प्राप्त करने में चिकित्सा समुदाय महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
मुख्यमंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि 2025 एक ऐतिहासिक वर्ष है, जो सरदार पटेल और भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती, वंदे मातरम की रचना के 150 वर्ष और अखिल भारतीय चिकित्सा सम्मेलन तथा आईएमए की शताब्दी का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि आईएमए एक सदी से अधिक समय में एक पेशेवर संस्था से बढ़कर राष्ट्र के स्वास्थ्य की रक्षा करने वाली एक प्रमुख संस्था के रूप में विकसित हुई है।
सीएम भूपेंद्र पटेल ने आईएमए नेटकॉन-2025 के विषय का जिक्र करते हुए कहा कि यह 'सभी के लिए स्वास्थ्य सेवा और कल्याण' के दृष्टिकोण के अनुरूप है।
उन्होंने डॉ. अनिल नायक और उनकी टीम को शुभकामनाएं दीं और आशा व्यक्त की कि वे नेशन फर्स्ट, पेशेंट फर्स्ट के मार्गदर्शक सिद्धांत के साथ आगे बढ़ेंगे।